प्रिय पाठकों, हमें उम्मीद है कि आपको हमारी यह कहानी Pishachini का प्रेम जाल | Chudail | Darawni Chudail Ki Kahani | Real Horror Story in Hindi | Darr | Ghost Stories | Chudail ki Kahani |) बहुत पसंद आएगी। ऐसी ही और भी कहानियां पढ़ने के लिए हमारे साथ Dantakatha.com पर बने रहे। धन्यवाद
सुधीर तो आगे जा ही चुका था हम भी उसके पीछे हो लिए, ‘जंगल’ में जाकर जो देखा उसको देखकर हम दोनों भाइयों की ‘रूह’ काँप गई, ‘पैरों’ ने डर (Darr) से काँपना शुरू कर दिया और ‘हलक’ में जैसे ‘सूखा’ पड़ गया, हमने देखा वो ‘लाइबा’ जो इतनी ‘सुन्दर’ और ‘मासूम’ दिखती थी आज वो इतनी ‘खूंखार’ चुड़ैल (Chudail) दिख रही थी,
वो ‘नरमुण्डों’ की माला पहने एक ‘अग्नि कुंड’ के आगे बैठी है, उसके चेहरे पर उसके लम्बे ‘बाल’ बिखरे हुए थे, उसके आस-पास कई ‘तामसिक’ वस्तुएँ रखी थी जैसे ‘शराब’, ‘मांस’ आदि और वो जोर-जोर से ‘बांग्ला’ भाषा में किसी ‘मन्त्र’ का जाप कर रही थी, इतने में सुधीर भी आकर उसी अग्निकुण्ड के आगे बैठ गया और जोर-जोर से ‘सर’ हिलाने लगा, काफी देर ऐसा ही चलता रहा, ‘लाइबा’ ‘मन्त्र’ पढ़ती रही और सुधीर ‘सर’ हिलाता रहा फिर ‘लाइबा’ ने अपने दोनों हाथ हवा में उठाकर किसी ‘शक्ति’ को आने का निमंत्रण दिया!
फिर क्या हुआ “पिशाचनी का प्रेम जाल” पूरी कहानी पढ़कर जाने… Chudail ki Kahani
पिशाचनी का प्रेम जाल की भूमिका | Darawni Chudail ki Kahani
शक्तियाँ, सिद्धियाँ या कोई भी ‘विद्या’ हासिल करना अच्छी बात है क्यूंकि इनके सही उपयोग से ‘मानव जाति’ का बहुत भला होता है और इन ‘शक्तियों’, ‘सिद्दीयों’ और ‘विद्याओं’ को पाने वाले लोगों पर एक बड़ी जिम्मेदारी होती है और ये जिम्मेदारी इन शक्तिओं का सही उपयोग करने की होती है जिससे ‘मानव कल्याण’ हो सके लेकिन समस्या तब आती है जब लोग जल्दी ‘पैसा’ कमाने, जल्दी से ‘तरक्की’ करने या ‘असीम’ शक्ति पाने के लालच में अंधे होकर ऐसी ‘सिद्धियों, ‘शक्तियों’ और ‘विद्यायों’ का गलत उपयोग करके ‘मासूम’ लोगों को ‘गंभीर संकट’ में डाल देते हैं!
रहस्यमयी ढंग से किशोर हुए गुमशुदा | Real Horror Story in Hindi
मेरा नाम अतुल अभिज्ञान है, मैं एक 52 साल का व्यक्ति हूँ और ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में ‘नौकरी’ करता हूँ, ये कहानी मेरे गाँव की है जो बिहार, जिला मुंगेर में पड़ता है! यह बात सन 2001 की है जब हमारे गाँव में अचानक से 15-20 साल के किशोर लड़के गायब होने लगे, उनके घरवाले बताते थे कि गायब होने से पहले वो लड़के ना तो घरवालों की बातें मानते थे ना ही किसी की सुनते थे बस घर से ज्यादातर समय बाहर ही रहते थे और एक दिन अचानक गाँव से गायब हो जाते थे!
4 लड़के बिलकुल इसी तरह पिछले 2 साल में गायब हो चुके थे! गाँव में 2 साल पहले ‘बंगाल’ से आए ‘पति-पत्नी’ भी रहते थे पति का नाम ‘तपन दास’ और पत्नी का नाम ‘लाइबा’ था और ‘लाइबा’ पर सबको इन लड़कों के गायब करने का ‘शक’ था क्यूंकि वो लड़के गायब होने से पहले लाइबा के घर के हमेशा आस-पास ही देखे जाते थे, Ghost Stories कुछ ‘लाइबा’ की ‘हरकतें’ ऐसी थी कि उसपर सबको ‘शक’ हो ही जाता था!
घर में घुसी गांव की आफत | Darr
यहाँ तक भी सब ठीक था मगर एक दिन ये गाँव की दिक्कत मुझे मेरे ही घर में दिखने लगी, मेरे बड़े भाई का बेटा और मेरा भतीजा ‘सुधीर’ कई दिनों से ऐसे ही खोया-खोया सा रहने लगा, ना तो मेरी और ना ही अपने माँ-बाप की बात मानता था
मानना छोडो उसने किसी की बात सुनना तक छोड़ दिया था, पूरे दिन घर से बाहर रहता था, ऐसा लगता था कि वो किसी और दुनिया में जी रहा है! यह सब मैं और मेरा परिवार देख रहा था और हम सब गाँव के लगातार ‘किशोर’ लड़के गायब होने वाली घटनाओं से भी ‘परिचित’ थे इसलिए हमारी चिंता ‘डर’ Darr का रूप ले चुकी थी मगर समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या किए जाए?
सुधीर से हम काफी बार उसको बैठाकर प्यार से और ‘डराकर’ भी उसकी ऐसी स्तिथि का कारण पूछ चुके थे मगर वो कुछ बात ही नहीं करता था और इस बारे में ना ही कुछ बताता था! उधर ‘लाइबा’ के बारे में गाँव में ये बात फैली हुई थी कि ‘लाइबा’ ने ही गाँव के चारों लड़कों को गायब कराया है, इसी शक के आधार पर गाँव में कई ‘पंचायत’ हो चुकी थी जिसमें हर बार पंचायत ने फैसला ‘लाइबा’ के हक़ में सुनाया था,
इतना ही नहीं ‘पुलिस शिकायत’ करने पर भी उसके खिलाफ कोई ‘सबूत’ ना मिलने से पुलिस भी उसका कुछ नहीं कर पाई थी!
छोटा भगत ज्ञान बड़ा | Ghost Stories
मेरी और मेरे परिवार की चिंता सुधीर की हालात को लेकर बढ़ती जा रही थी, फिर एक दिन किसी ‘रिश्तेदारी’ में मेरा जाना हुआ जहाँ हमारी इस समस्या के ‘समाधान’ के लिए मेरे ‘मासी’ के लड़के ने मुझे एक ‘तरुण’ नाम के 19 वर्षीय लड़के से मिलवाया जो अभी ‘भगत’ बना था और लोगों के ऊपर से बुरी और काली शक्तिओं को अपने इलाज से हटाता था!
Ghost Stories
सच कहूँ तो वो लड़का मुझे अपने घर के इलाज के लिए इतना जमा नहीं क्यूंकि मैंने इस क्षेत्र में काफी उम्रदराज़ लोगों को ही इलाज करते देखा था और उनपर ही मेरा विश्वास था इसलिए मैंने उस लड़के से मिलकर अपने घर के बारे में ज्यादा बात नहीं की मगर मेरी ‘मासी’ के लड़के के जोर देने पर मुझे उस ‘भगत’ ‘तरुण’ को सब बताना पड़ा, मुझे तो उससे कोई ‘उम्मीद’ नहीं थी
मगर फिर उसने ऐसा कुछ कह दिया की मुझे उस भगतको गंभीरता से लेना पड़ा उसने कहा कि आपके ‘भतीजे’ और आपके पास ज्यादा समय नहीं है, दो महीने बाद आने वाली ‘होली’ पर वो भी सब लड़कों की तरह गायब हो जायेगा और आप कुछ नहीं कर पाओगे, उस ‘भगत’ ने आगे कहा मैं जनता हूँ आपको मुझपर यकीन नहीं है
Chudail ki Kahani
मेरी उम्र ही इतनी कम है की लोग इतनी जल्दी मुझपर यकीन नहीं करते, ‘भगत’ ने कहा कि आप एक काम करो मैं आपको एक ‘भभूत’ दे रहा हूँ उस ‘भभूत’ को आप एक ‘चुटकी’ सुधीर के खाने में मिला देना फिर अगले दिन उसका ‘बर्ताव’ देखकर आप खुद पता लगा लोगे कि मैं आपकी मदद कर सकता हूँ या नहीं!
मुझे उस भगत पर ‘विश्वास’ तो नहीं था फिर भी मैंने वो ‘भभूत’ ले ली और घर आकर अपने बड़े भाई को ये सब बताया तो उन्होंने कहा कि एक बार ‘कोशिश’ करने में कोई ‘हर्ज़’ नहीं है वैसे भी हम इतना परेशान हैं और कोई इलाज भी अभी हमें नहीं मिल रहा! उसी रात को खाने में सुधीर को भाभी ने वो ‘भभूत’ मिलाकर खाना खिला दिया!
वैसे तो सुधीर रोज खाना खाकर बाहर जाता था और रात को देर से ही आता था लेकिन आज वो कहीं नहीं गया और जल्दी ही सो गया फिर अगली सुबह उठकर कहने लगा कि मैं बहुत ‘हल्का’ महसूस कर रहा हूँ! काफी दिनों बाद सुधीर सब परिवारवालों से अच्छे से बात कर रहा था, मैंने और बड़े भाई ने ‘तरुण भगत’ को घर बुलाने का फैसला किया!
तीन दिनों बाद वो ‘भगत’ घर आए इतने में सुधीर फिर पहले वाले हाल पर वापस चला गया! तरुण तीन दिनों बाद घर आया और उसने सुधीर को अपने सामने बैठाकर उससे कुछ सवाल किए जिसका सुधीर ने ठीक से जवाब नहीं दिया और घर से निकलकर चला गया, तरुण ने हमें बताया कि जब मैंने आपको ‘भभूत’ दी थी तो उसका ‘असर’ सुधीर पर तो हुआ ही था
साथ में जिसने सुधीर पर क्रिया की हुई है उसको भी इस बात की ‘भनक’ लग गई थी इसलिए उसने अब सुधीर पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है फिर भी मैं आपको एक ‘सामग्री’ की पोटली दे रहा हूँ वो सुधीर के सोने के बाद उसके ऊपर से 7 बार उतार कर ‘चौराहे’ पर रख देना उससे सुधीर ठीक हो जायेगा, तरुण के जाने के बाद जब सुधीर घर आया तो हमने ऐसा ही किया, सुधीर अगली सुबह एकदम ठीक हो गया, उसका चेहरा ही बता रहा था के वो अब पहले से काफी ठीक है!
हर इलाज लाइलाज करती पिशाचनी (Chudail)
हमारी खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रही, एक हफ्ते बाद सुधीर को उसका कोई दोस्त बाहर ले गया और जब सुधीर घर लौटा तो हम उसकी हालत देखकर डर गए क्यूंकि उसकी आँखें एकदम खुनी लाल हो रखी थी, चेहरा सूजा हुआ था और उसकी टाँगे काँप रही थी, हम जल्दी उसको डॉक्टर के पास ले गए जहाँ डॉक्टर ने उसको एक इंजेक्शन लगाकर और दवाई देकर भेज दिया मगर घर आकर सुधीर की हालात में हमें कोई फर्क नहीं लगा,
हमने अगले दिन सुधीर को लेकर तरुण के पास उसके घर चले गए, तरुण ने सुधीर के लिए ‘हलवा’ बनवा दिया, हलवा सुधीर के सामने आया तो उसने हलवा खाने के लिए जैसे ही चम्मच में लिया फिर उसको ‘सुंघा’ और पूरी थाली भरा हलवा फेककर तरुण के घर से बाहर आ गया, हम सबने उसको रोकने की बहुत कोशिश की मगर फिर तरुण ने हमसे कहा कि इसको जहाँ जाना है जाने दो, इसको छोड़ दो!
हम काफी देर तरुण के पास बैठे रहे और पूछते रहे कि ये सब क्या हो रहा है और क्या हमारा बच्चा कभी ठीक हो पायेगा? तरुण ने कहा मैं अभी सुधीर को बुलाकर उसके साथ अपने एक ‘देव’ को भेज देता हूँ जो उसकी रक्षा करेंगे और साथ-साथ मुझे उसकी सारी ‘खबर’ भी देते रहेंगे!
तरुण ने थोड़ी देर ध्यान लगाने के बाद कहा कि सुधीर अभी आ जायेगा, यह बात होने के बाद थोड़ी ही देर में सुधीर वहाँ आ गया और तरुण के घर के बाहर आकर घर की ‘पैड़ी’ पर बैठ गया जहाँ से तरुण उसको बुलाकर अंदर अपने ‘देवी-देवता’ के ‘पूजा’ वाले ‘धुनें’ पर ले आया और सबसे पहले तरुण ने सुधीर का ‘मत्था’ वहाँ उस ‘धुनें’ पर टिकवाया उसके बाद तरुण ने सुधीर से पूछा कि तुम जिस ‘औरत’ के पास जाते हो, क्या उसने तुम्हें कुछ दिया है?
इसपर सुधीर ने कहा हाँ ये ‘अंगूठी’ उसने मुझे दी थी और कहा था कि इसको कभी उतरना नहीं है, तरुण ने सुधीर से वो अंगूठी ले ली और हमें बहुत हैरानी हुई कि सुधीर ने बिना किसी ‘बहस’ के वो अंगूठी तरुण को दे दी आगे तरुण ने पूछा कि सुधीर तुमने अपनी कोई ‘वस्तु’ तो उस औरत को नहीं दी है इसपर सुधीर ने कहा की मैंने अपना ‘रुमाल’ उसको दे रखा है!
ये सुनकर तरुण थोड़ा गंभीर हो गया और सुधीर को अपने छोटे भाई के साथ घूमने भेजकर हमें बताने लगा कि वो औरत इसके पीछे हाथ धोकर पड़ी है, मैं जितनी बार भी सुधीर को ठीक करता हूँ वो किसी ना किसी तरह इसको फिरसे अपने ‘जाल’ में फंसा लेती है
क्यूंकि सुधीर का ‘रुमाल’ उसके पास है, वो उस रुमाल के जरिये ही सुधीर पर काबू रखती है और उसके साथ होने वाली हर घटना पर नज़र रखती है जब भी उसको लगता है कि उसकी पकड़ सुधीर पर कम हो रही है वो नया ‘जाल’ फेंककर फिरसे सुधीर को अपने ‘काबू’ में कर लेती है!
हमने पूछा कि क्या इस समस्या का कोई स्थाई हल नहीं है तो तरुण ने कहा कि मैंने अपने एक देव को सुधीर के साथ छोड़ दिया है अब कोई दिक्कत नहीं होगी! हम खुश होकर सुधीर को लेकर घर आ गए और कई दिनों तक सब एकदम ठीक रहा, सुधीर आराम से कहीं भी आता-जाता फिर भी सब ठीक रहता और हम दिल से तरुण को दुआयें देते रहते कि उसने हमारे बच्चे को ठीक कर दिया!
होली आने के 25 दिन बाकी थे, घर में सब ठीक चल रहा था फिर एक रात अचानक सुधीर सोते हुए अचानक उठ गया और अपना ‘सर’ जोर से हिलाते हुए खेलने लगा, उसकी तेज़ आवाज़ से मैं भी उठकर उसके पास गया तो देखा वो अपने होश में नहीं था उसके सर किसी ‘शक्ति’ की ‘सवारी’ आई हुई थी वो मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकाल कर ‘सर’ हिलाये जा रहा था
उसकी जबान पर जैसे ‘ऐंठन’ सी लग गई थी वो जब बोलता तब बहुत सारा ‘थूक’ ज़मीन पर गिर जाता ये ‘मंज़र’ ‘खौफनाक’ था इसको देखकर सबका दिल दहल उठा था, जैसे-तैसे हमने सुधीर के सर आई शक्ति को ‘शांत’ किया, सुधीर ‘शांत तो हुआ था मगर फिर भी वो ठीक नहीं था उसके चेहरे के हाव भाव बता रहे थे कि वो बड़ी ‘मुसीबत’ में है!
Darawni Chudail ki Kahani
अगले दिन हमने तरुण को जाकर ये सब बता दिया और उसको गाड़ी करके अपने साथ ही ‘घर’ ले आए! तरुण ने सुधीर का हाल देखा और अपना सर पकड़ लिया, तरुण ने कहा कि मैंने इतनी बार सुधीर का इलाज कर लिया इस बार तो अपने ‘देव’ को भी सुधीर की ‘रक्षा’ के लिए लगाया था
मगर उस ‘पिशाचनी’ ने मेरे ‘देव’ को भी सुधीर के पास से हटा दिया और उसको फिरसे अपने काबू में कर लिया, मैं हर बार उस ‘पिशाचनी’ का ‘जाल’ काटता हूँ और वो हर बार कुछ और बड़ा करके सुधीर को अपने ‘चंगुल’ में फंसा लेती है, ऐसा हर बार कैसे होता है? इसका जवाब अब सुधीर ही देगा मगर पहले उसको ठीक करना पड़ेगा!
ऐसा बोल कर तरुण ने पूजा शुरू कर दी, अपनी एक ‘देवी’ को सुधीर के ‘सर’ बुलाकर उससे सारी बातें और सब ‘सवाल’ जो हमारे मन में थे और तरुण को पूछने थे वो सभी ‘सवाल’ पूछे गए और उन सवालों के काफी ‘दिल दहला देनेवाले’ जवाब हमें मिले! ‘देवी’ ने सुधीर के सर आकर बताया के इसी गाँव में लाइबा नाम की एक औरत है जो किशोर लड़को को अपने सौंदर्य से
मोहित करती है, उनको अपने ‘प्रेम जाल’ में फंसाकर अपनी ‘पिशाचनी शक्ति’ को बढ़ाने और ‘बेशुमार दौलत’ पाने के लिए किशोर लड़कों की हर साल ‘होली’ और ‘दीवाली’ पर ‘नर बली’ देती है, पहले वो ऐसा ‘बंगाल’ में करती थी, जहाँ उसका राज खुलने वाला था इसलिय वो अब भागकर ‘बिहार’ आ गई और यहाँ आकर वही सब करने लगी है, लाइबा ने लोगों को दिखाने के लिए और सबके बीच रहकर अपना काम आराम से करने के लिए अपनी ‘पिशाचनी शक्ति’ से एक लड़के की ‘बुद्धि ‘घुमाकर उसको सबकी नज़रों में अपना पति दिखाया हुआ है,
अब उसकी नज़र सुधीर पर है लाइबा ने सुधीर के साथ कई महीने से उस ‘नर बली’ की सभी ‘रस्में’ पूरी की हुई थी और अब सुधीर उस ‘नर बलि’ के लिए एकदम तैयार था इसलिय ही लाइबा सुधीर को बार-बार अपने ‘वश’ में कर लेती है और जो भी ‘शक्ति’ सुधीर को बचाती है उसको वो अपनी ‘पिशाचनी शक्ति’ से या तो नष्ट कर देती है या फिर सुधीर से दूर कर देती है, इतना कहकर ‘देवी’ सुधीर के सर से चली गई और हम सब सोच में पड़ गए कि क्या सुधीर भी बाकि गाँव के किशोर लड़कों की तरह लाइबा की ‘नर बली’ का शिकार बनेगा?
अंत में चलाना ही पड़ा ब्रह्मास्त्र | Chudail ki Kahani
तरुण ने हम सभी घरवालों को बैठाया और कहने लगा कि आज आप सब लोगों को एक अहम फैसला लेना है, आप सब लोगों ने देखा कि मैंने सुधीर को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए मगर लाइबा ने अपनी ‘पिशाचनी शक्ति’ से मेरे सभी ‘प्रयास’ विफल कर दिये अब मेरे पास एक ही रास्ता है
मगर उसके लिए मुझे आपकी ‘अनुमति’ (इजाज़त) चाहिए क्यूंकि उसमें लाइबा की ‘पिशाचनी शक्ति’ को जड़ से मिटाने के लिए जो योजना मैंने बनाई है उसमें हमें सुधीर को ‘होली’ वाली रात लाइबा के पास भेजना पड़ेगा और इसमें सुधीर की ‘जान’ का ‘जोखिम’ तो है मगर इससे ही सुधीर और आपके परिवार को स्थाई ‘आराम’ मिलेगा, आगे आप जैसा कहें!
Ghost Stories
हमारे बच्चे सुधीर की जान ‘जोखिम’ में तो थी ही फिर चाहे हम तरुण की योजना में उसका साथ दें या ना दें और ‘होली’ भी पास ही थी तो हमारे परिवार ने बहुत ‘विचार’ करके तरुण को उसकी योजना में उसका साथ देने का ‘विश्वास’ दिलाया और तरुण से आगे की ‘कार्यवाही’ करने को कहा!
तरुण ने हमसे कहा कि अब हमें सुधीर को रोकना नहीं है वो जहाँ जाना चाहे उसको हमें जाने देना है, तीन दिनों बाद ‘होली’ है और मैं इतने एक ‘साधना’ करके अपने सभी ‘देवी और देवों’ की एक ‘टोली’ बना लेता हूँ जो हमारी ‘मदद’ करेंगे, मैं ‘होली’ की सुबह आपके घर आ जाऊँगा, इतना कहकर तरुण अपने घर चला गया!
होली वाले दिन तरुण काफी सारा सामान लेकर सुबह ही घर आ गया सुधीर तबतक सोकर भी नहीं उठा था, तरुण ने पहले हमारे पूरे घर पर ‘मन्त्र ‘पढ़कर ‘गंगाजल’ छिड़का जिससे लाइबा अगर कोई ‘पलटवार’ भी करे तो घरवाले सुरक्षित रहें फिर उसने घर में अपने साथ लायी ‘सामग्री’ के साथ काफी लम्बी ‘पूजा’ की उसके बाद उसने हमें ‘रात’ का इंतजार करने को कहा! सुधीर उठा और तरुण को देखकर उसको ‘घूरने’ लगा जैसे कह रहा हो कि मेरे कार्य में विग्न डालने तू यहाँ क्यों आया है!
शुरू हुई खूनी जंग Ghost Stories
रात का समय भी आ गया हमने लाइबा को सफ़ेद ‘बंगाली साड़ी’ पहने, पूरा ‘सिंगार’ किए और अपने लम्बे काले बालों को खुला छोड़कर ‘जंगल’ की तरफ जाते देखा, हम समझ गए कि अब सुधीर भी उसके पीछे जायेगा और ऐसा ही हुआ भी सुधीर कुछ ही देर बाद घर से ‘बेसुध’ होकर जल्दी-जल्दी चलता हुआ ‘जंगल’ की तरफ बढ़ गया! तरुण ने मुझे और बढ़े भैया को चुपके से सुधीर के पीछे जाने को कहा और कहा कि मैं साधना में बैठा हूँ, मैं अपनी देवी और देवों की ‘टोली’ सुधीर के पीछे भेज रहा हूँ जो उसकी और आपकी रक्षा करेगी!
सुधीर तो आगे जा ही चुका था हम भी उसके पीछे हो लिए, ‘जंगल’ में जाकर जो देखा उसको देखकर हम दोनों भाइयों के ‘रूह’ काँप गई, ‘पैरों’ ने डर से काँपना शुरू कर दिया और ‘हलक’ में जैसे ‘सूखा’ पड़ गया, हमने देखा वो लाइबा जो इतनी ‘सुन्दर’ और ‘मासूम’ दिखती थी आज वो इतनी ‘खूंखार’ (Chudail) दिख रही थी, वो ‘नरमुण्डों’ की माला पहने एक ‘अग्नि कुंड’ के आगे बैठी है, उसके चेहरे पर उसके लम्बे बाल बिखरे हुए थे,
उसके आस-पास कई ‘तामसिक वस्तुएँ’ रखी थी जैसे शराब, मांस आदि और वो जोर-जोर से ‘बांग्ला’ भाषा में किसी ‘मन्त्र’ का जाप कर रही थी, इतने में सुधीर भी आकर उसी ‘अग्निकुण्ड’ के आगे बैठ गया और जोर-जोर से ‘सर” हिलाने लगा, काफी देर ऐसा ही चलता रहा, लाइबा ‘मन्त्र’ पढ़ती रही और सुधीर सर हिलाता रहा फिर लाइबा ने अपने दोनों हाथ हवा में उठाकर किसी ‘शक्ति’ को आने का ‘निमंत्रण’ दिया मगर अब सुधीर को जैसे एकदम ‘होश’ सा आया और उसने अपना सर हिलना बंद करके एकदम सीधा खड़ा हो गया,
वो ‘शक्ति’ वहाँ आने ही वाली थी और लाइबा का पूरा ध्यान ऑंखें बंद करके उस ‘शक्ति’ को बुलाने पर था मगर इतने में सुधीर वहाँ से भाग निकला और उसके पीछे हम भी निकल गए, रास्ते में हमने सुधीर को पकड़ लिया और घर आ गए जहाँ तरुण ने सुधीर को ‘गंगाजल’ पिलाकर और उसपर से एक ‘उतारा’ करके गाँव के चौक पर रखवा दिया और कहा कि अब सुबह का ‘इंतजार’ करो मेरी ‘देवी और देवों की टोली’ ने अपना काम कर दिया है!
काले कर्मों का भारी भुगतान Darawni Chudail Ki Kahani
अगली सुबह हमने देखा तो लाइबा के घर के बाहर काफी लोग जमा थे तो हमने कारण पूछा तो किसी ने बताया की लाइबा कल रात काफी जल गई है और उसको शहर इलाज के लिए भेजा गया है इसलिय उसका घर भी बंद था!
हमें तरुण ने बताया कि जब हम किसी ‘शैतानी शक्ति’ को ‘बली’ देकर ‘प्रसन्न’ करने के लिए बुलाते हैं तो वो आती है और हमारे द्वारा पहले से तैयार ‘बलि’ लेकर चली जाती है इसमें ना तो देर होनी चाहिए और ना ही वो ‘शैतानी शक्ति’ फिर खाली हाथ जाती है,
अगर हम ‘बलि’ देकर देने से चुके तो वो उसका बहुत ही भयानक ‘दंड’ (सज़ा) हमें देती हैं जिससे हम जीवन भर ‘उबर’ नहीं पाते, ऐसा ही यहाँ लाइबा के साथ हुआ होगा उसने सुधीर को काफी समय से ‘नर बलि’ के लिए चुना हुआ था इसलिए लाइबा मेरे सभी इलाज की काट कर रही थी और ‘होली’ के आस-पास आकर मैंने लाइबा को यकीन दिला दिया की उसका ‘शिकार’ तैयार है और सुधीर की ‘बली’ देने में कोई भी ‘बाधा’ नहीं है
Darr
इसलिय उसने अपनी ‘शैतानी शक्ति’ को सुधीर की ‘बलि’ के लिए ‘होली’ वाली रात का ‘वचन’ दिया जिससे वो ‘शक्ति’ आकर ‘बली’ ले सकें और मैंने यहाँ से अपने देवी और देवों की टोली सुधीर को सही समय पर वहाँ से निकालने के लिए भेज दी, जिससे वो ‘शैतानी शक्ति’ जब ‘बली’ लेने आई तब तक सुधीर वहाँ से जा चुका था,
Chudail ki Kahani
अब लाइबा से उस ‘शक्ति’ ने ‘बली’ मांगी तो लाइबा सुधीर को ढूंढती रह गई और ‘शैतानी शक्ति’ ने उसी ‘अग्निकुण्ड’ की आग में लाइबा को ‘झुलसा’ दिया, अब लाइबा सुधीर तो क्या किसी को भी अपने ‘प्रेम जाल’ में ‘बली’ के लिए नहीं फंसा पाएगी!
इस हादसे के 10 महीने बाद लाइबा जब ‘गाँव’ लौटी तो उसने देखा कि उसका पति ‘गाँव’ का घर बेचकर जा चुका है, शायद लाइबा के पति पर से भी लाइबा का ‘जादू’ ख़त्म हो चुका था, लाइबा इतनी ज्यादा ‘झुलस’ चुकी थी कि उसकी तरफ देखा भी नहीं जा रहा था, ये सब उसके ‘कुकर्मों’ का ही ‘कड़वा फल’ था, लाइबा के पास ‘रोटी” खाने तक के पैसे नहीं थे इसलिय वो ‘बोरी’ लेकर ‘मंदिर’ की सीढ़ियों पर बैठ गई और भीख मांगकर अपना पेट भरने लगी और एक दिन लावारिस मौत मर गई है!
कुकर्मों का फल:
कुकर्मों का फल बहुत कड़वा होता है,
फूटता है कुकर्मों का घड़ा जब वो भरा होता है!
काम नहीं आती कोई सिद्धि-साधना उसके,
जिसके कर्मों पर काला रंग चढ़ा होता है!
नोट: अपने डरावने सच्चे किस्से हमें बताएं, पैसा और नाम कमाएं!
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