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गरीबी और इर्षा
बात ‘राजस्थान’ के एक जिले ‘अलवर’ की है जहाँ एक बड़े कॉलेज में पढ़ने वाले तीन दोस्त थे जिनके नाम कपिल, विनीत और दक्ष थे, तीनों में बहुत बनती थी मगर दक्ष अपने दोस्तों से मन ही मन काफी जलता था क्यूंकि कपिल और विनीत बहुत ज्यादा पैसेवाले थे और दक्ष गरीब परिवार से था।
सिद्धि से इच्छा पूर्ति
दक्ष हमेशा पैसेवाला बनकर अपने दोस्तों के जैसे शौक और अय्याशी करना चाहता था इसलिए वो जल्दी पैसा कमाने के अच्छे और बुरे सभी तरह के रास्ते ढूंढता रहता था फिर कहीं से एक दिन उसके हाथ एक ‘किताब’ लग गई इस किताब के जरिये कुछ ही दिनों में जल्दी कामयाबी, पैसा और नाम कमाया जा सकता था कुछ ही दिनों में ये सब पाया जा सकता था, इस किताब में ‘कर्ण पिशाचनी’ को सिद्ध करने और उससे अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कराने की ‘विधि’ विस्तार में लिखी थी बस फिर क्या था दक्ष ने वो किताब के अनुसार सभी विधि- विधान से अपनी पूरी दुनिया से नाता तोड़कर ‘कर्ण पिशाचनी’ को सिद्ध कर लिया।
इस दौरान दक्ष को काफी तकलीफ उठानी पड़ी, बड़ी-बड़ी विपदा उसके सामने आई और हर तरह के खौफनाक मंज़र से उसको गुज़रना पड़ा मगर दक्ष में पैसे की भूख इतनी थी कि वो सब मुश्किलें पार करके आख़िरकार कर्ण पिशाचनी को सिद्ध करने में सफल रहा।
कर्ण पिशाचनी को बनाया प्रेमिका
दक्ष ने कर्ण पिशाचनी को ‘प्रेमिका’ के रूप में स्थान देने का ‘वचन’ दिया और कहा कि ‘मुझे बहुत सारा पैसा, बड़ा घर और बड़ी गाड़ी चाहिए इसके बदले जो तुम्हें चाहिए मैं सब दूँगा’ कर्ण पिशाचनी ने कहा कि दक्ष ये सब बहुत जल्द तुम्हारे पास होगा बस तुम्हें अपना वचन नहीं भूलना है क्यूंकि अक्षर ही लोग अपना वचन तोड़ देते हैं और मुझे उन्हें मारना पड़ता है’ दक्ष ने कहा कि ‘ऐसा कभी नहीं होगा’ फिर कर्ण पिशाचनी गायब हो गई।
कर्ण पिशाचनी लाई धन का सैलाब

अब दक्ष रोज़ जुआ और सट्टा खेलने लगा और रोज़ ही वो बहुत सारा पैसा जीतने लगा क्यूंकि कर्ण पिशाचनी अब उसके साथ थी और वो दक्ष को आने वाले समय की जानकारी पहले ही दे देती थी जिससे दक्ष हर बार पैसे कमाने में सफल रहता और ऐसा करते हुए वो काफी लोगों की नज़र में भी आ गया था।
दक्ष ने कुछ ही दिनों में खूब पैसा कमा लिया, बड़ी गाड़ी ले ली और एक आलिशान घर भी अपने परिवार के लिए बना लिया था और साथ-साथ कर्ण पिशाचनी को जो स्थान दिया था और जो प्रेमिका का रिश्ता उसके साथ था वो उसको भी अभी तक ठीक से निभाता आया था, उसके दोनों दोस्त उसके बारे में ही उसके पीछे बात करते रहते थे और कहते थे कि कल तक ये हमारी गाड़ी में घूमता था, इसकी जेब खाली रहती थी और इसके इतने फटे हाल थे लेकिन समझ नहीं आ रहा कैसे इसको इतने पैसा कमाने का तरीका मिल गया? ये सब सामान्य तो नहीं है, कुछ तो गड़बड़ पक्का है’ दोनों ने सोचा कि हम इसका पीछा करके और इसपर नज़र रखकर इसके पैसे कमाने का राज जान लेते हैं।
कामयाबी की चकाचौंध से दोस्तों की आँखें चूँधियायी
कपिल और विनीत अब दक्ष का पीछा करने लगे वो जहाँ भी जाता दोनों उसके पीछे साये की तरह सुबह से शाम तक लगे रहे फिर जैसे ही अंधेरा हुआ तो दोनों ने देखा कि एक सुन्दर और पतली सी लड़की दक्ष से मिलने एक सुनसान जंगल जैसी जगह आई फिर दोनों कहीं अंदर घने जंगल में चले गए और कपिल और विनीत दोनों को ही दिखना बंद हो गए, काफी देर इंतज़ार करने के बाद भी जब दोनों कहीं नहीं मिले तो कपिल और विनीत घर के लिए निकल गए और कल फिर दक्ष का पीछा करने का कहकर दोनों अपने- अपने घर आ गए
अगले दिन दोनों ने सोचा कि दक्ष को शराब पिलाकर उससे सब उगलवा लेते हैं फिर क्या था दोनों दक्ष को लेकर शराब पीने चले गए, विनीत के पुराने घर में बैठकर तीनों शराब पीने लगे, कपिल और विनीत ने शराब काफी कम पी और दक्ष को ज्यादा शराब पिला दी जिससे दक्ष अपने होश खो बैठा फिर उसने कपिल और विनीत को अपनी कर्ण पिशाचनी वाली सारी बातें बता डाली जिससे कपिल और विनीत डर गए और हैरानी से दक्ष को और फिर एक-दूसरे को देखने लगे।
कुछ देर बाद दक्ष ने बोला मुझे अपनी प्रेमिका के पास जाना है इसलिए अब मैं यहाँ से जा रहा हूँ नहीं तो वो बहुत गुस्सा हो जाएगी और दक्ष वहाँ से निकल गया, कपिल और विनीत को अब भी अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि ये कैसे हो सकता है और ऐसा तो हमने बस आज तक सुना ही था।
सिद्धि को छीनने का दुसाहस
काफी सोचने और बातचीत के बाद दोनों ने अब कर्ण पिशाचनी को दक्ष से छीनकर अपने ‘वश’ में करने और उससे फायदा उठाने की ठान ली फिर कपिल ने कहा कि ‘मैं एक शमशान वाले तांत्रिक को जानता हूँ जो पैसा लेकर ऐसा कर सकता है’, दोनों अगले ही दिन सुबह तांत्रिक बाबा के यहाँ शमशान में जा पहुँचे जहाँ सारी बात सुनकर तांत्रिक बाबा बोले कि ‘ये बहुत जान-जोखिम का काम है, इसमें किसी की जान भी जा सकती है इसलिए मैं इसका ख़र्च भी ज़्यादा लूँगा और सारा पैसा मुझे काम शुरू होने से पहले ही चाहिए’, विनीत पहले तो तैयार नहीं हुआ फिर कपिल ने विनीत को मना लिया फिर अगले ही दिन दोनों घर से पैसे (1,25,000/-₹) लेकर आए और तांत्रिक को दे दिए।
दो महाशक्तियों का टकराव

तांत्रिक ने दोनों को अपने शमशान में बने छोटे से कमरे में ले जाकर सारी बातें बताने लगा कि ‘कर्ण पिशाचनी को घोर साधना से सिद्ध किया जा सकता है, दक्ष ने कड़ी लगन से कर्ण पिशाचनी को प्रसन्न किया और अपने सभी काम उससे ही कराये हैं, तुम लोग उसको साधना से तो प्राप्त नहीं कर सकते क्यूंकि ये काम अत्यंत कठिन होने के साथ जान के जोखिम का भी है इसलिए मैं उसको दक्ष से छीन कर तुम्हें दे सकता हूँ!
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फिर वो तुम्हारे सभी काम कर सकती है, मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा कि वो तुम्हारी सभी इच्छाएं पूरी करने पर मजबूर हो जाए मगर तुम्हें पहले दक्ष को कर्ण पिशाचनी से दूर करना पड़ेगा, जिसके लिए कल शाम से ही हमें कुछ तंत्र क्रियाएं करके कर्ण पिशाचनी को काबू करने के लिए तैयारी करनी पड़ेगी और यहाँ तक भी हो सकता कि दक्ष की जान ही चली जाए’ कपिल और विनीत दोनों दक्ष की जान जाने वाली बात सुनकर भी हिचकिचाय नहीं और तांत्रिक से तंत्र की तैयारी करने के लिए कहकर वहाँ से निकल गए।
अगले दिन शाम को कपिल और विनीत पहले तांत्रिक से मिलने गए जहाँ उसने तंत्र की पूरी तैयारी कर रखी थी फिर वो तांत्रिक से दक्ष को लाने का बोलकर वहाँ से निकल गए।
दक्ष अपने घर पर अपने परिवार के साथ था जब कपिल और विनीत वहाँ आए और दक्ष को अपनी गाड़ी में लेकर पहले तो विनीत के पुराने घर में गए जहाँ तीनों ने थोड़ी शराब पी फिर शराब खत्म होने का बहाना बनाकर दक्ष को गाड़ी में लेकर शमशान आ गए जहाँ तांत्रिक अपनी पूरी तैयारी के साथ दक्ष का इंतजार कर रहा था, दक्ष को नशा कम था इसलिए वो आसानी से समझ पा रहा था कि यहाँ बहुत कुछ ‘गड़बड़’ है और इसी गड़बड़ का सन्देश उसके कान में कर्ण पिशाचनी ने कपिल और विनीत से साथ जाते हुए दिया था इसी सन्देश को दक्ष अनदेखा करके उनकी गाड़ी में बैठ गया था।
लालच ने हर हद्द पार कर डाली
दक्ष ने कपिल और विनीत से कई सवाल पूछे कि ‘यह सब क्या है? तुम लोग मुझे यहाँ क्यों ले आए हो? और यह तांत्रिक जैसा कौन है? इन सवालों का जवाब देना कपिल और विनीत ने जरुरी नहीं समझा और अगले ही पल में तांत्रिक ने दक्ष पर मंत्र पढ़कर राख़ फेंक दी जिससे दक्ष खड़े-खड़े गिर गया फिर कपिल और विनीत ने दक्ष को तांत्रिक ने जो धूना जलाया हुआ था वहीं लेटा दिया, अब तांत्रिक ने कहा मैं जल्दी से सारी क्रियाँए कर देता हूँ फिर हम इसकी प्रेमिका यानि कर्ण पिशाचनी से निपट लेंगे।
तांत्रिक ने सभी क्रियाएं करने के बाद फिर मन्त्र पढ़कर नमक और हल्दी से एक ‘सुरक्षा घेरा’ अपना बनाया और दूसरा सुरक्षा घेरा दक्ष, कपिल और विनीत के लिए बना दिया जिसमें दक्ष बेहोश लेटा था, कपिल और विनीत उसी घेरे में बैठे थे।
प्रेमिका को बचाने आई कर्ण पिशाचनी

पेड़ों पर ‘सरसराहट’ होने लगी तभी तांत्रिक ने कपिल और विनीत को सचेत कर दिया कि कर्ण पिशाचनी आस-पास ही है, जानवरों के शोर जैसी कुछ आवाज़ें साफ सुनाई देने लगी, मौसम में ठंडक अचानक से काफी बढ़ गई, कुछ भी सामान्य नहीं रह गया था जिससे कपिल और विनीत डरने लगे मगर तांत्रिक ने उनकी हिम्मत बाँधी और कहा कि ‘जबतक इस सुरक्षा घेरे में तुम दोनों हो तब तक कोई कर्ण पिशाचनी तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती इसलिए निश्चिन्त हो जाओ और सारा ध्यान यहाँ मेरे मंत्रों में लगाओ जिससे कर्ण पिशाचनी की शक्तियां कमज़ोर हो जाएंगी और हम उसको वश में करने में कामयाब हो जाएंगे।
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कुछ ही देर में कर्ण पिशाचनी सबके सामने आ गई, वह बहुत ही सुन्दर दिख रही थी जिससे कपिल और विनीत उसपर मोहित हो गए थे और उसके पास जाना चाहते थे मगर अगले ही पल तांत्रिक ने उन दोनों को रोका और कहा कि ‘ये कर्ण पिशाचनी का मायावी खेल है, ये खेल तुम्हें फसाने के लिए रचा गया है, अपने होश में रहो और मंत्रों पर ध्यान दो, ये अभी हमारे वश में होगी फिर इससे हमें कोई खतरा नहीं है’।
कर्ण पिशाचनी दक्ष को देखे जा रही थी फिर उसने ज़ोर-ज़ोर से दक्ष का नाम लेना शुरू कर दिया मगर दक्ष नहीं उठा उधर तांत्रिक ने अपने घेरे में ही खड़े होकर एक धारदार बड़ा चाकू कपिल और विनीत की तरफ फेंककर दोनों को दक्ष का गला काटने को कहा फिर विनीत ने वो चाकू उठा लिया और कपिल दक्ष की छाती पर बैठ गया, तांत्रिक ने कहा कि ‘बोल कर्ण पिशाचनी मेरे वश में आने का वचन दे रही है या तेरे प्रेमी दक्ष का गला अभी काट दे हम?’
अत्यंत खूंखार हुआ मौत का खेल

कर्ण पिशाचनी बोली कि मैं दक्ष को यहाँ से ज़िंदा लेकर जाऊँगी मगर पहले तुम तीनों का खून पियूँगी और तुम्हारी आत्मा से भी गुलामी कराऊंगी, सोच लो तुम अभी भी समय है’ मगर तांत्रिक नहीं माना और उसने कहा कि ‘मार डालो इसके प्रेमी को और रुकना मत चाहे जो हो जाए विनीत चाकू लेकर उसके गले की तरफ बढ़ा मगर देखा तो विनीत की माँ ने सामने खड़े होकर उसको आवाज़ दी और कहा कि ‘विनीत यह क्या कर रहा है तू? तू अपने दोस्त को मार रहा है? चल चाकू फेंककर मेरे साथ चल यहाँ से’
यह सुनकर विनीत ने जल्दी से चाकू सुरक्षा घेरे से बाहर फेंक दिया, विनीत बोला कि ‘मेरी माँ इसको मारने से मना कर रही है इसलिए मैं इसको नहीं मारूँगा’ और विनीत उठकर बाहर कदम रखने ही वाला था कि तांत्रिक ने विनीत से कहा कि ‘विनीत ये सब भ्रम है ऐसा कुछ नहीं हो रहा, इस कर्ण पिशाचनी ने दक्ष को बचाने के लिए ऐसा किया है’
अब भी कर्ण पिशाचनी दक्ष को आवाज़ दिए जा रही थी, तांत्रिक ने कहा कि ‘यह नोकिला सरिया इसके मुँह में डाल दो और इसको जल्दी से खत्म कर दो क्यूंकि यह कर्ण पिशाचनी तो हमारी बात मानने वाली नहीं है’ ऐसा कहकर तांत्रिक ने एक सरिया कपिल की तरफ ठीक सुरक्षा घेरे के अंदर फेंक दिया जिसे कपिल ने उठा लिया और दक्ष की छाती पर फिरसे बैठ गया
कर्ण पिशाचनी ने अपनी पूरी ताकत से दक्ष को पुकारा जिससे दक्ष की आँखें एकदम से खुल गयी और उसने अपनी छाती पर बैठे कपिल को उछाल कर सुरक्षा घेरे से बाहर फेंक दिया, कर्ण पिशाचनी ने अब अपना खूंखार रूप धारण कर लिया जिसमें उसके लम्बे दाँत, नोकिले नाखून, बिल्लोरी डरावानी आँखें, खुले, लम्बे और 6-7 फुट के काले खुले बाल उसको खौफनाक और हैवान बना रहे थे फिर वो अगले ही पल ‘भूखी बाघिन’ की तरह लपककर कपिल की गर्दन पर अपने लम्बे और नोकिले दाँत गडा दिए और उसकी सांस की नली फाड़ डाली

जिससे वो लम्बी-लम्बी सिसकियाँ लेने लगा और खून का फव्वारा उसकी गर्दन से बहने लगा, यह मंज़र किसी का भी दिल दहला सकता था और ऐसा ही हुआ भी, विनीत भी सुरक्षा घेरे से निकलकर शमशान से बाहर भागने लगा, तांत्रिक ने उसको अपने सुरक्षा घेरे में आने को कहा भी मगर जैसे वो अपनी सुध-बुद्ध खो बैठा हो या उस मौत के खौफनाक मंज़र ने उसकी सारी हिम्मत खत्म कर दी हो वो इस तरह होशो-हवास में नहीं था, विनीत शमशान में बस 50 मीटर ही सुरक्षा घेरे से आगे गया होगा उतने में ही कर्ण पिशाचनी अब उसपर झपट पड़ी, सबसे पहले उसने विनीत की आँखें अपने नोकिले नाखूंनों से फोड़ डाली, विनीत दर्द से चींख पड़ा, फिर कर्ण पिशाचनी ने विनीत की जीभ को अपने दाँतों से पकड़कर बाहर खिंचा और खा गई
विनीत अब अधमरा हो गया था उसमें मुश्किल से ही कोई सांस बची होगी फिर कर्ण पिशाचनी ने उसकी छाती अपने तेज़, नोकिले नाखूंनों से फाड़ डाली और सच में छाती में अपनी लम्बी जीभ डालकर और अपना मुँह लगाकर उसका खून पीने लगी।
कपिल और विनीत दोनों मर चुके थे, तांत्रिक वहाँ से भाग गया और अपने कमरे में सुरक्षा घेरा बनाकर मंत्रों का जाप करने लगा, दक्ष ठीक था उसने कर्ण पिशाचनी को वहाँ से चलने को कहा और दोनों वहाँ से निकलकर फिरसे अपनी दुनिया में जीने लगे।
अगले दिन जब तांत्रिक अपने कमरे से सबके बुलाने पर भी नहीं निकला तो दरवाजा तोड़ा गया और सबने देखा कि तांत्रिक पागल हो गया है, उसके बाद तांत्रिक का पूरा जीवन पागलखाने में ही गुज़रा।।