प्रिय पाठकों, हमें उम्मीद है कि आपको हमारी यह कहानी (बेचारी भूतनी की कहानी | भटकती Aatma ki kahani | पुरानी भूतिया हवेली की कहानी ) बहुत पसंद आएगी।
Horror Story | Bhoot ki Kahani | Ghost Stories | Horror Stories in Hindi for Reading | Chudail | Chudail ki Kahani | Darr | Jinn | Horror Story in Hindi | Horror Stories
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विक्की को ऐसा लग रहा था कि जैसे मानो कोई उसके सर के पीछे ही सिसक रहा हो, विक्की ने डरते (Darr) हुए पीछे मुड़कर देखा और उसको कुछ नहीं दिखा फिर उसने उठकर एक छोटे सोफे की तरफ देखा तो उसकी रूह काँप गई, वहाँ वही पहले वाली जच्चा औरत थी उसने अपने सारे बाल खोल कर अपने चेहरे पर डाले हुए थे, दोनों टांगे पसार कर वो ज़मीन पर बैठी थी और माथे पर हाथ मार-मार कर सिसक-सिसक कर रो रही थी!
फिर क्या हुआ “बेचारी भूतनी की कहानी” पूरी पढ़कर जाने…
बेचारी भूतनी की कहानी की भूमिका Darawani Chudel ki Kahani
नमस्कार दोस्तों! इस रोमांच के सफर में आपका स्वागत है!
हम अकसर यह सुनते रहते हैं कि जुल्म, हालात और बुरे वक़्त के आगे इन्सान घुटने टेक देता है, लाचार हो जाता है और कोई चारा नहीं मिलने पर इन्सान बेचारा हो जाता है या कहलाता है परन्तु क्या हो जब एक चुड़ैल या भूतनी बेबस हो, लाचार हो और बेचारी भूतनी हो जाए ? इस सच्ची घटना के बारे में जानकार हमें यह पता लगेगा कि इन्सान ही नहीं बल्कि भूतनी भी बेचारी हो सकती है!
चल पड़ा होटल व्यवसाय Horror Story in Hindi
बात 2018 की है और उत्तर प्रदेश के एक बड़े जिले ‘गौतम बुद्ध नगर’ में ग्रेटर नोएडा के एक अतिथिग्रह (गेस्ट हाउस) की है!
Chudail
सुबोध कुछ समय से व्यापार करने के लिए योजना बना रहा था लेकिन कोई योजना उसको जच नहीं रही थी, यही बात आये दिन वो सबसे करता रहता था
कि कोई ऐसा व्यवसाय किया जाये जिसमें मुनाफा बड़ा और जल्दी हो, एक दिन उसका ‘साला’ रतन एक योजना लेकर उससे मिलने आया, रतन को 2 वर्ष का अतिथिग्रह (गेस्ट हाउस) चलाने का अनुभव था और उसको इस व्यवसाय की बारीकीयाँ भी पता थी
Chudail ki Kahani
तो उसने यह प्रस्ताव अपने ‘जीजाजी’ यानि सुबोध को सुनाया और सुनकर ही सुबोध को यह प्रस्ताव काफी पसंद आया और इतना पसंद आया कि उसने अपने साले के साथ मिलकर अगले ही महीने से घर से 3 किलोमीटर दूर एक खाली पड़ी कोठी के मालिक से बात करके उस कोठी को अपना अतिथिग्रह (गेस्ट हाउस) बना लिया!
सुबोध और उसके साले रतन ने मिलकर सब साफ–सफाई की, बाजार से अपने इस होटल के लिए काफी चीज़ें खरीदी और विक्की नाम का एक 20 साल का लड़का रख लिया, इस लड़के का काम सफाई करना, मेहमानों को बाजार से सामान लाकर देना और ऐसे ही कई काम करना था बस ये समझ लीजिये जरुरत ही उसका किरदार निश्चित करती थी!
Horror Story in Hindi
सुबोध और रतन को पहले ही महीने में अच्छा मुनाफा देखने को मिला जिससे उनका हौसला काफी बढ़ गया, विक्की को भी यहाँ काम करने में मज़ा आने लगा और उसका भी मन यहाँ काफी लगने लगा!
होटल में नीचे चार कमरे थे एक बड़ा बरामडा था जिसमें उन्होंने गेस्ट की जानकारी लेने और खुद के बैठने के लिए कुछ सोफे, कुर्सियाँ और मेज डालकर एक रिसेप्शन बनाया हुआ था और ऊपर वाली मंज़िल पर बस एक कमरा बना रखा था और बाकि छत खाली थी, बराबर वाला प्लॉट काफी बड़ा था जो एकदम खाली पड़ा था प्लॉट के बीच में एक गोल छोटी सी ईमारत बनी हुई थी जिसमें कई खिड़कियाँ थी जो बाहर से देखने भर से काफी डरावनी लगती थी!
भूतनी ने दी दस्तक Chudail ki Kahani
होटल में लोग आते रुकते और चले जाते फिर नये लोग आ जाते ऐसे ही होटल को अच्छे से चलते हुए 2 महीने बीत चुके थे, फिर एक दिन अचानक दोपहर का समय था सुबोध और रतन घर पर खाना खाने गए हुए थे और विक्की भी होटल के दरवाजे के बाहर खड़ा होकर फ़ोन पर बात कर रहा था, कुछ देर विक्की फ़ोन पर बात करके जैसे ही अंदर आया तो वो चौंक गया क्यूंकि सोफे पर उसको एक औरत गंदे कपडे पहने और मिट्टी में सनी हुई दिखी, विक्की ने ध्यान से देखा तो उस औरत के पेट में बच्चा भी था
Chudail
विक्की को हैरानी इस बात की थी कि ये औरत उनके सामने से गुजरे बिना अंदर आई कैसे क्यूंकि विक्की तो होटल के दरवाजे पर ही खड़ा था!
विक्की ने उस औरत से कहा कि ‘कौन हो आप और आपको क्या चाहिए? इसपर उस औरत ने विक्की की तरफ देखा और कहा ‘मुझे हरिद्वार जाना है, मेरे साथ हरिद्वार चल‘ विक्की ने अब उसका चेहरा गौर से देखा, उसका चेहरा मिट्टी से तो सना था ही साथ में उसकी आँखें ऐसी थी मानो की उसकी आँखों में पुतली ही ना हो पूरी तरह से सफ़ेद आँखें देख कर विक्की डर गया
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उसने एक–दो बार उसको भगाने की कोशिश तो की मगर उसके “हरिद्वार चल” की रट से वो समझ गया कि ये नहीं मानेगी तो वह सुबोध को फ़ोन करने के लिए होटल से बाहर आया और बाहर आकर सब सुबोध को बता दिया, उधर से सुबोध ने कहा कि विक्की उसका ध्यान रख हम बस 5 मिनिट में आ रहे हैं!
विक्की सुबोध को फ़ोन करके अंदर आया तो उसका गला सुख गया वहाँ से वो महिला गायब थी मगर ज्यादा डरने की बात ये थी की इस बार भी विक्की होटल के दरवाजे पर खड़ा होकर बात कर रहा था और होटल से बाहर जाने और आने का रास्ता एकलौता वही दरवाजा था जिसके सामने खड़े होकर विक्की ने सुबोध से बात की थी और उस दिन किसी कमरे में उस दिन कोई मेहमान भी नहीं था इसलिय विक्की सदमे में आ गया और सुबोध के आने तक होटल के दरवाजे के सामने ही खड़ा रहा!
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सुबोध और रतन के आते ही विक्की ने दोनों को सारी बातें बता दी वो दोनों भी हैरान थे मगर उनको लगा विक्की कभी–कभी सूखा नशा भी कर लेता है तो कहीं ये उसके कारण न हो, ऐसा मानकर उन दोनों ने इस बात को ज्यादा तूल नहीं दी और विक्की से इस बात को भूलकर काम करने को कहा, मगर विक्की ने जब उनको उस सोफे का हाल दिखाया जहाँ वो महिला बैठी थी तो उन दोनों के प्राण सुख गए, वो सोफा गीली मिट्टी से सना हुआ था जैसे कोई किंचड़ से निकल कर सीधे उसपर बैठ गया हो और बस अभी उठकर ही गया हो!
Chudail ki Kahani
तीनों डर और असमंजस से उस सोफे को देखे जा रहे थे, कुछ देर बाद सब सामान्य हो गया मगर उस दिन से होटल में लोगो का आना काफी कम हो गया और जो लोग आते भी वो कोई न कोई शिकायत करके वहाँ से जल्दी चले जाते
एक शिकायत सभी की जरुर होती थी कि कमरे में से बहुत गन्दी बदबू आती है जैसे कोई मुर्दा शरीर काफी समय से सड़ रहा हो इसलिए अब मेहमानों का होटल में आना लगभग 90 फीसदी कम हो गया था!
सुबोध और रतन अपनी तरफ से काफी कोशिश कर रहे थे सुबह से शाम तक कई बार कमरों में तेज़ खुशबू वाला छिड़काव किया जाता बाहर को खुलने वाली हर खिड़की बंद कर दी गई और भी कई बदलाव सुबोध और रतन ने किए जिससे मेहमानों की बताई सभी शिकायतें दूर हो सकें, मगर उनके होटल व्यवसाय में कुछ सुधार नहीं हो रहा था वो बहुत परेशान थे और इस घाटे का कारण जानना चाहते थे!
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होटल में मेहमान किसी भी समय रुकने के लिए आ जाते हैं इसलिए एक–दो लोग हमेशा ही होटल में रहते हैं और जो मेहमान वहाँ रुके होते हैं उसको भी सेवा देनी होती है इसलिय एक व्यक्ति का हमेशा होटल में होना जरुरी होता है, सुबोध और रतन तो रात को 7-8 बजे ही घर चले जाते थे और विक्की ही होटल में रह कर सारा ध्यान रखता था, विक्की सुबोध और रतन के जाने के बाद खाना बनाता, खाता, थोड़ी देर फ़ोन चलाता और वहीं रिसेप्शन पर रखे बड़े सोफे पर सो जाता, यही रोज़ का उसका नियम था
फिर नज़र आई जच्चा चुड़ैल Darawani Chudail ki Kahani
एक रात होटल तो खाली चल ही रहा था, सुबोध और रतन भी घर जा चुके थे और विक्की खाना खाकर होटल की सभी बत्तीयां बंद करके अपना फ़ोन चला रहा था
इतने में उसके कानों में किसी के धीरे-धीरे सिसकने की आवाज़ आई उसने फ़ोन में देखा तो उसको कुछ नहीं मिला फिर उसने सोफे पर लेटे हुए पीछे देखा वहाँ भी कुछ नहीं था
Chudail
उसको लगा उसको कोई ग़लतफहमी हुई है, वो फिरसे अपने फ़ोन में लग गया फिर कुछ सेकंडों बाद उसको फिरसे किसी के सिसकने की आवाज़ आने लगी, इस बार ये आवाज़ पहले से काफी तेज़ थी और विक्की को ऐसा लग रहा था कि जैसे मानो कोई उसके सर के पीछे ही सिसक रहा हो, विक्की ने डरते हुए पीछे मुड़कर देखा और उसको कुछ नहीं दिखा फिर उसने उठकर एक छोटे सोफे की तरफ देखा तो उसकी रूह काँप गई,
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वहाँ वही पहले वाली जच्चा औरत थी उसने अपने सारे बाल खोल कर अपने चेहरे पर डाले हुए थे, दोनों टांगे पसार कर वो ज़मीन पर बैठी थी और माथे पर हाथ मार–मार कर सिसक–सिसक कर रो रही थी!
ये दृश्य किसी शेरदिल व्यक्ति को भी विचलित कर सकता था तो विक्की किस खेत की मूली था, विक्की चिल्लाकर बाहर भागा तो वो चुड़ैल भी सरकती हुई उसके पीछे आई और उसको पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया मगर विक्की वहाँ से बाहर भागने में सफल रहा, विक्की ने एक ही सांस में ‘श्री हनुमान चालीसा’ पढ़ डाली थी, उसको कुछ सूझ नहीं रहा था
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उसने समय देखा तो रात के 1 बजे थे, विक्की ने सुबोध को फ़ोन किया, इतनी रात को फ़ोन आने से सुबोध भी घबरा गया, सुबोध ने फ़ोन उठाया तो उधर से विक्की ने अपनी डरी हुई, कांपती और हकलाती आवाज़ में उस चुड़ैल से अपना सामना होने की बात बताई जिससे सुबोध भी डर गया और उसने रतन को फ़ोन करके तुरन्त होटल जाने को कहा
जैसे ही रतन होटल पहुँचा तो उसने विक्की को होटल के दरवाजे के सामने ही खड़ा पाया, रतन और विक्की ने डरते हुए साथ मिलकर होटल के रिसेप्शन वाले बरामदे में प्रवेश किया तो वहाँ कोई नहीं था, विक्की रतन को उस सोफे के पास ले जाता है जहाँ वो ‘भूतनी’ दिखी थी,
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फिर जो उन्हें दिखा उसको देख कर दोनों अंदर तक थार्रा गए, सोफे के पीछे काफी किंचड़ पड़ी थी जैसे कोई वहाँ काफी देर बैठा रहा हो और खिसक कर बरामदे के बाहर गया हो, ऐसा दूसरी बार हो रहा तो अब इसको हलके में लेना बेवकूफी थी इसलिए रतन ने उस किंचड़ के निशानों की अपने फ़ोन से तस्वीरें ली और इसका एक वीडियो भी बनाया!
मौलवी ने फैलाया ठगी का जाल Bhoot ki Kahani
अगली सुबह सुबोध के आते ही तीनों ने मिलकर चर्चा की और वो तस्वीरें और वीडियो कोठी के मालिक को भेज दी और अबतक की सारी घटनाएं उसको विस्तार से फ़ोन पर ही बताई, कोठी का मालिक बिना ज्यादा सवाल–जवाब किए उनकी बात मान गया और उसने एक मौलवी को तुरन्त भेजने की बात कही और फ़ोन रख दिया, उसके इतनी जल्दी बात मान लेने से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसको उस भूतनी के प्रकोप का पहले से अनुभव है और शायद उसकी कोठी इतने समय से खाली होने का यही एक कारण था!
इस घटना के दो दिनों बाद लगभग 60 वर्ष का एक ‘मौलवी’ होटल में आ गया और सुबोध से आकर बोला कि ‘मुझे कोठी मालिक ने भेजा है, मुझे सारी बात खुलकर बताओ, मैं सब ठीक कर दूँगा‘ सुबोध ने रतन और विक्की को साथ बैठाया और तीनों ने मिलकर मौलवी को सभी घटनाओं को विस्तार से बता दिया, मौलाना ने सुबोध को कुछ ताबीज़ दिये और कहा कि ‘इनको तुम्हें होटल के मुख्य दरवाजे, छत और रिसेप्शन पर लगाने हैं, वो भूतनी अब नहीं आएगी और तुम्हारा काम भी ठीक हो जायेगा‘
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ऐसा कह कर वो सुबोध से 21,000/-₹ ले गया, उस दिन से होटल में वो चुड़ैल तो नहीं दिखी मगर होटल में अभी भी मेहमानों का आना बहुत कम था, होटल में तबीज़ लगाए 3 दिन हो चुके थे मगर काम में सुधार नहीं दिख रहा तो सुबोध और रतन सुबह आते और पूरे दिन खाली बैठ कर चले जाते, दोनों के मन में काम को लेकर काफी मायूसी थी!
सुबोध अगली सुबह घर में बैठा नाश्ता कर रहा था उसकी पत्नी कपडे धो रही थी और उसका 7 साल का बेटा दूसरे कमरे में बैठा टीवी देख रहा था, अचानक सुबोध का बेटा चिलाते हुए सुबोध के पास आया और बोला कि ‘पापा उस कमरे में मुझे एक काली परछाई दिख रही है और मुझे डरा रही है, आप उसको भगा दो नहीं तो वो मुझे मार देगी‘
Darawani Chudail ki Kahani
बेटे की आवाज सुनकर सुबोध की पत्नी भी कमरे में आ गई फिर सुबोध और उसकी पत्नी ने उस कमरे में जाकर देखा देखा तो कोई परछाई वहाँ नहीं थी, पत्नी सुबोध से बोली कि ‘हमारे घर में कुछ तो गड़बड़ है, 3-4 दिनों से मुझे रोज़ डरावने सपने आ रहे हैं, कभी शमशान में खड़ी देखती हूँ खुद को तो कभी घर में लाशों के ढ़ेर नज़र आते हैं, हमारी 2 साल की बेटी भी रोते हुए उठती है और अब बेटा भी काली परछाई से डर गया, इसलिय मुझे अब इस घर में बहुत डर लगने लगा है ऐसा लगता है जैसे मानो कि कभी भी कोई अनहोनी हो जाएगी‘
सुबोध ने सारी बातें सुनी और सोचा कि कहीं होटल वाली ‘भूतनी’ ने तो घर पर हमला नहीं कर दिया, पत्नी को जल्दी ही इलाज हो जायेगा ऐसा बोलकर सुबोध होटल आ गया जहाँ उसने रतन से सारी बातें बताई और दोनों ने उसी मौलवी को बुलाकर घर का भी इलाज कराने को फैसला किया! मौलवी ने सुबोध को बताया कि ‘ये वही होटल वाली चुड़ैल का काम है, मैंने अपने इलाज से होटल तो सुरक्षित कर दिया मगर इसने अब आपके घर पर हमला कर दिया, अगर आप मुझे समय पर नहीं बुलाते तो बच्चों के साथ कोई बड़ा हादसा हो सकता था‘ इतना कह कर मौलवी ने
Chudail ki Kahani
घर में झाड–फूंक की और वहाँ भी ताबीज़ घर के हर मुख्य कोनों में लगवा दिये! इस झाड फूंक के मौलवी ने 51,000/-₹ लिए और सुबोध के काफी कहने पर भी पैसे कम नहीं किए और कहा ये बहुत ‘खतरनाक शैतानी शक्ति’ है इसको काबू करना और इसको परिवार से दूर रखना आसान नहीं है, इसलिय खर्चा तो यही रहेगा इतना सुनकर सुबोध ने मौलवी को पैसे दे दिये और वो होटल आ गया!
कुछ दिन बीते होटल और घर दोनों में शान्ति थी मगर होटल में काम एकदम शून्य हो गया था होटल का खर्चा सुबोध और रतन को घर से उठाना पड़ रहा था, सुबोध बहुत परेशान था और उसका पूरा दिन यही सोचने में जाता था कि आखिर इलाज के बाद भी काम में सुधार क्यों नहीं हो रहा?
Darawani Chudail ki Kahani
एक दिन सुबोध के होटल जाने के बाद उसकी पत्नी नहाने जा रही थी उसने जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खोला तो देखा कि अंदर एक किंचड़ में सनी जच्चा औरत सारे बाल खोलकर नल के नीचे बैठी है और पानी उसके सर पर पड़ रहा है, दोनों ने एक–दूसरे को देखा, सुबोध की पत्नी डरकर वहाँ से भागी और नीचे आकर सुबोध को फ़ोन किया, सुबोध घर आया और पूरे घर में देखा तो उसको कुछ नहीं मिला, सुबोध ने मौलवी को फ़ोन करके अभी घर आने को कहा,
कुछ ही देर में मौलवी वहाँ आ गया, सुबोध ने मौलवी को घर की आज की बाथरूम वाली बात बताई और यह भी बताया कि होटल में काम बिलकुल नहीं चल रहा है इसपर वो मौलवी बोला कि ‘मैंने जो ताबीज़ दिये थे उसमें से कुछ ताबीज़ किसी ने वहाँ से हटा दिये हैं जिसकी वजह से उस शक्ति ने इस घर में फिरसे प्रवेश किया है,
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वो शक्ति बहुत ताकतवर है इसलिए वो आपका काम भी चलने नहीं दे रही, मैं एक बड़ी साधना करूँगा जिससे आपके घर और होटल में तो एकदम हमेशा के लिए शान्ति हो ही जाएगी साथ में आपका काम भी पहले से बेहतर चल पड़ेगा, मगर ये साधना कोई आम साधना नहीं है इसलिए इसमें आपका 1,51,000/-₹ का खर्च आएगा’
सुबोध तो पहले ही इतने पैसे दे चुका था, कोई खास आराम भी उसको नहीं पड़ा था और खुद को वो मौलवी के द्वारा ठगा महसूस करता था तो उसने कहा कि ‘अभी तो पैसे नहीं है और काम भी नहीं चल रहा, हम आपको पैसों का प्रबंध करके बुला लेंगे‘
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ये सुनकर मौलवी वहाँ से चला गया मगर उस दिन से होटल और घर में दिक्कत और अशांति होने लगी, कभी होटल में विक्की सोते हुए दब जाता और रात को उसको पूरे होटल में किसी के गुर्राने की आवाज़ आती रहती उधर घर में बच्चे आये दिन डर कर रात में रोते हुए उठ जाते तो कभी पत्नी को बुरे व खौफनाक सपने आये दिन दिखते रहते!
दोस्त ने पकड़ी भूतिया समस्या की नब्ज़ Horror Stories
सुबोध घर में भी और होटल में भी इन बातों से घिरा था इसलिय वो बहुत परेशानी में चल रहा था फिर एक दिन उसने अपने बचपन के दोस्त जतिन को फ़ोन किया, सुबोध इतना तो जानता था कि उसका दोस्त ‘काली माँ’ का पुजारी है, काली माँ की पूजा और साधना करता है मगर वो शैतानी शक्तियों का इलाज भी करता है ये उसको जतिन से बात करके पता चला, बस फिर क्या था सुबोध ने अपने दुखों का पिटारा जतिन से आगे खोल दिया और उसको तुरन्त अपने पास आने को कहा!
अगले ही दिन जतिन दिल्ली से ग्रेटर नोएडा सुबोध के पास उसके होटल जा पहुँचा, चाय नाश्ते के बाद जतिन ने पूरे होटल का जायज़ा लिया, विक्की, रतन और सुबोध से विस्तार में बात की और चार नींबू लाने को कहा,
Chudail ki Kahani
चारों नींबू बीच से काट कर उनको पहले छत पर फिर रिसेप्शन पर और आखिर में कोठी के मुख्य द्वार पर जब डाला तो वो सभी नींबू के आठों कटे हुए टुकड़े हर बार हर जगह उलटे ही गिरते रहे, फिर जतिन ने उस होटल के शौचालय का मुआयना किया तो पाया कि उस शौचालय में ऐसा लग रहा था मानो जैसे पचासियों लोग एक साथ ज़ोर–ज़ोर से बातें कर रहे हों और रिसेप्शन से लेकर हर होटल के कमरे तक इतनी खुशबू का रोज़ छिड़काव होने के बाद भी इंसानी मुर्दा सड़ने की दुर्गन्ध फैली हुई थी,
अब जतिन ने बाहर आकर होटल वाली कोठी के आस–पास देखा तो पाया की एक तरफ तो एक और खाली कोठी थी जिसमें किराये पर कुछ लोग रह रहे थे और दूसरी तरफ एक खाली प्लॉट पड़ा था बस बीच में एक गोल गुमब्द नुमा एक छोटी सी गोल ईमारत बनी थी जिसमें ऊपर की ओर कई खिड़की थी जैसा मानो वो कोई भूतबांग्ला हो!
Ghost Story
जतिन सभी लोगो को लेकर अंदर आता है और ये सब उन तीनों को बताता है और विक्की से पूछता है कि ‘ये दोनों तो रोज़ होटल आकर घर चले जाते हैं तू ये बता तुझसे कोई गलती तो नहीं हुई जिसकी वजह से यह ‘आफत’ तुम सबके गले पड़ गई हो?
विक्की ने कहा कि ‘नहीं बस बराबर वाले खाली प्लॉट में मैं कभी–कभी कूड़ा डाल देता हूँ और छत पर अगर बैठा हूँ और पेशाब आ जाये तो प्लॉट में कर देता हूँ, ये तो कोई बड़ी बात या गलती नहीं है‘ जतिन ने विक्की को गालियाँ दी और कहा कि ‘तेरे ऐसे कामों से ही चिढ़कर वो ‘भूतनी’ इस होटल में घुसी है और ये सारा बवाल इसलिए हुआ है और तू कह रहा है‘ ये तो कोई बड़ी बात या गलती नहीं है!
Chudail
सुबोध ने कहा ‘जतिन ठीक से बता क्या हुआ, कैसे हुआ? जतिन ने विस्तार से सब बताना शुरू किया ‘मैंने जब होटल का मुआयना किया और सभी नींबू के टुकड़े उलटे गिरे,
मैं तभी समझा गया था कि यहाँ कुछ बहुत बड़ा और ख़तरनाक है और अभी तक भगवान की कृपा है कि यहाँ या सुबोध के घर कोई मौत नहीं हुई इसी गलती की वजह से उसके पूरे आसार थे, पूरे होटल में मुर्दे के सड़ने की दुर्गन्ध, बाहर इतनी शान्ति होने के बाद भी शौचालय में इतने लोगों के शोर मचाने की वो डरावनी आवाजें या तुम्हारे काम का न चलना भी विक्की की इसी गलती का परिणाम है‘
Bhoot ki Kahani
सुबोध ने पूछा कि ‘जतिन यार क्या अब ये सब ठीक हो सकता है? जतिन ने सुबोध से कहा कि ‘मुझे आज रात ही मेरी काली माँ की साधना करनी होगी और तेरी तरफ से अर्ज़ी लगानी होगी वहाँ से इस घोर संकट का समाधान मिलेगा क्यूंकि ये गुत्थी बहुत उलझी हुई है इसलिय सुबोध तू मुझे एक दिन का समय देदे, मैं परसों आकर मेरी मईयाँ की कृपा से सब ठीक कर दूँगा‘ इतना कहकर जतिन वहाँ से दिल्ली वापस आ गया!
Bhootani ki Kahani
एक दिन बाद सुबोध ने जतिन को फ़ोन किया तो उसने आने का समय दोपहर के 12 बजे का बताया और उसी समय सुबोध के होटल में पहुँच गया जहाँ उसको सुबोध, रतन और विक्की सब मिल गए!
पहले तो जतिन ने उस मौलवी के सारे ताबीज़ होटल के हर कोने से हटाने को कहा फिर सबको बैठाकर कुछ सामग्री रखकर काली माँ की एक छोटी सी पूजा कराई और सामग्री से लोबान निकालकर जलाई और होटल की छत से लेकर होटल के सभी कोनों में उसकी सुगंध को छोड़ा जिससे सारी नकारात्मकता दूर हो सके और इंसानी मुर्दा सड़ने की दुर्गन्ध हमेशा के लिए ख़त्म हो जाये,
Bhoot ki Kahani
इन सबके बाद जतिन ने सामग्री से निकाल कर काली माँ की जोत पर से उतार कर सबको मन्त्र पढ़े ‘काले धागे’ गले में बाँधने को दिये जिससे उनपर कोई शैतानी शक्ति वार न कर सके, ऐसा ही जतिन ने सुबोध के घर जाकर भी किया और इस तरह से अब जतिन ने सुबोध का घर और होटल दोनों सुरक्षित कर दिये, जतिन उस चुड़ैल को मन्त्रों से बांधकर अपने साथ दिल्ली ले आया!
दो दिनों बाद सुबह 6 बजे ही जतिन ने सुबोध को फ़ोन कर दिया और उसको कहा कि ‘मैं आज तेरे होटल आ रहा हूँ कुछ बात करनी है‘ सुबोध थोड़ा डर गया और पूछा ‘सब ठीक तो है जतिन?
बेचारी भूतनी की आपबीती Chudail ki Kahani
जतिन ने कहा ‘मैं आकर बताता हूँ‘ दोपहर को सभी लोग फिरसे मिले और जतिन ने बोलना शुरू किए ‘सुबोध मैं अपने साथ इस होटल वाली चुड़ैल को ले गया था, सोचा था इसको “काली माँ” की जोत की अग्नि में भस्म कर दूँगा मगर उस चुड़ैल ने कल रात मेरे सपने में आकर अपनी व्यथा, अपनी दुख भरी आपबीती सुनाई तो मैं हिल गया और इसलिए आज मैं तुम्हारे पास आया हूँ,
वो चुड़ैल, भूतनी तो है मगर वो बेचारी भी है इसलिए मैं उसको बेचारी भूतनी ही कहूंगा, काफी वर्ष पहले जब यह जगह विकसित नहीं थी तब आस–पास सारा विराना और जंगल था
Horror Story in Hindi
तब पास के लोग घर में शौचालय नहीं होने के कारण यहाँ शौच करने आते थे तो एक रात एक लड़की जिसके पेट में बच्चा था वह भी यहाँ इसी कारण आई जिसको आते हुए चार बदमाश लड़कों ने देख लिया और इसका पीछा करके इसका बलात्कार किया और यहीं बराबर वाले प्लॉट में इसको बेरहमी से मार कर गाड़ दिया और भाग गए, तबसे यह लड़की बेचारी भूतनी बनकर यहाँ रह रही है इस ‘बेचारी भूतनी’ ने अभी तक किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया है
Chudail
, विक्की ने इस बेचारी भूतनी के घर यानि बराबर वाले प्लॉट में कूड़े डालने और पेशाब करने की बदतमीज़ी न की होती तो वो इस होटल में कभी नहीं आती, मौलवी को भी ये सब यहाँ आने पर पता चल गया था मगर सुबोध उसको तुझसे बार–बार पैसे ठगने थे इसलिए उसने इस “बेचारी भूतनी” को अपने वश में करके तेरे घर पर छोड़ दिया और तेरे परिवार को डराने के लिए मजबूर किया, जिससे तू उससे बार–बार इलाज कराये और उसका लालची पेट भरता रहे!
मौलवी का पर्दा फाश Darawani Kahaniyan
मौलवी ने इस बेचारी भूतनी को मुक्ति का लालच भी दिया परन्तु इसको अपना गुलाम बना लिया और इससे बुरे काम कराता रहा, इसको मौलवी ने मुक्ति नहीं दी और ये ‘बेचारी भूतनी’ मजबूरी में परेशान होकर ऐसे काम करती रही!
अब यह “बेचारी भूतनी” उस मौलवी के नहीं मेरे वश में है और यह कई वर्षों से मुक्ति पाना चाहती है इसलिए जब यह सबसे पहले विक्की को पहली बार दिखी थी तब इसने “हरिद्वार” जाने की ही बात कही थी और यही बात कल रात रो–रोकर इसने मेरे सपने में भी कही है,
Horror Stories in Hindi
तो तुम लोग इसको अब हरिद्वार छोड़ आओ मैं इसको एक मिट्टी की हंडिया में डालकर, इस आत्मा को मन्त्रों से बांधकर और कुछ फल, फूल और मिठाई डालकर वो हंडिया तुम्हें दे रहा हूँ, तुम कल ही इसको लेकर हरिद्वार चले जाओ, यह “बेचारी भूतनी” जीवन–मृत्यु के चक्र से निकल जाएगी और हरिद्वार की हमारी पवित्र ‘श्री गंगा मैया’ में प्रवाहित होकर मुक्ति पा जाएगी‘
Bhootni ki Kahani
सुबोध और रतन ने अगली सुबह ऐसा ही किया और इस तरह वो “बेचारी भूतनी” मुक्ति पा गई!
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तब से आज तक सुबोध के होटल और घर दोनों जगह शान्ति है, साथ में उसका होटल भी पहले से अच्छा चल रहा है!
नाइंसाफी:
जुर्म किया किसी और ने और सजा किसी और ने पाई,
इंसाफ का उजाला जहाँ तक ना पहुँचा वहाँ नाइंसाफी की अंधीयारी छायी!
नोट: अपने डरावने सच्चे किस्से हमें बताएं, पैसा और नाम कमाएं!
पुरानी हवेली की कहानियाँ | Purani Haveli Ki Kahaniyan
प्रिय पाठकों, हमें उम्मीद है कि आपको हमारी यह कहानी (बेचारी भूतनी की कहानी | भटकती आत्मा की कहानी | पुरानी भूतिया हवेली की कहानी ) और इसके जैसी कहानियां
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