शरारती 4 दोस्त
ये कहानी ‘मध्य प्रदेश’ के जिला ‘खंडवा’ के एक गाँव की है।इस गाँव में ‘मस्तमौला’ 4 दोस्तों की एक ‘टोली’ थी जिनकी उम्र लगभग 19-20 साल थी।वैसे तो ये चारों ‘कॉलेज विद्यार्थी’ थे मगर पूरे दिन धमा-चौकड़ी में बिताते थे, एक-दूसरे को छेड़ना, गाँव के लोगों से बिना वजह पंगे लेना तो कभी अजीब-अजीब शर्त लगाना।इन चार दोस्तों के नाम सुदेश, काशिफ, अज्जू और नमन थे।
खंडर या भूत बंगला?
एक रात चारों गाँव के बाहर किसी जंगल जैसी सुनसान जगह घूम रहे थे तभी उनको एक खाली, वीरान और खंडर जैसा बंगला दिखा और तीनों उसके बाहर खड़े होकर उसको कुछ देर नज़र गढ़ा कर देखते रहे फिर अज्जू को एक शरारत सूझी और वो बोला कि ‘किसी में अगर सच में दम है तो इस बँगले में आज रात रह कर दिखाओ, मैं उसको मान जाऊँगा और उसको 10 हज़ार रुपए भी कल ही दे दूँगा’ अज्जू के पिता जमींदार थे और पैसों की उसको कोई कमी नहीं थी इसलिए सबको उसकी बात पर यकीन था।
सुदेश, काशिफ और नमन इतने पैसे वाले नहीं थे और नमन के पिताजी तो मजदूरी करके अपना परिवार चलाते थे इसलिए नमन को पैसे की बहुत भूख थी।
शर्त लग ही गई
नमन ने कुछ सोचा और बोला कि ‘चलो मैं आज यहाँ रुक जाता हूँ कल सुबह अज्जू तू पैसे लेकर मुझे लेने आ जाना।ऐसा करने से तुम तीनों मेरा दम भी देख लोगे और मेरी 10 हज़ार रुपए की कमाई भी हो जाएगी’।अज्जू हँसते हुए बोला कि ‘ठीक है मेरे शेर, तू आज अपना दम दिखा ही दे फिर’ मगर याद रख अगर तू हारा तो तुझे मेरा सारे कॉलेज का काम करना होगा? इस पर नमन ने हाँ कहा और अज्जू से जोर से हाथ मिला लिया।
सुदेश और काशिफ दोनों हैरान थे और नमन को ये बेवकूफी करने के लिए दोनों मनाने लगे मगर नमन ने ठान लिया था कि वो अंदर रुकेगा और 10 हज़ार रुपए जीतकर ही दिखायेगा।
फिर नियम तय हुए जैसे नमन एक मिनिट के लिए भी बाहर नहीं आ सकता, अगर उसने कोई बाहर से मदद मांगी तो वो शर्त हार जायेगा और अगर कुछ उल्टा-सीधा हुआ तो सुदेश और काशिफ इसमें अज्जू का साथ देंगे और इस बारे में कोई बात किसी को नहीं बताएंगे।काशिफ और सुदेश दोनों ने नमन को एक आखिरी बार और सोचने और वापस घर जाने को कहा लेकिन नमन नहीं माना और बोला कि ‘दोस्तों तुम लोग जाओ कल सुबह मिलते हैं’।
भूत बंगले में नमन का प्रवेश
नमन अब उस डरावने, बदसूरत और वीरान बंगले में घुस गया इधर अज्जू ने सुदेश और काशिफ से कहा कि ‘मुझे नहीं लगता नमन अंदर पूरी रात रुक सकता है इसलिय हम यहाँ आस-पास रहकर उसकी निगरानी करेंगे क्यूंकि वो जैसे ही बाहर आ गया मैं शर्त जीत जाऊँगा और उससे अपना सारा कॉलेज का काम कराऊँगा’।फिर अज्जू सुदेश और काशिफ को लेकर उस डरावाने बंगले से कुछ ही दूरी पर खड़ा हो गया।नमन झाड़ियाँ, टूटे बंगले का मलवा और मकड़ियों के जालों को पार करता हुआ बंगले के अंदर आ गया, चाँदनी रात थी तो नमन को देखने में काफी आसानी हो रही थी।धीरे-धीरे ध्यान से चलते हुए नमन उस बंगले के एकदम बीच में आ गया और उसको ज़रा सी भी कोई परेशानी नहीं हुई।
इतना अजीब, ये क्या है?
रात का लगभग 1 बज रहा था और नमन बंगले के बीच में फर्श पर बैठ गया था उधर अज्जू, सुदेश और काशिफ थोड़ा घबराये हुए थे और नमन के बाहर आने का रास्ता देख रहे थे।
बंगले में बैठा नमन सोच रहा था कि ‘सुबह जब 10 हज़ार रुपए आएंगे तो उन रुपयों में से कुछ घर पर दे दूँगा और बाकी अपने ऊपर ही खर्च करूँगा, कॉलेज के लिए नये कपडे और जूते ले आऊँगा क्यूंकि अब मेरे पास वैसे भी कोई नए कपडे और जूते नहीं बचे हैं।
नमन अपने इनाम में मिलने वाले 10 हज़ार रुपए को खर्च करने की गणित में डूबा हुआ था फिर उसके कानो में पास वाले कमरे से कुछ लड़कों के हंसने की आवाज आने लगी उसने ध्यान लगा कर सुना तो वो समझ गया कि मेरे तीनों दोस्त इसी बंगले में हैं, मुझे छुपकर देख रहे हैं और हंस भी रहे हैं, अभी इनके पास जाकर इनको पकड़ता हूँ।
नमन पास वाले कमरे में गया मगर वहाँ कोई नहीं था फिर उसने दूसरे कमरे मे देखा तो वो कमरा भी खाली था और उस कमरे में से काफी ज्यादा बदबू आ रही थी तो नमन जल्दी से बाहर आकर बीच वाले कमरे में आ गया वहीं बैठ गया।
कुछ ही देर बाद नमन को किसी ने नाम से पुकारा, नमन उठा और सोचने लगा हो न हो ये तीनों लोग मेरे साथ मज़े ले रहे हैं इस बार मैं इनको ढूंढ़कर ही रहूँगा ऐसा सोचकर नमन इस बार जहाँ से आवाज़ आ रही थी बंगले का सबसे आखिरी वाला और पीछे वाला कमरा वहाँ के लिए जल्दी से चलता हुआ आगे बढ़ गया।सबसे पीछे वाले कमरे की छत लगभग आधी टूटी हुई थी इसलिए उस कमरे में चाँद की रौशनी पूरे में आ रही थी, नमन वहाँ पहुँचा तो देखा कि वहाँ उसके वो तीनों दोस्त नहीं थे मगर एक जवान लड़का एकदम कोने में दीवार की तरफ मुँह करके दर्द भारी आवाज़ निकाल रहा था।
नमन डरते हुए उसके थोड़ा सा पास पहुँचा तो उसने देखा कि उस लड़के के हाथ दीवार में धंसे हुए हैं और वो दर्द से कराह रहा है नमन को पास आता देख उसने अपना चेहरा नमन की तरफ कर दिया फिर नमन ने जो देखा उससे उसकी जान ‘हलक’ मे आ गई, नमन ने देखा कि उस लड़के का चेहरा ही नहीं था, उसके चेहरे की जगह एकदम सपाट मांस की खाल सी थी
बस फिर क्या था नमन वहाँ से भागा और उस लड़के की कराहने की आवाज़ पहले तो तेज़ होती गई फिर एकदम से बंद हो गई, नमन वहीं अपनी जगह आ गया अब कोई आवाज़ वहाँ नहीं आ रही थी।
शर्त पहले या जान?
नमन ने सोचा कि मैं यहाँ से जल्दी से निकाल जाऊं फिर उसने देखा कि अब कोई आवाज नहीं आ रही है और उसकी घड़ी में भी 2:40 बजे हैं तो उसको लगा कि अब कुछ ही देर की बात है अगर मैं यहाँ रुक गया तो मुझे सुबह ही 10 हज़ार रुपए और शेरदिल का तमका भी मिल जाएगा।
नमन ने अपनी सारी हिम्मत समेटी और उसी बीच वाले कमरे में बैठकर भगवान जी को याद करने लगाउधर सुदेश को बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था उसको बहुत बुरे ख्याल आ रहे थे तो उसने अज्जू से कहा कि यार अगर हमारे यार को कुछ हो गया तो हम अपने आप को कैसे माफ़ करेंगे? ये ‘भूत बंगला’ जैसा लग रहा है इसमें इतनी रात को कोई भी हादसा हो सकता है, चल अज्जू शर्त को छोड़ और अपने दोस्त को यहाँ से निकाल कर घर चल?काशिफ ने भी अज्जू से ऐसा ही करने को कहा जिस पर अज्जू नमन को बाहर निकलने और शर्त खत्म करने के लिए तैयार हो गया फिर तीनों उस भूत बंगले की तरफ अपने दोस्त को आवाज़ देते हुए चल दिए।दोस्त को लेने आए दोस्त
तीनों दोस्त बंगले में अंदर आराम से आ गए और नमन नमन कहकर आवाज देने लगे, कुछ ही देर में नमन की आवाज़ आई कि ‘कमीनो आखिर तुम लोग दोस्त को लेने आ ही गए,
चलो यहाँ सबसे पीछे वाले कमरे में आ जाओ’तीनों आवाज का पीछा करते हुए बाहर से ही सबसे पीछे वाले कमरे में जा पहुँचे और नमन को आवाज़ देने लगे मगर जवाब में कोई आवाज़ उनको नहीं मिली फिर वो ढूंढ़ते हुए उसी आधी छत टूटे कमरे में आ गएतीनों जैसे ही अंदर आए तो कोने में बैठा एक लड़का उनको मिला जिसने अपना सर पैरों के बीच में छिपाया हुआ था ज़मीन पर बैठकर दर्द भरी आवाज में कराह रहा था।काशिफ ने उसके पास जाकर उसका कन्धा पकड़ कर हिला दिया और बोला कि ‘हमारा दोस्त नमन कहाँ है?
फिर काशिफ की नज़र उस लड़के के पैरों की तरफ गई उस लड़के के पैर ज़मीन में धंसे हुए थे जिसको देखकर काशिफ झटके से पीछे को गिर पड़ा
अज्जू और सुदेश ने भी उस लड़के को पास से देखा और उसके पैर ज़मीन में धंसे हुए देखकर वहाँ से भागने लगे तभी उस लड़के ने अपना चेहरा ऊपर करके उनसे पूछा कि ‘कहाँ जा रहे हो नमन से नहीं मिलना अब क्या तुम्हें?
तीनों का हलक सुख गया, पैरों के नीचे ज़मीन नहीं रही बस किसी तरह पैर सर पर रखकर वहाँ से भागने में कामयाब हो गए।
भूत बंगले से बाहर आकर तीनों ने गहरी और लम्बी सांसे ली फिर अज्जू को अपनी गलती का पछतावा हुआ कि उसने अपनी मस्ती और मज़े के लिए अपने बचपन के दोस्त को मौत के सामने डाल दिया है।
काशिफ और सुदेश ने अज्जू को समझाया कि यह समय बस ये सोचने का है कि हमारा दोस्त कैसे सही सलामत बाहर आ सकता है फिर चाहे हमें अपनी जान ही जोखिम में क्यों न डालनी पड़े…।।।
आगे की कहानी अगले ‘भूत बंगला और 4 दोस्त भाग-2 में पढ़िए…