प्रिय पाठकों, हमें उम्मीद है कि आपको हमारी यह कहानी (पति के सर चढ़ी डायन | डायन की कहानी सच्ची घटना पर आधारित | Dayan ki kahani in hindi) बहुत पसंद आएगी।
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सुनैना ने उसको पीछे से आवाज़ दी हर्ष कहाँ जा रहे हो? वापस आओ, हर्ष ने अनसुना कर दिया और बाहर जाने के लिए गेट खोला, फिर सुनैना ने तेज़-तेज़ आवाज़ देना शुरू कर दिया जिससे हर्ष चिढ गया और गेट बंद करके वापस अंदर आकर सुनैना का गला पकड़ लिया और गुस्से में लड़की (Dayan) की आवाज में बोला तुझे आखिरी बार समझा रही हूँ, ये मेरा और हर्ष का घूमने का समय होता है तू रोज़ रोक-टोक करके हमें परेशान कर देती है अगर अबकी बार तूने हमें रोका ना तो मैं तेरी ये जबान काट कर खा जाऊँगी फिर देखूँगी तू अपनी जबान से मेरे हर्ष का नाम कैसे लेती है?
फिर क्या हुआ “पति के सर चढ़ी डायन” पूरी कहानी पढ़कर जाने…
पति के सर चढ़ी डायन की भूमिका Dayan ki Kahani
पत्नी के लिए अपना पति सबसे प्यारा होता है वो सबकुछ बर्दाश्त कर सकती है मगर पति के प्यार का बंटवारा उससे कभी सहन नहीं होता मतलब वो सौतन नाम से ‘घोर’ नफरत करती हैं और अगर वो “सौतन” कोई “डायन” हो तो पत्नी उससे कैसे लड़ती है इसी आधार पर हम आपके लिए लेकर आये हैं ‘डायन’ Dayan एक सच्ची घटना! ये सच्चा किस्सा उसी का व्याख्यान है!
अचानक शुरू हुई भयानक कहानी
यह किस्सा दिल्ली का है और मेरी एक दोस्त का है, मेरा नाम वैभव है, मैं 2005 में एक गारमेंट्स कंपनी में जॉब करता था और मेरे साथ एक “सुनैना” नाम की लड़की काम करती थी उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी थी, उसकी शादी को अभी 2 महीने ही बीते थे और उसके पति का नाम “हर्ष” था!
हम एक दिन शाम को खाली बैठे थे तो भूत-प्रेत (Ghost Stories in Hindi) की बातें चलने लगी तब जाकर सुनैना ने इस भयानक कहानी से पर्दा हटाया, ये किस्सा ऐसा था कि सुनैना की एक रात 1:30 बजे आँखें खुली तो उसने अपने पति को शीशे के सामने बैठकर खुद को नज़ाकत के साथ निहारते हुए देखा, ये बात सुनैना को बहुत अजीब लगी और उसने अपने पति को आवाज़ लगाई तो वो जैसे होश में आ गया हो ऐसा चौंका और पीछे मुड़कर सुनैना से पूछने लगा क्या हुआ तुम क्यों जाग गई?
इसपर सुनैना ने पूछा के तुम इतनी रात शीशे के सामने बैठकर क्या कर रहे हो? पति ने जवाब दिया के मेरी आँखों में खुजली हो रही थी तो वही देख रहा था कि आँखों में क्या चला गया? सुनैना ने बात को गंभीरता से नहीं लिया और उस रात दोनों सो गए!
पति के सर चढ़ी डायन
फिर कुछ दिनों बाद सुनैना उठी तो उसका पति उसके बिस्तर पर नहीं था तो सुनैना उठकर उसको आवाज़ देने लगी, जब वो अपनी बालकनी में गई तो उसके रोंगटे खड़े हो गए,
उसका पति उसकी लाल साड़ी पहने, पूरा मेकअप करके और हील्स पहनकर बालकनी में खड़ा था और नीचे देख रहा था, सुनैना ने पति को आवाज़ दी तो वो लड़कियों वाली अदा से पलटा और लड़कियों की आवाज़ में ही बोला, क्या हुआ सुनैना? तुम क्यों जाग गई? अभी तो मैं उठी थी “हर्ष” के साथ घूमने के लिए, तुमने आकर सब मज़ा ख़राब कर दिया हुँह, ऐसा कहकर और मुँह बना कर सुनैना का पति हर्ष अपने बैडरूम में चला गया और सो गया मगर सुनैना वहीं सोफे पर बैठ गई और जागते हुए पूरी रात निकल दी!
अगली सुबह सुनैना ने हर्ष को देखा तो वो एकदम नॉर्मल था और रोज़ की तरह तैयार होकर नाश्ता करके अपने ऑफिस चला गया मगर सुनैना को अब शक हो गया था की हर्ष के ऊपर किसी चुड़ैल Chudail या आत्मा का साया है और यह शक यकीन में तब बदला जब उसने अगली रात सोने का नाटक करके अपने पति पर नज़र रखी
पहले तो हर्ष आराम से सो गया और खर्राटे भी लेने लगा मगर जैसे ही हर्ष गहरी नींद में गया उसके कुछ ही देर बाद हर्ष उठ गया और उठकर बेड के पास वाली अलमारी में गया और सुनैना के कपड़ों में से एक गुलबी सूट निकाल कर पहन लिया फिर शीशे के सामने बैठकर पूरा मेकअप किया और हील्स वाले सेंडल पहन कर इस बार नीचे जाने लगा
जिससे सुनैना डर गई कि हर्ष इस हाल में रोड पर और कॉलोनी में ना निकल जाए इसलिय सुनैना ने उसको पीछे से आवाज़ दी हर्ष कहाँ जा रहे हो? वापस आओ, हर्ष ने अनसुना कर दिया और बाहर जाने के लिए गेट खोला फिर सुनैना ने तेज़-तेज़ आवाज़ देना शुरू कर दिया
जिससे हर्ष चिढ गया और गेट बंद करके वापस अंदर आकर सुनैना का गला पकड़ लिया और गुस्से से लड़की की आवाज में बोला तुझे आखिरी बार समझा रही हूँ, ये मेरा और हर्ष का घूमने का समय होता है तू रोज़ रोक-टोक करके हमें परेशान कर देती है अगर अबकी बार तूने हमें रोका ना तो मैं तेरी ये जबान काटकर खा जाऊँगी और फिर देखूँगी कि तू अपनी ‘जबान’ से मेरे हर्ष का नाम कैसे लेती है? इतना कहकर हर्ष बाहर निकल गया और सुनैना रोते हुए बैडरूम में चली गई!
अगले दिन सुबह 6 बजे ही सुनैना ने अपने पति के गाँव से पति के चाचाजी को इमरजेंसी बोलकर बिना कोई बात बताये तुरन्त आने को कहा, हर्ष इससे पहले 5 बजे घर आकर सोया गया था, सुनैना समझ गई थी कि पति को बचाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ेगी इसलिय उसने अपना सारा साहस इकठ्ठा करके अपने रोज़ के काम में लग गई और चाचाजी के आने का इंतजार करने लगी, हर्ष उठा और रोज़ की तरह ऑफिस चला गया, दोपहर तक चाचजी भी आ गए, सुनैना ने चाचाजी को सारी बातें बता दी जिसके बाद चाचाजी को समझते देर ना लगी कि हर्ष के सर किसी चुड़ैल या डायन (Dayan ki Kahani) का साया है!
चाचा बने उम्मीद का चिराग
शाम को ज़ब हर्ष ने चाचाजी को देखा तो पूछा के आप अचानक कैसे आ गए? तो चाचाजी ने कहा कि मेरा तुम लोगों से मिलने का मन हुआ तो चला आया, हर्ष ने मुस्कुराते हुए कहा चाचाजी आपका घर है कभी भी आप आ सकते हो फिर सबने खाना खाया और हर्ष को बैडरूम में छोड़कर सुनैना चाचाजी के पास दूसरे रूम में आ गई और बोली चाचाजी आप जागते रहना आधी रात में हर्ष जब उठेगा तब आप उसको अपनी आँखों से खुद ही देख लेना!
आधी रात हुई हर्ष फिरसे उठा और सज-धज के कमरा से निकला ही था कि सुनैना ने चाचाजी को आवाज़ दी जो हर्ष ने भी सुन ली और वो सुनैना की तरफ उसको मारने के लिए दौड़ा, सुनैना बेड पर चढ़ गई हर्ष भी बेड पर चढ़कर उसके बाल पकड़कर ज़मीन पर घसीटते हुए ले आया और लड़की वाली आवाज़ में बोला
“आज तेरी जबान चाकू से काटकर तेरा रोक-टोक का किस्सा हमेशा के लिए ही ख़त्म कर देती हूँ” और हर्ष सुनैना को रसोई की तरफ ले जाने लगा, सुनैना लगातार चिल्ला रही थी इतने में चाचाजी ने ये सब होते देख लिया कि हर्ष ने क्या रूप धारण कर रखा है और अभी ये किसी ‘चुड़ैल या डायन’ (Dayan ki Kahani) के वश में है,
चाचाजी ने हर्ष को पीछे से पकड़ा जिससे हर्ष को और गुस्सा आ गया उसने सुनैना को छोड़ा और चाचाजी के सीने में एक जोरदार लात मार दी जिससे चाचाजी नीचे गिर गए और वो फिर सुनैना की तरफ बढ़ा मगर चाचाजी फिरसे उठे और उसको पीछे से पकड़ लिया इतने में सुनैना ने भी उठकर चाचाजी की मदद से उसपर काबू पाना चाहा मगर हर्ष ने अब दोनों को बाल पकड़ कर बुरी तरह मारा और उन दोनों को वहीं छोड़कर बिल्डिंग से बाहर निकल गया, दोनों ने उसका पीछा किया तो देखा वो पास के शमशान में जाकर बैठ गया!
‘नागा बाबा’ से लगायी गुहार Bhoot ki Kahani
सुनैना और चाचाजी हर्ष को वहीं छोड़कर घर आ गए, रात के 2 बज चुके थे, चाचाजी ने सुनैना से कहा कि ये तो बहुत भयानक स्तिथि है इसके लिए कल ही मुझे गाँव के पास वाले जंगल में जहाँ एक “नागा बाबा” कुटिया बना कर रहते हैं, उस जंगल से अपने दोनों बेटों को भेज कर “नागा बाबा” को बुलाकर यहाँ लाना होगा, मैं पक्का तो नहीं कहता कि वो आएंगे या नही हाँ अगर आ गए तो हम इस जानलेवा मुसीबत से जरुर बच जायेंगे ऐसा मेरा विश्वास है!
चाचाजी के दोनों बेटे गाँव के मुखिया को जंगल में ले गए और तीनों उनके पैरों में गिरकर हर्ष की जान बचाने के लिए साथ चलने को कहने लगे, ‘नागा बाबा’ ने इस घटना को सुना तो वो बिना कुछ बोले तुरन्त ही खड़े हुए साथ में एक गमछा और एक अपनी छोटी सी पोटली लेकर गाड़ी में बैठ गए और दिल्ली के लिए निकल गए
इधर हर्ष के सुबह शमशान से आने के बाद वो नार्मल तो था ही और ऑफिस जाने लगा तो चाचाजी और सुनैना ने हर्ष को ऑफिस नहीं जाने दिया, चाचा जी ने बोला बेटा मैं तो कल सुबह चला जाऊँगा थोड़ा टाइम मेरे साथ भी बिता ले इसलिय हर्ष ने ऑफिस से छुट्टी लेली!
खूंखार डायन और तपस्वी नागा बाबा Chudail
शाम 4 बजे के आस-पास चाचाजी के दोनों बेटे और मुखिया जी नागा बाबा को लेकर घर आ गए, हर्ष ने ‘नागा बाबा” को देखा तो चिड़ गया और अपने भाइयों से बोला ये किसको उठा लाये हो? इसको भगाओ यहाँ से, “नागा बाबा” जो पूरे रास्ते चुप थे अब वो चाचाजी के बेटों से बोले तुम दोनों गेट पर खड़े हो जाओ ये “डायन” बाहर नहीं जानी चाहिए!
हर्ष की तरफ नागा बाबा ने अपनी पोटली से एक “भभूत” निकालकर फेंका तो हर्ष को चक्कर आने लगे मगर हर्ष सम्भला और भागकर अपने बैडरूम में जाकर घुस गया और उसने अंदर से गेट बंद कर लिया!
चाचाजी उनके दोनों बेटे, मुखियाजी और सुनैना सब डर गए और गेट खुलवाने के लिए पीटने लगे मगर नागा बाबा ने सबको वहाँ से हटने को कहा और एक फर्श पर सिन्दूर से एक रंगोली जैसा कुछ बनाकर सबको उसके चारों तरफ बैठने को कहा और पहले उन्होंने मेंन गेट लॉक करा दिया फिर उन्होंने अपनी पोटली से कुछ हड्डियां निकल कर उस रंगोली पर रख दी और सबको हाथ जोड़कर बैठने को कहा और खुद ध्यान में लग गए कुछ ही देर बाद हर्ष खुद गेट खोलकर बाहर आ गया, हर्ष ने फिर इस बार लाल साड़ी पहनी थी, सारा सिंगार किया था और नकली बालों की चोटी भी लगाई थी,
बाहर आकर हर्ष गुस्से से “नागा बाबा” को देखे जा रहा था, सब डर रहे थे कि कहीं कोई ‘अनहोनी’ ना हो जाए मगर “नागा बाबा” ने कहा कि डरने की कोई जरुरत नहीं है अब ये डायन (Dayan ki Kahani) अपने असली रूप में आई है और अब मैं इसको भस्म कर दूँगा!
“नागा बाबा” ने कहा “बेला” नीचे बैठ जा, इसपर वो डायन चौंक गई कि इस बाबा को मेरा नाम कैसे पता चला? वो डायन नीचे रंगोली के सामने बैठ गई, “नागा बाबा” ने पूछा इसको क्यों परेशान कर रही है?
यहाँ से चली जा, वो डायन बोली नहीं ये लड़का “हर्ष” मुझे पसंद है, मेरा पति भी ऐसा ही लम्बा चौड़ा था, फिर एक दिन उसने मुझे जहर देकर मार दिया और तबसे मैं भटक रही थी, फिर मैं किसी के साथ लगकर दिल्ली आ गई, उन्होंने मेरा इलाज एक मौलवी से कराकर मुझे चौराहे पर रख दिया और हर्ष जब रात में एक शादी से आ रहा था तो मेरा इसपर दिल आ गया और मैं इसके साथ हमेशा के लिए रहने को चली आई, ‘नागा बाबा’ ने पूछा तूने अपनी पूरी और सच्ची कहानी नहीं बताई, मैं तेरी कहानी पूरी कर देता हूँ,
डायन के खुले कुकर्म Dayan ki Kahani
‘नागा बाबा’ ने डायन की कहानी बतानी शुरू कर दी और कहा कि तेरा जन्म बहुत ही अशुभ गृह नक्षत्र में हुआ था जिसकी वजह से तुझे बचपन से ही ऐसी शक्तिओं से प्यार था और हर बुरी शक्ति को तू किसी ना किसी तरह प्रसन्न करती आई थी,
बाद में इस बात का तेरे घरवालों को भी पता चल गया था मगर उन्होंने तेरी इतनी बड़ी बात सबसे छुपाकर तेरी शादी एक आम और सीधे आदमी से कर दी मगर तूने फिर भी अपने काले कारनामे, टोन-टोटके नहीं छोड़े, तेरे बच्चे होने के बाद भी तू नहीं सुधरी आस-पड़ोस और रिश्तेदारी में काली-क्रियायें करके उनका सुख चैन छीनती रही और हद्द तो तब हो गयी जब तूने अपने दोनों बच्चें की भी ‘बली दे दी’ और उन्हें काटकर उनकी सब्ज़ी बनाकर अपने पति को परोस दी क्यूंकि तुझे अमर होना था!
तेरे पति ने वो सब्जी देखी और उसको सब्जी में ‘बच्चे की उंगली’ मिल गई, तेरे पति ने तुझसे पूछा के बच्चें कहाँ है? तो तूने कहा ऊपर वाले कमरे में सो रहे हैं, उसको तुझपर शक तो पहले से ही था इसलिए उसने ऊपर जाकर देखा जहाँ उसको बच्चे नहीं मिले और तेरे पति ने कुल्हाड़ी से तेरा खून कर दिया और तेरी लाश को एक सूनसान जगह पे एक पेड़ के निचे गाड़ दिया और रातों-रात उस गाँव को छोड़कर भाग गया, तबसे तू उसी पेड़ पर रहने लगी और आते-जाते हर व्यक्ति को अपना शिकार बनाने लगी !
सच्ची सिद्धि ने टाली खुनी आफत in Hindi
सबने उस डायन की तरफ देखा वो छाती पर हाथ मार-मार कर रोने लगी, तभी ‘नागा बाबा’ ने चाचाजी के बेटों से उसके हाथ पकड़ने को कहा और कुछ मन्त्र पढ़े फिर पोटली से “भभूत” निकाल कर पास रखे पानी में मिलाया और उस डायन ने मुँह में डाल दिया,
वो डायन चिल्लाने लगी “मेरा गला आग से जल रहा है कोई मुझे बचाओ मैं हर्ष को छोड़कर नहीं जाना चाहती मुझे मत भगाओ, मुझे मत मारो” और ऐसे चिल्लाते हुए उस डायन ने हर्ष का शरीर छोड़ दिया और हर्ष बेहोश हो गया, नागा बाबा ने सब ठीक कर दिया, कुछ देर बाद हर्ष को भी होश आ गया, सुनैना और बाकि सब ने एक चैन की गहरी सांस ली, सुनैना ने “नागा बाबा” से कहा बाबा मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ? आपको कुछ पैसे दे दूँ तो क्या आप ले लेंगे?
“नागा बाबा” बिना कुछ बोले नीचे उतर गए और गाड़ी में जाकर बैठ गए चाचाजी के बेटे भी मुखियाजी को लेकर गड़ी में बैठे और “नागा बाबा” को छोड़ने जंगल के लिए निकल गए!
पत्नी:
कभी यमराज से लड़कर पति के प्राण वापस ले आती हैं,
तो कभी डायन बनी सौतन को छकाती हैं!
कभी करती हैं अपने बच्चों, पति और ससुराल की रक्षा,
ऐसे ही पत्नियाँ अपना फर्ज़ निभाती हैं!
नोट: अपने डरावने सच्चे किस्से हमें बताएं, पैसा और नाम कमाएं!
चुड़ैल की कहानियाँ | Chudail Ki Kahaniyan
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