नेक आत्मा और जिन्न दुल्हन भाग-2

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इंसान के वेश में ये कौन है?

सर्वेश आश्रम में पहुँचा तो गुरूजी ध्यान में लीन थे इसलिए सर्वेश ने उनका इंतजार करना ही उचित समझा फिर थोड़ी ही देर में गुरूजी जब ध्यान से बाहर आए तो सर्वेश ने उनका आशीर्वाद लेने के बाद झट से पूछ लिए कि ‘गुरूजी आप उस दिन अचानक घर से क्यों चले आए और मुझे आश्रम भी तुरंत ही आने को कह गए, ऐसा क्या हुआ है गुरूजी? मुझे तो ये सब अजीब सा लग रहा है’।

गुरूजी बोले कि ‘सर्वेश जो मैं कहने वाला हूँ वो सुनकर तुम्हें घबराना नहीं है क्यूंकि वो बात काफी बड़ी और जटिल है इसलिए शान्ति और ध्यान से सुनो फिर आगे बात करते हैं’।
गुरूजी ने सबसे पहले कहा कि ‘जो औरत तुम्हारे घर में तुम्हारी पत्नी बनकर रह रही है वो इन्सान नहीं कोई दूसरी ऊपरी शक्ति है, कौन सी शक्ति है यह कहना अभी मुश्किल है, उसने तुम्हें अभी तक क्या कोई नुकसान पहुँचाया है?

सर्वेश के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था जैसे उसको इस बात से बहुत बड़ा झटका लगा हो कि किसी ने कैसे उसकी नीमा को ऐसे बोल दिया मगर बोलने वाला इंसान भी तो मामूली नहीं था इसलिए सर्वेश ने पहले तो थोड़ा खुद को संभाला फिर सर्वेश बोला कि ‘नहीं गुरूजी नीमा तो एक आदर्श पत्नी जैसी हैं उसने मेरे साथ-साथ पूरे परिवार का ख्याल रखा है और हम सभी को वो खुश रखती है’।

गुरूजी बोले कि ‘कल जब नीमा घर में या आँगन में कहीं से गुजरे या कहीं ख़डी हो जाए तो तुम वहाँ उस ज़मीन से एक चुटकी मिट्टी उठा लेना और मुझे आश्रम में लाकर देना फिर मैं बता दूँगा कि वो क्या शक्ति है’।

दुल्हन नहीं जिन्न है ‘वो’


अगले दिन सर्वेश ने ऐसा ही किया जब नीमा आँगन में कपडे सूखा रही थी तब उसके अंदर जाते ही सर्वेश ने उसके पैरों से दबी मिट्टी को उठाकर झटसे एक कागज़ की पुड़िया में भर लिया और उस पुड़िया को लेकर सीधे गुरूजी के आश्रम पहुँच गया जहाँ गुरूजी ने मिट्टी को हाथ में लेकर कुछ देर ध्यान लगाया फिर कुछ मन्त्रों का उच्चारण करके अपनी आँखें खोल दी।सर्वेश जिज्ञासावश गुरूजी को देखे जा रहा था तभी गुरूजी बोले कि ‘नीमा इंसान नहीं है ये तो मैंने पहले ही कहा था मगर वो ‘जिन्न’ निकल जाएगी इसका अनुमान मैं नहीं लगा पाया था, सर्वेश नीमा एक ‘जिन्न’ है जो तुम पर और तुम्हारी नेक दिली पर फ़िदा होकर तुम्हारे साथ रहने आई है, बस कुछ ही दिनों में वो अपनी दुनिया में लौट जाएगी’।

जिन्न ही चाहिए जीवनसाथी

 

यह बात सुनकर सर्वेश पूरी तरह हिल गया और उदास होकर बैठ गया, गुरूजी ने सर्वेश को संभाला फिर दिलासा देते हुए बोले कि ‘मैं जानता हूँ कि चाहे उसने तुम्हें वश में करके तुमसे शादी की हो लेकिन अब तुम भी उसको बहुत प्यार करते हो और अपना बचा हुआ जीवन उसके साथ ही बिताना चाहते हो इसलिए मैं तुम्हें उसका एक उपाय बताता हूँ जिससे तुम दोनों हमेशा साथ रहोगे, नीमा भी ऐसे ही इंसान बनकर शादी के सारे वचन निभाएगी और तुम्हारा साथ हमेशा देगी।

सर्वेश की आँखों में चमक आ गई और वो फटाक से बोल पड़ा कि ‘क्या ऐसा हो सकता है गुरूजी! आप जल्दी वो उपाय बताइये जिससे हम दोनों हमेशा पति-पत्नी बनकर जी सकें, मैं हर उपाय कर लूँगा फिर चाहे वो कितना भी कठिन क्यों न हो’।गुरूजी ने कहा कि ‘जब तुम दोनों पहली बार मिले उसने जो कपडे पहने थे उसमें से कोई एक कपड़ा तुम्हें इस ताम्बे के पवित्र लौटे में फंसा कर कहीं घर में ही छुपा देना है जिसको वो कभी ढूंढ़ न सके और अगर ढूंढ़ भी ले तो इस पवित्र लौटे में इतनी ताकत है कि वो अपनी पूरी शक्ति लगा कर भी इसमें से कभी अपना कपड़ा नहीं निकाल पाएगी मगर यह हमेशा ध्यान रखना की इस पवित्र लौटे से इंसान ही वो कपड़ा निकाल सकता है उसके अलावा कोई और इस लौटे से कपड़ा नहीं निकाल सकता इसलिए इसको कहीं ऐसी जगह छुपाना जहाँ तुम दोनों के अलावा कोई तीसरा न जा सके क्यूंकि नीमा को अगर पवित्र लौटा मिल भी गया तो वो उससे कभी अपना कपड़ा नहीं निकाल पाएगी और तुम कभी उसको वो कपड़ा निकाल कर दोगे नहीं इसलिय वो तुम्हें छोड़कर कभी भी कहीं भी नहीं जाएगी’।

कठिन मुश्किल सरल उपाय

 

गुरूजी ने आगे पूछा कि ‘अब बताओ क्या उसका कोई कपड़ा है तुम्हारी नज़र में जो उसने तुमसे मिलने पर पहली मुलाक़ात में पहना हो?
सर्वेश ने याद करके गुरूजी से कहा कि ‘हाँ गुरूजी जब वो मुझे मिली तब उसने एक ‘सफ़ेद सूट’ पहना था जिसको उसने फिर कभी नहीं पहना मगर वो सूट उसने कपड़ों की अलमारी में टांगा हुआ है, आज जब वो रसोई में खाना बनाने जाएगी तब मैं उस सूट को इस पवित्र लौटे में डाल दूँगा मगर सूट इस छोटे से पवित्र लौटे में आएगा नहीं’
गुरूजी बोले कि ‘पूरा सूट डालने की जरुरत नहीं है बस उस सूट का दुपट्टा डाल देना उससे ही काम बन जाएगा’

सर्वेश ने खुश होकर इस बात पर हामी भरी और गुरूजी का आशीर्वाद लेकर जल्दी से अपने घर आ गया।नीमा शाम को जब खाना बनाने रसोई में गई तो चुपके से सर्वेश ने कपडे की अलमारी से उसी सफ़ेद सूट का दुपट्टा निकाल कर पवित्र ताम्बे के लौटे में डाल दिया और झट से अपने कमरे में बने टांड (दो छत्ती) पर चढ़कर उस लौटे को एक बड़े संदूक में रख दिया।

दिन हफ्ते गुज़रे सब ठीक से चलता रहा लेकिन एक दिन नीमा सुबह से ही काफी परेशानी दिख रही थी और सर्वेश के काफी पूछने पर भी वो परेशानी का कोई कारण नहीं बता रही थी बस अलमारी, पलंग और सारे कपडे बार-बार छाने जा रही थी।काफी देर के बाद नीमा सर्वेश से बोली कि ‘अपने मेरे सफ़ेद सूट के साथ का दुपट्टा कहीं देखा है क्या?
इस बात को सर्वेश अब समझा और एकदम अनजान बनकर उसने नीमा को कहा कि ‘मुझे क्या पता कि तुम्हारा कौन सा कपड़ा कहाँ पड़ा है, तुम खुद ढूंढ़ लो मैं दुकान पर जा रहा हूँ।जब शाम को सर्वेश घर आया तो नीमा काम में लगी थी और सर्वेश को सब ठीक ही लग रहा था तो उसने भी नीमा से कुछ नहीं पूछा और खाना खाकर सो गया।

 

आख़िरकार आई वो रात

कुछ हफ्ते और गुज़रे और सर्वेश के पड़ोस में एक शादी का महिला संगीत चल रहा था सर्वेश और नीमा सहित पूरा परिवार उस कार्यक्रम में पड़ोस के घर में बैठे थे, महिलाएं अंदर आँगन में गीत गा रही थी और नाच रही थी और सभी पुरुष बाहर बैठकर खाना खा रहे थे।पड़ोस की एक लड़की ने नीमा से नाचने को कहा मगर नीमा ने मना कर दिया फिर उस लड़की के साथ कई महिलाएं भी नीमा से नाचने की जिद्द करने लगी फिर नीमा ने कहा कि ‘देखिये आप लोग बुरा मत मानियेगा मेरा यह वाला सूट बहुत टाइट है इसलिए मैं इसमें नहीं नाच सकती हाँ अगर कोई लड़की मेरे साथ मेरे घर चलकर मेरा सूट बदलवा दे तो मैं ऐसा नाचूंगी की आप अपनी आने वाली पीढ़ियों तक को बताओगे कि ऐसाloo कोई बहु कभी नाची थी।गाँव की सारी महिलाएं और लड़कियां इस बात पर हँसने लगी और जिनके यहाँ यह कार्यक्रम चल रहा था उन्होंने अपनी बेटी को नीमा के साथ उसके घर जाकर उसका सूट बदलवाने को भेज दिया।

हाथ से फिसला साथ

 

नीमा ने जल्दी से घर में आकर अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और अलमारी से वही सफ़ेद सूट निकाल कर पहन लिया फिर उस लड़की से कहा देखो न इसका अब दुपट्टा नहीं मिल रहा तुम क्या ऊपर टांड पर चढ़कर इसके साथ वाला दुपट्टा उतार दोगी क्यूंकि मुझे यही सूट पहनना है..उस लड़की ने टांड पर चढ़कर सब जगह ढूंढा मगर वो दुपट्टा नहीं मिला फिर नीमा ने कहा कि ‘इस संदूक में और देख लो शायद इसमें ही रख दिया होगा’उस लड़की को उस संदूक मे बस बर्तन मिले मगर वो दुपट्टा नहीं मिला फिर नीमा ने ‘सारे बर्तन देखे क्या पता शायद उनमें ही कहीं छुपा हो’

लड़की को अब उस पवित्र ताँबे के लौटे में वो दुपट्टा मिल गया जिसको उसने निकाल लिया और नीमा की तरफ फेंक दिया।
नीमा का तो जैसे खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा और उसने जैसे ही वो दुपट्टा अपने सूट के साथ ओढ़ा तो नीमा की आँखों का रंग ही काले से हरा हो गया वो पूरे कमरे उड़ने लगी यह देख कर वो लड़की तो बेहोश होकर टांड पर ही गिर गई।

नीमा अपने कमरे से बाहर आई और ‘महिला संगीत’ में जाकर इतना शानदार नाच नाची फिर कुछ देर बाद नीमा ज़मीन से 2 फुट ऊपर हवा में नाचने लगी जिससे सभी लड़कियां और महिलाएं चिल्लाने लगी और गाँव के पुरुष भी वहाँ आ गए और सर्वेश सहित सबने नीमा को हवा में नाचते हुए देखा मगर किसी की उसको रोकने या पकड़ने की हिम्मत नहीं हुई, हवा में नाचते हुए ही नीमा एक दीवार की तरफ ज़ोर से भागी और उसी दीवार में धंसकर वहीं गायब हो गई, इधर सर्वेश अपना सर पकड़कर बैठ गया…।।।

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