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संध्या ने कहा मेरा नाम संध्या नहीं है मैं तो मालती हूँ, और ये मेरे पति बलराज हैं! मुझे सब ठीक से याद आ गया है, मैं माँ बनने वाली थी और बच्चे को जन्म देने यहाँ माइके आई हुई थी, मैं अपने इसी आँगन में काम कर रही थी कि एक नाग ने अचानक से मेरे ऊपर हमला कर दिया और मेरी मृत्यु हो गई मगर मेरा ये पुनर्जन्म है (Bhootiya kahaniya)
फिर क्या हुआ? “नागिन की आत्मा का बदला” पूरी कहानी पढ़कर जाने…
नागिन की आत्मा का बदला की भूमिका Darawani Kahaniyan
वैसे तो हम छोटी-छोटी बातों को इत्तेफ़ाक का नाम दे देते हैं मगर जब कोई बड़ी घटना ऐसी घटती है जहाँ जाकर दिमाग की हर गणना और हर तर्क की सांस फूल जाती है हक़ीक़त में उसको ही इत्तेफ़ाक जैसे शब्द से सम्बोधित करना चाहिए! ऐसी ही एक सच्ची घटना हम आपके समक्ष रख रहे हैं जिसको आप सबसे बड़ा इत्तेफ़ाक कहने को मज़बूर हो जायेंगे क्यूंकि इस सच्ची घटना में एक के बाद एक, दो बहुत बड़े इत्तेफ़ाक घटते हैं! ये सच्ची घटना छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के एक गांव की है!
1 कमी से फीकी हर ख़ुशी Short Horror Stories
बात लगभग 17 साल पुरानी 2007 की है जब इसकी शुरुआत हुई! बलराज की शादी मालती से 2003 में बस्तर जिले में पास ही के एक गांव में हुई थी!
बलराज और मालती की शादी को 4 साल पुरे हो चुके थे पर अभी तक कोई संतान नहीं थी और यही एक कमी उन दोनों को खाये जाती थी!
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साथ में दोनों के परिवार, गांव और समाज का दबाव वो तो असहनिये था ही! ऐसे ही चलता रहा दोनों एक दूसरे से खुश तो बहुत थे पर ये एक संतान का ना होना जैसे उनकी सभी खुशी को फीका कर देता था! ऐसा लगता था मानो के सबकुछ होकर भी कुछ भी नहीं है! बलराज और मालती ने इलाज में भी लगभग सभी कुछ आजमा कर देख लिया था जैसे डॉक्टरी इलाज, देसी नुस्खे, झाड़-फूँक आदि!
महात्मा के आशीर्वाद से जागी सोई उम्मीद Real Horror Stories
बलराज और मालती की संतान नहीं होने की बात तो गांव के घर-घर और बच्चे-बच्चे को पता थी तो किसी ने एक दिन बलराज के परिवार के पास आकर एक “संत महात्मा जी” के बारे में बताया! कहा की महात्मा जी बहुत सिद्ध और बड़े तपस्वी हैं और उन्होंने कई लोगो को अपने आशीर्वाद से बड़ी- बड़ी समस्याओं से उबारा है, किसी तरह का कोई पैसा या वस्तु तक वो अपने इलाज और आशीर्वाद के लिए नहीं लेते हैं! वो सिर्फ लोक कल्याण के लिए जी रहे हैं, आप लोग सभी तरह का इलाज करा चुके हैं तो एक बार इन महात्मा जी से भी मिलकर देख लीजिये!
परिवार जहाँ इतने इलाज करा चुका था तो इस इलाज को करने में उनको कोई दिक्कत नहीं हुई साथ ही बलराज और मालती भी इसके लिए तुरंत मान गए क्यूंकि संतान पाने की ‘चाह’ उनसे सबकुछ करा सकती थी! अब “संत महात्मा जी” के समक्ष ये पूरा परिवार जाकर बैठ गया और अपनी इच्छा बताने लगा, बलराज और मालती ने भी महात्मा जी से हाथ जोड़कर गुहार लगाई और उनको संतान सुख का आशीर्वाद देने को कहा, महात्मा जी सभी कुछ शांत होकर सुने जा रहे थे और मालती रो-रोकर अपनी पीड़ा और इच्छा कहे जा रही थी!
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महात्मा जी ने पुरे परिवार को शांत होने को कहा और खुद ध्यान मुद्रा में चले गए, कुछ ही समय बाद उन्होंने अपनी बंद आखें खोली और परिवार की तरफ मंद मुस्कान के साथ देखा और कहा की परिवार की ये ‘चाह’ जरूर पूरी हो जाएगी! बलराज और मातली जरूर माता-पिता बन सकेंगे मगर एक छोटी सी सावधानी उनको बच्चे के गर्भ में आते ही बरतनी पड़ेगी!
Darawani Kahaniyan
परिवार, बलराज और मालती बहुत खुश थे की महात्मा जी ने संतान तो होने की बात कह ही दी है छोटी क्या हम बड़ी से बड़ी सावधानी भी बरतने को तैयार हैं! फिर बलराज की माताजी ने महात्मा जी से उस सावधानी के बारे में विस्तार से बताने जो कहा तो महात्मा जी ने कहा, जैसे ही बच्चा मातली के गर्भ में आएगा उसको बलराज से दूर जाकर रहना होगा जैसे की अपने माईके में रह सकती है!
दोनों परिवारों में ख़ुशी की लहर Short Horror Stories
अब परिवार वाले इस सावधानी को बरतने के लिए पुरी तरह से सहमत हो गए! महात्मा जी को धन्यवाद कह कर और उनका आशीर्वाद लेकर पूरा परिवार घर आ गया और अगले ही दिन से सभी अपने कामों में व्यस्त हो गए जैसे मालती और उसकी सास घर सँभालने में, बलराज और उसके पिताजी अपने पुशतेनी काम खेती-बाड़ी में लग गए! कुछ ही दिनों में वो दिन भी आ गया जब मालती ने गर्भ धारण कर लिया अब ये बात सबको पता चल गई और सभी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था!
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सभी उन संत महात्मा जी को दुआएं दे रहे थे और भगवान का भी धन्यवाद कर रहे थे, सुबह से ही पुरे दिन इसी बात पर चर्चा चल रही थी और साथ ही अब जो सावधानी महात्मा जी ने बताई थी उसको भी धयान में रखकर पूरा करना था तो अब मालती को उसके माइके भेजनें की तैयारी होने लगी और अगली सुबह ही बलराज मालती को अपनी ससुराल छोड़ आया, वहां भी सभी लोग खुश थे किअब संतान के आने से परिवार पुरा हो जायेगा!
Shaitani Kahaniyan
ऐसे ही दिन-हफ्ते बीतते हुए 4 महीने पुरे हो गए सब ठीक चल रहा था दोनों परिवार खुश थे और उस दिन के इंतजार में थे जब बच्चे की किलकारी घर में गूंजेगी!
बदकिस्मती की घातक चाल Shaitani Kahaniyan
मगर वो कहते हैं न की बुरा समय बता कर नहीं आता बस वैसे ही हुआ, क्या पता क्या हुआ किसी की बुरी नज़र लगी या पुराने जन्मों के कोई बुरे कर्म का फल कहें! बलराज अपने पिताजी के साथ खेतों में हमेशा की तरह काम कर रहा था के अचानक ही एक बड़ा काला “नाग” उसके सामने आकर फुनकारने लगा, वैसे तो खेतों में साँप और नाग निकलना बहुत ही छोटी बात है पर इस बार ये बहुत बड़ी बात साबित हुई!
नाग अपना फन फैलाये बलराज और उसके पिताजी के सामने फुनकारे जा रहा था अब बलराज को अपनी आत्मरक्षा के लिए उस नाग को वहां से हटाना था तो उसने वैसा ही करने का प्रयास किया मगर वो अपने प्रयास
में बार-बार असफल हो रहा था, ये संघर्ष काफ़ी देर तक चलता रहा, सबकुछ सामान्य नहीं रह गया था और नियति को कुछ और ही मंजूर था तो नाग को हटाने के प्रयास में बलराज के हाथों से “नाग” मारा गया, ये अशुभ कृत्य सभी को अशोभनीय और नागवार लगा परन्तु अशुभता को अभी अपना चर्म छूना था और बदकिस्मती को अपनी सारी हदों को लांगना था!
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हुआ ऐसा की जिस दिन और समय वहां बलराज ने उस “नाग” को मारा ठीक उसी समय यहाँ मइके में मालती को “नाग” ने डस लिया, मालती के माइके में खलबली मच गई!
परिवार ने सबसे पहले तो मालती के घाव पर कस के कपड़ा बांध दिया जिससे की जहर शरीर के बाकि हिस्सों में न फ़ैल जाये, इलाज के लिए कहाँ लेकर जाएं इस बात पर बहुत अफरा-तफरी का माहौल था! फिर किसी ने सुझाया की पास ही के गांव में एक “बुजुर्ग वैद बाबा” हैं जो बहुत दिनों से साँप काठने का इलाज भी करते हैं और सभी आज तक उनके इलाज से ठीक ही हुए हैं कोई वहां से बिना इलाज के मायूस नहीं लौटता ये उनका अभी तक का रिकॉर्ड है!
Darawani Kahaniyan
मालती की हालत बिगड़ती जा रही थी परिवार को जल्द ही कोई फैसला लेना था तो उन्होंने उस बुजुर्ग वैद के पास जाने का फैसला किया और साथ ही बलराज के परिवार को भी ये अप्रिये घटना के बारे में बता दिया, अब दोनों ही परिवार मालती को लेकर बुजुर्ग वैद के पास मौजूद थे!
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वैद बाबा ने मालती को देखा सारी बातें जानने के बाद और नाग का हुलिया जानने के बाद उन्होंने कहा की मैं ये इलाज बहुत दिनों से करता आया हूँ इसमें बिलकुल घबराने की बात नहीं है मालती अभी ठीक हो जाएगी, बुजुर्ग और अनुभवी वैद से ऐसा सुनकर दोनों परिवारों का कुछ ढाढ़स बंधा और कहीं ना कहीं उन दोनों परिवारों को
यह विश्वास हो गया की कुछ ही देर में सब सही हो जायेगा मगर हुआ इसका एकदम उलट, जैसे ही वैद बाबा ने मालती के घाव से कपड़ा खोला तो मालती की हालत एकदम से बिगड़ गई और कुछ ही मिनटों में मालती ने और उसकी होने वाली संतान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया!
Bhoot ki Kahani
अब यही एक सच्च था की मालती और उसकी होने वाली संतान इस दुनिया में नहीं थे और ये दुख का पहाड़ दोनों ही परिवारों पर टुटा था! गांव में शहरों के मुकाबले जल्दी बात फैलती है तो ऐसा ही हुआ! पति के द्वारा नाग को मरना और उसी समय नाग का पत्नी को काटना ये किस्सा बहुत बड़े इत्तेफ़ाक को बताता था और लोग जहाँ भी इसके बारे में सुनते तो अचरज में पड़ जाते की ऐसा कैसे हो सकता है और वैद बाबा से भी इलाज नहीं हो पाना तो आश्चर्य की सभी सीमाएं को पार करता है!
जीवन का पहिया आगे बढ़ता रहा Short Horror Stories
दोनों ही परिवारों का दुख से बुरा हाल था बलराज की तो जीने की इच्छा ही खत्म हो गई थी! मालती के शव को जलाया तो नहीं जा सकता था तो उसको नदी में बहा दिया गया अब उसकी तेहरवीं के समय दोनों परिवार
Bhoot Pret ki Kahaniyan
मिले और एक दूसरे का दुख साझा किया उसी दिन खबर आई की मालती के मामाजी के यहाँ एक लड़की का जन्म हुआ है! ऐसे ही दिन, महीने गुजरते गए दोनों परिवरों का मिलना जारी रहा, किसी समारोह या किसी त्यौहार पर दोनों परिवारों का मिलना हो ही जाता! खासतोर पर बलराज का अब भी अपनी ससुराल आना-जाना लगा रहता था!
मलाती के मामाजी भी मालती के माइके वाले घर के पास ही रहते थे तो उनका लगभग रोज ही वहां आना-जाना लगा रहता था इसलिए जब कभी बलराज वहां जाता तो मामाजी के परिवार से भी मिल लेता उनकी छोटी बेटी जिसका नाम संध्या था उसको बलराज खूब लाड़ करता था!
Horror Story in Hindi
मालती को इस दुनिया से गए 6 साल हो चुके थे और साथ में बच्ची संध्या भी अब 6 साल की हो चुकी थी मगर अब संध्या का बलराज को देखने का नज़रिया एकदम से बदल गया था, जब भी बलराज आता तो वो उसको घूरकर, टकटकी लगाए देखती रहती और हमेशा बलराज के साथ जाने की बात कहती, परिवार इस बात को बच्ची की नादानी और मासूमियत समझकर नज़र अंदाज़ कर देता! ऐसे ही समय गुजरता गया!
आश्चर्य ने तोड़ी सभी हदें / Darawani Kahaniyan
अब संध्या 13 साल की हो गई, बलराज का आना भी जारी रहा फिर एक दिन जब बलराज अपने ससुराल आया और मलाती के मामाजी का परिवार भी वहीं मौजूद था तब कुछ ऐसा हुआ जिसने मालती और मामाजी के परिवार के होश उड़ा दिये और बलराज को भी अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था! संध्या ने कहा मेरा नाम संध्या नहीं है मैं तो मालती हूँ, और ये मेरे पति बलराज हैं!
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मुझे सब ठीक से याद आ गया है, मैं माँ बनने वाली थी और बच्चे को जन्म देने यहाँ माइके आई हुई थी, मैं अपने इसी आँगन में काम कर रही थी कि एक ‘नागिन’ ने अचानक से मेरे ऊपर हमला कर दिया और मेरी मृत्यु हो गई, मेरा ये पुनर्जन्म है और ये जन्म मुझे मेरी बची हुई ज़िन्दगी जीने के लिए और अपनी पति बलराज से मिलने के लिए मिला है!
जितने लोग भी वहां मौजूद थे सब एकदम से अवाक रह गए! उस घर में एकदम से सन्नाटा पसर गया कि एक 13 साल की छोटी सी बच्ची जिसको मालती क़ी किसी बात का और उसके मरने का थोड़ा सा भी नहीं पता वो इतना कैसे जानती है!
Bhoot Story in Hindi
संध्या ने रोना शुरु कर दिया और जिद्द पकड़ के बैठ गई कि मुझे मेरे पति बलराज के साथ मेरी ससुराल भेज दो! दोनों परिवार ने बात करके बलराज को उस समय तो वहां से जाने को कहा, मगर इस समस्या का समाधान अभी निकलना बाकि था! ये बात जंगल क़ी आग की तरह आस-पास के सभी गाँवों में फ़ैल गई और सबकी चर्चा का विषय बन गई!
Darawani Kahaniyan
संध्या का रो-रोकर बुरा हाल था और अब बलराज के परिवार को भी इस बात की चिंता होने लगी, अब तीनो परिवारों ने मिलकर ये समाधान निकाला के अब कभी भी चाहे कुछ हो जाये न तो बलराज कभी अपनी ससुराल जायेगा और न ही मालती के मामाजी के यहाँ जायेगा! संध्या अगर बलराज को नहीं देखगी तो उसको अपने पुनर्जन्म की याद भी कम आएगी और वक़्त के साथ वो याद भी धुंधली हो जाएगी!
Bhoot Pret ki Kahaniya
इस अप्रिय संयोग को घटे 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है! बलराज तो अपनी ससुराल और मालती के मामाजी के पास नहीं गया मगर संध्या को आज भी अपना ‘पुनर्जन्म’ याद है और वो अब भी अपनी वो ज़िन्दगी जो उसने अधूरी छोडी थी उसको पूरा करना चाहती है!
पुनर्जन्म:
इस जन्म में जो बात होगी पुनर्जन्म में भी वो याद होगी
बदल जायेंगे रिश्तों के मायने यहाँ और रंज ओ गम से मेरी दुनिया आबाद होगी!
नोट: अपने डरावने सच्चे किस्से हमें बताएं, पैसा और नाम कमाएं!
प्रिय पाठकों, हमें उम्मीद है कि आपको हमारी यह कहानी (नागिन की आत्मा का बदला ।`छुपे रहस्य कहानियाँ । Chhupa Rahasya Kahaniyan) और इसके जैसी कहानियां
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