जिद्दी भूत की मज़ेदार कहानी | Majedar Horror Kahani | Part-2

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Bhoot ki kahaniफिर कोई आया

अब यह फ्लैट कई महीने खाली पड़ा रहता है फिर एक परिवार हिमाचल से आकर किराये पर घर ढूंढ़ते हुए इस फ्लैट के मकान मालिक से मिलता है तो मकान मालिक तुरन्त उनको चाबी देकर फ्लैट वाली बल्डिंग के नीचे यह कहकर छोड़ देता है कि ‘आप लोग आराम से फ्लैट देखकर मुझे मेरे घर पर मिल लेना अभी मुझे कुछ जरुरी काम है तो मैं जा रहा हूँ’ और इतना कह कर जल्दी से मकान मालिक वहाँ से निकल जाता है..

परिवार में पति और पत्नी जब अंदर आते हैं तो देखते हैं कि बैडरूम में टेबल पर सडी हुई कच्ची आलू-गोभी की सब्ज़ी पड़ी है, रसोई में सारे बर्तन ऐसे ही फैले पड़े हैं, घर में कपडे, कुर्सी, सोफा, बेड और यहाँ तक की चप्पल जूते भी जैसे के तैसे पड़े थे ये देखकर पति (राजकुमार) और पत्नी (नंदा) दोनों घबरा गए तो अब उनको इस फ्लैट की ऐसी स्तिथि पर शक़ होने लगा और यही कारण उनको मकान मालिक के अंदर न आने का भी लगा फिर बाहर आकर उन्होंने पड़ोस में जानकारी निकाली तो उस परिवार का पता चला जो रातों-रात ये फ्लैट खाली करके बिना कुछ भी सामान निकाले वहाँ से भाग गया था और इतने महीनों बाद भी आज तक नहीं लौटा..

मजबूरी में जोखिम लिया

राजकुमार और नंदा का परिवार आर्थिक तंगी से तो जूझ ही रहा था फिर कोई और फ्लैट इतने कम किराये में मिल भी नहीं रहा था और राजकुमार थोड़ा ओझा वाले काम जानता भी था तो इसलिए उसने इस फ्लैट में अपने परिवार के साथ रहने का फैसला किया मगर पहले राजकुमार अपने कुछ ओझा का काम जानने वाले साथियों के साथ फ्लैट में जाकर एक पूजा कर आया जिससे उसको अब यह फ्लैट अपने बच्चों और पत्नी के लिए सुरक्षित लगने लगा..

अपना सारा सामान लेकर राजकुमार और नंदा बच्चों सहित एक सुबह इस फ्लैट में आ गए और सामान जो वो साथ लाये थे उसको निकाल कर अपनी जगह रखने लगे, बच्चों को भी यह फ्लैट पसंद आ गया था

*जिद्दी भूत ने दी अपनी पहली दस्तक*

परिवार का पूरा दिन खुशी और शान्ति से गुज़र जाता है मगर रात होते-होते छोटे बेटे की तबियत बिगड़ गई उसको एक के बाद एक उल्टियां होती चली जा रही थी घर में ‘देसी नुस्खे’ करने के बाद जब छोटे बेटे (सौरभ) को बिलकुल आराम नहीं लगा तो राजकुमार छोटे बेटे को लेकर अस्पताल चला गया और नंदा बड़े बेटे (गौरव) के साथ फ्लैट में ही रुक गई,

रात ज्यादा होने पर राजकुमार ने नंदा को अस्पताल से फ़ोन करके कहा कि ‘सौरभ को अभी तो आराम लग गया है मगर सुबह तक अस्पताल में ही रखना पड़ेगा इसलिए मैं और सौरभ सुबह घर आ जायेंगे तुम दोनों आराम करलो’

नंदा ने फ़ोन रखा और गौरव के साथ खाना खाकर बैडरूम में सोने चली गई कुछ देर बाद दोनों को नींद आ गई,
कुछ देर बाद रसोई में बर्तन गिरने का शोर आने लगा और वो शोर बढ़ता ही जा रहा था जिससे नंदा की नींद खुली तो उसको लगा कोई बिल्ली दूध पीने के लिए रसोई में घुसकर बर्तन गिरा रही है इसलिए नंदा एक छोटा सा डंडा लेकर रसोई में घुसी तो देखा कि सारे बर्तन बिखरे पड़े हैं मगर वहाँ कोई नहीं है नंदा ने रसोई में आकर हर तरफ देखा मगर कोई नहीं था!

फिर अचानक उसकी नज़र जैसे ही छत पर पड़ी तो उसकी चींख निकल गई एक बूढा खून से सने डरावाने चेहरे वाला शैतान उसको छत से चिपक कर घूर रहा था, नंदा रसोई से बाहर दरवाजे की तरफ भागी तो बड़ा बेटा गौरव बुरी तरह डरकर चिल्लाने लगा और बेड से गिर गया, नंदा बैडरूम में आई और बेटे को उठाकर फ्लैट से बाहर निकल गई फिर नंदा ने राजकुमार को फ़ोन किया और अभी घर आने को कहा मगर राजकुमार, सौरभ को अकेला छोड़कर नहीं आया और उसने नंदा को फ्लैट में जाने को कहा और सभी लाइट्स जला कर जागने को कहा और ये भी कहा कि मैं सुबह जल्दी सौरभ की अस्पताल से छुट्टी करा कर आ जाऊँगा।

*इस परिवार को भी घर से निकाल फ़ेंका*

नंदा इतनी रात में कहाँ जाती उसको फ्लैट में पड़े अपने सामान की भी चिंता थी तो वो डरते हुए और भगवान का नाम लेते हुए फ्लैट में आ गई जहाँ दरवाजे ऐसे ही खुले पड़े थे जैसे वो छोड़ गई थी उसने अंदर आकर दरवाजे बंद किए और बेटे को लेकर पहले घर की सभी लाइट जलाई फिर बाहर वाले कमरे में सोफे पर बैठ गई, बेटा सोफे पर सो गया!

मगर नंदा जागती रही कुछ देर बाद बाथरूम में से किसी के नहाने की आवाजें आती रही मगर नंदा की इतनी हिम्मत नहीं हुई जिससे वो बाथरूम में जाकर देखे कि ये आवाजें कैसी हैं, कुछ देर बाद रसोई से बर्तन ज़मीन पर गिरने की आवाजें आने लगी और ये सब यहाँ नहीं रुका, रसोई से बर्तन अब बाहर आकर गिरने लगे, जहाँ नंदा का बेटा सोया था उसके पास बर्तन आकर जब गिरने लगे तो नंदा ने बेटे को गोदी में लेकर अपनी आँखें बंद करके हनुमान चालीसा का जाप करना शुरू कर दिया थोड़ी देर बाद ही वहाँ शान्ति छा गई

जैसे-तैसे नंदा ने वो रात काट ली सुबह राजकुमार भी दूसरे बेटे को लेकर अस्पताल से आ गया और नंदा ने पिछली रात का खौफनाक अनुभव राजकुमार को बताया तो उसको भी ये सुनकर अब अपने परिवार की चिंता होने लगी और नंदा-राजकुमार दोनों ने मिलकर अभी के लिए इस घर से जानें का फैसला किया, पूरा परिवार अब घर से 20 किलोमीटर दूर अपने रिश्तेदारों के यहाँ शरण लेने को मजबूर था

*गुरूजी ने लिया भूत भगाने का ज़िम्मा*

मगर राजकुमार ने कहा मैं इतनी आसानी से हार नहीं मानूंगा और मैं अपने ‘गुरूजी’ जो ‘तंत्र साधना’ के ‘माहिर’ हैं उनकी सहायता लूँगा और राजकुमार ने ऐसा ही किया अपने गुरूजी के पास जाकर भारी मन से सारी दुविधा बता डाली, गुरूजी को भी लगने लगा कि मामला तो गंभीर है फिर गुरूजी बोले कि ‘मैं एक चेले के साथ जाकर यहाँ रहना चाहता हूँ और उस जिद्दी भूत को वहाँ से भगाना चाहता हूँ’ राजकुमार ने बोला कि ‘गुरूजी मैं आपके वहाँ रहने की व्यवस्था कर देता हूँ मगर मैं आपके साथ वहाँ नहीं रुकूँगा आपको किसी और चेले को साथ लेना होगा’ इस बात पर गुरूजी मुस्कुरा दिए और हाँ बोलकर राजकुमार को रात को वहाँ लेकर चलने को कहा


रात शुरू होते ही लगभग 9 बजे राजकुमार गुरूजी और उनके एक चेले नौरंग को फ्लैट पर ले आया और गुरूजी के द्वारा मंगाई कुछ सामग्री देकर वहाँ से चला गया, अब गुरूजी ने नौरंग के साथ मिलकर पहले तो अग्नि जलाकर एक पूजा की फिर उसकी ‘भभूती’ पूरे घर में बिखेर दी और उस ‘जिद्दी भूत’ की आत्मा से कहा कि ‘तू इस घर को हमेशा के लिए छोड़ दे नहीं तो मैं तुझे इसी अग्नि में भस्म कर दूँगा’

फिर नौरंग के साथ साथ मिलकर गुरूजी ने पूरे घर का मुआयना किया तो उनको लगा कि आत्मा अब यहाँ नहीं है और अब यह घर जिद्दी भूत की आत्मा से मुक्त है, फिर नौरंग की नज़र फ्लैट के सबसे बाहर वाले जाली के दरवाजे से बाहर सीढ़ियों पर पड़ी तो उसने देखा कि एक 80 साल का डरावनी शक्ल और बहुत ही छोटे कद का बूढा मैले फटे हुए कपड़ों में अपना सर पीट रहा है और कह रहा है कि ‘मेरा घर मुझ से छीन गया’

नौरंग ने गुरूजी को जल्दी से बाहर देखने को कहा जिससे गुरूजी ने भी उस बूढ़े यानि जिद्दी भूत को घर से बाहर देख लिया और खुश हुए कि काम पूरा हुआ

*जिद्दी भूत ने किया पलटवार*

अब रात काफी हो गई थी रात के लगभग 12:30 बज चुके थे दोनों यहीं इसी फ्लैट में सो गए, काफी थके होने की वजह से दोनों को नींद जल्दी ही आ गई लगभग 1 घंटे बाद गुरूजी को अपने दबने का एहसास हुआ जिससे वो जूझ ही रहे थे कि उनकी नज़र बाहर वाले जाली के दरवाजे पर पड़ी तो वो छोटे कद का खतरनाक बूढा ज़ोर-ज़ोर से अपने दोनों हाथों से पकड़कर दरवाजा हिला रहा था इधर गुरूजी को अपना दम घुटने जैसा लगने लगा, पलक झपकते ही अब वो ‘जिद्दी भूत’ गुरूजी के पास ही खड़ा था और मुस्कुरा रहा था और बोले जा रहा था कि ‘मुझे यहाँ से कोई नहीं निकाल सकता, हर बार मैं ही सबको अपने घर से निकालता हूँ

गुरूजी को जब स्तिथि नियंत्रण से बाहर लगने लगी तो उन्होंने सबकुछ छोड़कर मन्त्र जाप शुरू कर दिया और कुछ ही पलों में गुरूजी उठकर अपने पैरों पर खड़े हो गए आस-पास देखा तो कहीं भी वो बूढा भूत नहीं दिख रहा था मगर गुरूजी एक बात से चौंक गए कि नौरंग भी उस कमरे से गायब था तो गुरूजी नौरंग को आवाज़ देते हुए हर जगह देखने लगे फिर वो जैसे ही बाथरूम में गए तो देखा कि नौरंग के कपडे पूरे खून में सने थे और वो खून की उल्टियाँ किए जा रहा था

गुरूजी ने जल्दी से पानी को मन्त्र से पढ़कर नौरंग को पिलाया और उसके ऊपर भी थोड़ा सा पानी का छिड़काव किया जिससे नौरंग को कुछ होश आया, गुरूजी ने नौरंग को जल्दी से खुद को सँभालने को कहा और कहा कि ‘नौरंग अब वो बूढा जिद्दी भूत अपनी पूरी ताकत से हमपर वार कर रहा है

इसी वजह से हम दोनों का यह हाल हो गया है, हमें ग़लतफहमी हो गई थी कि वो इस फ्लैट को छोड़ चुका है मगर यह उसकी चाल थी जिससे हम बेफिक्र हो जाएं और उसको अपना वार करने का मौका मिल जाए और ऐसा ही हुआ भी, अब वो हमें यहाँ से जिन्दा नहीं जाने देगा, अब या तो हम उससे टक्कर लें या फिर जान देने को तैयार हो जाएं’

**गुरूजी ने छोड़ा ब्रह्मास्त्र*

नौरंग भी अपने गुरूजी से इतनी बड़ी बात सुनकर सतर्क हो गया और बोला कि ‘गुरूजी चलो आप करो जो करना है मैं आपके साथ हूँ आज या तो हमारी साधना हमें बचा लेगी या फिर इस जिद्दी भूत का इस मकान पर हमेशा के लिए कब्ज़ा हो जायेगा
गुरूजी ने कहा कि ‘अब इस ताकतवर बूढ़े भूत की आत्मा से हमें हमारे ‘देव’ ही बचा सकते हैं’ इसपर नौरंग बोला कि ‘मगर गुरूजी उन देव को तो बली या खून देकर ही बुलाया जाता है इतनी रात को कहाँ से कोई जीव की हम बली देंगे’?

गुरूजी ने नौरंग को जल्दी से आग जलाने को कहा और खुद रसोई में जाकर चाकू ले आए और अपना हाथ काटकर खून को देव का नाम लेकर उस आग में डाल दिया और अपने देव से उस ख़तरनाक बूढ़े की आत्मा को इसी अग्नि में भस्म करने की प्रार्थना करने लगे, अग्नि के पास ही नौरंग और गुरूजी दोनों हाथ जोड़कर बैठे थे कि उनको किसी के रोने की आवाज़ आने लगी उन्होंने ध्यान से देखा तो अग्नि के पास ही वो बूढ़े की आत्मा खुद को भस्महोने से बचाने के लिए गुरूजी की तरफ ज़मीन पर सर पटकते हुए कह रही थी कि मुझे मत खत्म करो मैं इस घर को छोड़ रहा हूँ!

मुझे जानें दो’ मगर गुरूजी ने उसको बिलकुल नहीं बक्शा और उस आत्मा को या कहें कि जिद्दी भूत को गुरूजी ने अपने देव की मदद से भस्म कर दिया, नंदा-राजकुमार का परिवार इसी फ्लैट में लौट आया और अब बेखौफ़ होकर आजतक वहीं रह रहा है कभी कोई ऐसी दिक्कत उस परिवार को तब से आजतक नहीं आई।

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