बात बहुत पुरानी है शायद 20 साल से भी ज्यादा बीत गए होंगे! राजस्थान बीकानेर के एक गाँव में एक सुन्दर और अच्छी ‘रति’ नाम की लड़की अपने परिवार के साथ रहती थी परिवार भी सही था बस उस परिवार को अपनी बेटी रति की चिंता कई दिनों से थी क्यूंकि रति की उम्र 28 साल हो गई थी जबकि गाँव में लड़कियों की शादी जल्दी ही छोटी उम्र में कर दी जाती थी, रति पढ़ी-लिखी और समझदार होने के साथ सुन्दर भी थी मगर फिर भी कई सालों से उसके साथ रिश्ता जोड़ने को कोई परिवार तैयार नहीं हुआ था जिसका कारण उसके सर पर किसी ऊपरी ताकत के असर का होना था लोग गाँव में उसके बारे में ऐसी बातें आए दिन करते रहते थे और यही कारण उसके अब तक कुंवारे रहने का भी बन गया था।
गाँव में जब कभी कोई बड़ा त्योहार जैसे दिवाली या होली आने को होता तो रति के घर वाले रति को कमरे में बंद करके रखते थे क्यूंकि रति पर वो ऊपरी शक्ति अपना असर ऐसे ही त्योहारों पर दिखाती थी जबकि रति के परिवार ने ऐसी ताकतों को हटाने के लिए उसका इलाज कराया हुआ था मगर वो इलाज होली और दिवाली जैसे त्यौहार पर काम नहीं करता था और त्यौहार आने से ठीक कुछ दिनों पहले फिरसे इलाज करा कर ही रति के सर से वो बुरी ताकत अपना असर हटाती थी।
आखिरकार आ गई वो घड़ी
ऐसे ही साल दर साल चलते हुए आज रति की उम्र 28 पार कर चुकी थी माँ-बाप को रति की शादी की चिंता (शुगर बीमारी की तरह अंदर से खाये जा रही थी) और खोखला किए जा रही थी, फिर एक दिन शहर से किसी रिश्तेदार के माध्यम से एक डॉक्टर लड़के ‘अतुल’ का रिश्ता रति के लिए आया और इस बार बात बन गई हालांकि उनको भी उनके गाँव से जानकारों ने रति के हाल के बारे में आगाह किया मगर परिवार पढ़ा-लिखा और लड़का डॉक्टर
होने की वजह से सब इन बातों को आडम्बर मान कर जल्दी से शादी के लिए तैयार हो गए, दो महीनों बाद फ़रवरी में दोनों की शादी भी हो गई।
शैतान जिन्न ने मचाया कोहराम
अब रति शहर में अपने ससुराल के साथ रहने लगी उसके पति अतुल का क्लिनिक घर के पास ही था वो सुबह शाम काम पर जाता और बाकी समय परिवार और रति को देता।
एक महीने सबकुछ सही और सुखद ही चला फिर मार्च में होली से दो दिन पहले ससुराल में रति ऊपर वाले कमरे में सफाई कर रही थी और रति की सासु माँ नीचे कपडे धो रही थी कि अचानक सासु माँ को ऊपर वाले कमरे में से किसी मर्द के ज़ोर से बोलने की आवाज़ आने लगी तो उन्हें लगा की बहु तो अकेली ऊपर है तो ऊपर से मर्द की आवाज़ कैसे आ रही है? सासु माँ ने रति को 2-3 आवाजें दी मगर कोई जवाब नहीं आने पर सोचा कि चल कर देखती हूँ कि ऊपर कौन है? जैसे ही सासु माँ ऊपर कमरे के अंदर आई तो उनकी आँखें फटी रह गई और डर से दिल की धड़कन बेकाबू होने लगी, सासु माँ ने देखा की रति कमरे की दीवार पर बैठी है और ज़ोर-ज़ोर से मर्द की भारी आवाज़ में बोले जा रही है जैसे बहुत गुस्से में कोई अपना आपा खो देता है!
सासु माँ की चींख निकल गई और वो सीढ़ियों की तरफ भागी उधर सासु माँ की चींख से रति की नज़र अपनी सास पर पड़ी और उसने दीवार से अपनी सास के पीछे छलांग लगा दी सासु माँ हड़बड़ी में सीढ़ियों से गिर गई उनका सर फट गया और खून तेज़ी से बहने लगा उतने में रति भी वहाँ आकर खड़ी हो गई और वहीं सीढ़ियों पर बैठ कर मरदाना आवाज़ में हँसने लगी कुछ देर बाद रति के ससुर घर में आए तो उन्होंने रति की सास को इस हालत में देखा और रति को पास बैठे अपनी सास को घूरते हुए भी देखा, फिर ससुरजी अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल आ गए और अतुल को भी किसी से बुला भेजा..
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डॉक्टर ने सासु माँ की हालात को बहुत गंभीर बताया और उनको ICU में दाखिल कर दिया गया। सासु माँ का इलाज लम्बा चलने वाला था मगर उनको चोट कैसे लगी? इसका रति के अलावा किसी को पता नहीं था, अतुल के कई बार पूछने पर भी रति ने कहा कि मुझे नहीं पता कि कैसे सासु माँ सीढ़ियों से गिर गई, मुझे तो उनके गिरने के बाद पता चला कि वो सीढ़ियों से गिरी हैं।
उधर सासु माँ ग़फ़लत की स्तिथि में थी और किसी से कोई बात नहीं कर सकती थी, रति के मायके में भी इस बात का पता चलते ही वो लोग घर आ गए और रति की सास का सारा हाल जानने के बाद रति को उसके हमेशा वाले इलाज के लिए घर ले जाने के लिए अतुल और उसके पिताजी से बात करने लगे मगर अतुल ने साफ मना कर दिया और कहा हम ऐसी बातों में विश्वास नहीं करते जिसकी वजह से रति के घरवाले थोड़ा डर गए और सब ठीक रहे इसकी दुआ करने लगे और शाम को अपने घर लौट आए।
कसाई जिन्न का खूनी रूप
अब होली दहन वाले दिन सुबह से ही रति की तबियत बिगड़ने लगी वो किसी से भी बात नहीं कर रही थी बस कमरे में अंधेरा करके लेटी हुई थी अतुल भी सुबह उसको दवाई देकर क्लिनिक चला गया और जब दोपहर में घर आया तो देखा कि रति करवट लेकर दीवार की तरफ लेटी थी, अतुल को रति की पीठ दिख रही थी और किसी के गुर्राने की आवाज़ लगातार आ रही थी, अतुल को लगा कि रति ये अजीब से खरर्राटे क्यों ले रही है? पास जाकर
देखता हूँ, अतुल जैसे ही रति के चेहरे के पास गया तो उसने देखा कि रति की आँखें एकदम फटी हुई हैं और जागते हुए ही यह गुर्राने की आवाज़ वही निकाल रही है, अतुल के तो होश ही उड़ गए और उसने रति को कंधे से पकड़ कर झंजोड़ दिया जिससे रति बहुत आक्रमक रूप में आ गई, रति ने अतुल का हाथ पकड़ कर उसकी बाजू पर अपने दाँत गड़ा दिए जिससे अतुल ज़ोर से चींखा जिससे अतुल के पिताजी वहाँ आ गए, पहले तो उन्होंने रति को अतुल से खींच कर अलग करने की कोशिश की फिर जब बात नहीं बनी और अतुल का चिल्लाना जारी रहा तो उन्होंने भागकर मंदिर से गंगाजल लिया और कुछ मन्त्र पढ़कर रति के ऊपर छिड़क दिया जिससे उसकी पकड कुछ ढीली हो गई और अतुल उसे धक्का देकर कमरे में बंद करने में कामयाब रहा।
अतुल और उसके पिताजी दोनों जल्दी से रति को कमरे में बंद करके नीचे आ गए, फिर अतुल ने अपनी ससुराल कॉल किया और सब बात को बताते हुए उन्हें अभी घर आने को कहा, रति के पिताजी को तो इस बात का अंदाजा था ही इसलिए उन्होंने बिना समय गँवाए उस ‘दयाल’ नाम के व्यक्ति को साथ ले लिया जो हर बड़े त्यौहार पर रति को ठीक करता था और सब लोग रात को 11:30 बजे रति की ससुराल पहुँच गए।
दयाल अपने साथ अतुल, उसके पिताजी और ससुरजी को लेकर उसी कमरे में आ गया जहाँ रति को बंद किया हुआ था, दयाल ने कहा कि ‘यहाँ आप लोग जो भी देखने वाले हैं उससे आपको घबराना नहीं है और जैसा मैं कहूँ बस वैसा करते जाना है’ बस इतना कह कर दयाल ने रति वाले कमरे का दरवाजा खोल दिया और देखा कि रति के सर से खून बह रहा है और रति उसी खून से दीवार पर ‘अरबी’ भाषा में कुछ लिख रही थी
इतने में रति की नज़र सबसे पहले दयाल पर पड़ी और वो वहीं से दयाल के ऊपर कूद गई और उसके सर के बाल पकड़ कर उसका सर ज़मीन में मारने लगी, सबने दयाल को रति से छुड़ाने की बहुत कोशिश की मगर उसमें काफी समय लग गया और रति ने दयाल के जो सर के बाल पकडे थे वो जड़ से ही उखाड़ दिए मगर दयाल ने फिर भी खुद को संभाल लिया और रति को सबने मिलकर जैसे-तैसे काबू किया और फिर दयाल ने अपने मन्त्रों से रति का इलाज किया जिससे वो शांत हो गई फिर अतुल अपने ससुरजी के साथ रति को सर की पट्टी कराने के लिए अस्पताल ले गया जहाँ अतुल ने अपने ससुरजी से उनकी त्यौहार से पहले इलाज वाली बात नहीं मानने पर माफ़ी मांगी और रति को यह परेशानी कबसे है?
यह बात विस्तार से बताने को कहा उधर दयाल ने अतुल के पिताजी से अपने घर जाने से पहले कहा कि ‘मैं इस लड़की का इलाज 12 साल से कर रहा हूँ मगर पहली बार इस लड़की पर उस ‘कसाई जिन्न’ को इतने गुस्से में आते देखा है और मुझे तो अब आगे के लिए डर लग रहा है, कि कोई अनहोनी न घट जाए, आप लोग ध्यान रखियेगा’ बस इतना कह कर दयाल कार में बैठ कर अपने गाँव के लिए निकल गया…।।।
यह किस्सा कई सवाल खड़े करता है और कोई भी किस्सा सवाल खड़े करके रह जाए वो सही नहीं होता इसलिए इस किस्से से जितने भी सवाल खड़े हुए हैं उन सभी सवालों का जवाब हम इस कहानी के अगले भाग यानी भाग-2 में देंगे..