छलावा-छल का खेल | Gaon Ki Bhootiya kahani | Horror Story

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पंडितजी अब घर के एकदम सामने थे और घर से उनकी दूरी बस 50 मीटर रह गई थी मगर अब यहाँ उनकी साइकिल के पिछले टायर पर जैसे मानो किसी ने पहाड़ रख दिया हो, साइकिल वहीं जाम हो गई, पिछला टायर रिम सहित पूरा मूड गया और पंडितजी भी पास ही में जा गिरे, उनको साइकिल के पीछे किसी बड़े जानवर के होने का एहसास हुआ मगर उनको अब वहाँ नहीं रुकना था तो पंडितजी सरपट अपने घर की तरफ भागे वो जानवर भी पीछे भाग लिया!

फिर क्या हुआ “छलावा की कहानी” पूरी कहानी पढ़कर जाने…

छलावा-छल का खेल की भूमिका Bhoot Pret ki Kahaniya

नमस्कार मित्रों!

आपके और हमारे इस रोमांच के सफर में आपका स्वागत है! हम जानते हैं सभी खेल इंसानों ने बनाये हैं और इन्सान ही उसको खेलते हैं मगर एक शक्ति ऐसी भी है जो इन्सान तो नहीं होती मगर फिर भी खेल बनाती है और उसको इंसानों के साथ खेलती है, वो खेल “छल” का होता है, इंसानी समझ-बूझ को छलने का होता है और इसको रचने वाले और इन्सान के साथ खेलने वाले को “छलावा” कहते हैं!

छलावानागौर, राजस्थान के एक छोटे से गाँव में एक पोता अपने दादाजी से पूछता है ‘दादाजी ये “छलावा” क्या होता है? क्या ये भूत होता है?’ दादाजी कहते हैं कि ‘बेटा भूत और छलावा एकदम अलग होते हैं! पोता पूछता है ‘दादाजी ठीक से बताओ ना कैसे अलग होते हैं?’ दादाजी मुस्कुराते हुए कहते हैं कि चलो तुम्हें अपने गाँव की दो कहानियाँ सुनाता हूँ जिससे तुमको ठीक से पता चल जायेगा कि तुमने किस खतरनाक और धोखेबाज शक्ति का जिक्र किया है!

छलावा की पहली कहानी Horror Story in Hindi

छलावा-छलपहला किस्सा तो हमारे गाँव के पंडितजी का ही है जिनका नाम हरिहर शास्त्री था, वो आस-पास के गाँव के सबसे जाने-माने पंडित थे लगभग सभी उन्हें अपने मांगलिक कार्यों में पूजा कराने के लिए बुलाया करते थे, उनका गाँव में ही एक छोटा सा कच्चा घर था और उस घर की चौखट के आगे एक छोटा मंदिर पंडित जी ने बनवा रखा था जिसमें उनकी पत्नी नियम से पूजा किया करती थी! पंडित जी जहाँ भी विवाह या कोई पूजा करवाकर आते तो लोग उनको दक्षिणा, मीठा, वस्त्र अथवा भोजन देकर ही विदा करते!

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विवाह समारोह में कभी-कभी ज्यादा रात भी हो जाया करती थी और रात को गाँव में सवारी वाला वाहन मिलना संभव नहीं था इसलिए पंडितजी ने एक साइकिल ले रखी थी वो उसी से हर समारोह में आते-जाते थे!

छलावा ने धरा मेमने का रूप Horror Short Stories in Hindi

एक रात की बात है वो एक विवाह समारोह से सभी सामग्री जैसे, मिठाई, फल, भोजन, दक्षिणा और वस्त्र लेकर अपनी साइकिल से आ रहे थे, रात काफी घनी हो चुकी थी 1:30 से 2:00 बजे रात का वक़्त रहा होगा वो जंगल के कच्चे रास्ते से होते हुए अपने गाँव की तरफ बढ़ रहे थे तभी एक छोटा सा बकरी का मेमना उनकी साइकिल के आगे अचानक से भागते हुए आ गया, पंडितजी ने एकदम से साइकिल के ब्रेक लगाए जिससे वो मेमना साइकिल के नीचे आने से बच गया, पंडित ने देखा कि मेमना सुरक्षित है और उसको कोई चोट नहीं आई है,

मेमने का रूपये देख पंडितजी की जान में जान आई कि वो छोटा सा मेमना ठीक है, पंडितजी ने चैन की सांस ली और मेमने की तरफ देखा तो वो मेमना बिलकुल डरा नहीं था वो भी पंडितजी को देखे जा रहा था,

पंडितजी ने उसको देखा तो वो उस मेमने के आकर्षण में आ गए, मेमने का रंग चिट्टा सफ़ेद था, वह इतना कोमल, मासूम और प्यारा लग रहा था जैसे मानो कोई चीज उस मेमने की तरफ पंडितजी को खींच रही हो, पंडितजी के मन में उस मेमने को घर ले जाने का विचार आने लगा,

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बस फिर क्या था वो मेमने को पकड़ने के लिए उसकी तरफ बढ़े तो मेमना भी उनकी तरफ बढ़ गया जिससे पंडितजी ने उस मेमने को आसानी से पकड़कर अपनी साइकिल के पीछे बांध लिया और उस जंगल से अपने गाँव की तरफ बढ़ गए, पंडितजी काफी खुश थे कि मिठाई, कपडे भोजन के साथ ये मेमना जब बच्चे और घरवाली देखेगी तो उनकी खुशी दोगुनी हो जाएगी!

रंग बदलता छलावा Ghost Stories

ऐसे विचारों से पंडितजी जंगल का आधा रास्ता पार कर चुके थे, थोड़ा सा और आगे चलकर उनको अचानक से साइकिल काफी भारी लगने लगी, साइकिल के पेंडल रंग बदलता छलावाखींचने में बहुत ज्यादा दिक्कत आ रही थी तो उन्होंने साइकिल की पिछली सीट की तरफ मुड़कर देखा तो उनकी जान हलक में आ गई,

पिछली सीट पर उन्होंने अभी कुछ देर पहले एक कोमल सा सफ़ेद रंग का मेमना बाँधा था उसकी जगह अब एक चितकबरे रंग का बड़ा सा बकरा आ गया था, पंडितजी के होश तो उड़ गए थे, उनको समझते देर न लगी कि ये एक शैतानी शक्ति है जिसको छलावा कहते हैं और मैं अब इसके खेल में फँस चूका हूँ, फिरभी उन्होंने अपने होंसले और समझदारी से काम लिया कि अगर मैं अभी साइकिल से उतरकर भागने लगा तो अभी जंगल का रास्ता थोड़ा सा रहता है और इस छलावे ने मुझपर हमला कर दिया तो मेरी मौत निश्चित है

Bhoot Pret ki Kahaniya

इसलिए मुझे अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी है और घर की तरफ बढ़ते जाना है बाकि सब अपने ईश्वर पर छोड़ना है क्यूंकि अब वही मेरी जान बचा सकते हैं, ऐसा सोचकर उन्होंने साइकिल खींचना जारी रखा और बस मन में भगवान का जाप करते हुए उस जंगल को पार कर लिया और अपने गाँव की सरहद में पहुँच गए, पंडितजी इतनी दूर से तेज़ साइकिल चलाने की वजह से हांफ रहे थे उनका सांस फूल रहा था और उनका दिल इतने ज़ोर से धड़क रहा था मानो जैसे उनके सीने को फाड़ कर अभी ज़मीन पर गिर जायेगा

मगर वो कहते हैं ना जब जान पर बन आये तो जान बचाने के लिए जान की बाज़ी भी लगानी पड़े तो इन्सान पीछे नहीं हटता बस ऐसे ही यहाँ देखने को मिल रहा था पंडितजी को अब गाँव में घुसकर अपना घर दूर से दिख रहा था जिसकी दूरी लगभग 200 मीटर रही होगी, पंडितजी की अब जान में जान आने लगी थी, वो तेजी से आगे बढ़ रहे थे और अब उनकी घर से दूरी 100 मीटर रह गई थी, वो भगवान का भी धन्यवाद कर रहे थे कि अब लगता है मैं बच जाऊँगा!

खुनी रूप में आया छलावा Horror Kahaniyan

खुनी रूप | Khooni roopपंडितजी अब घर के एकदम सामने थे और घर से उनकी दूरी बस 50 मीटर रह गई थी मगर अब यहाँ उनकी साइकिल के पिछले टायर पर जैसे मानो किसी ने पहाड़ रख दिया हो, साइकिल वहीं जाम हो गई,

पिछला टायर रिम सहित पूरा मूड गया और पंडितजी भी पास ही में जा गिरे, उनको साइकिल के पीछे किसी बड़े जानवर के होने का एहसास हुआ मगर उनको अब वहाँ नहीं रुकना था तो पंडितजी सरपट अपने घर की तरफ भागे, वो जानवर भी पीछे भाग लिया,

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पंडितजी ने अपने घर के दरवाजे पर जाकर ज़ोर-ज़ोर से दरवाजा बजाना शुरू किया उनकी पत्नी उनके इंतजार में जगी हुई थी तो उन्होंने झट से दरवाजा खोल दिया और पंडितजी अपनी अच्छी किस्मत को लेकर अंदर आ गए, पत्नी ने पूछा क्या हुआ? आप क्यों हांफ रहे हो? आप ठीक तो हो?

मगर पंडितजी ने बिना एक भी शब्द कहें हलकी सी अपनी खिड़की खोलकर उस छलावे को देखा तो वो अब एक काले भैंसे का रूप धरकर उनके आँगन के बाहर ही खड़ा दिख रहा था और गुस्से में फुनकारे मार रहा था, उनकी साइकिल दूर टूटी पड़ी दिख रही थी और विवाह से मिला सारा सामान ज़मीन पर बिखर कर खराब हो गया था मगर पंडितजी को इसका कोई मलाल नहीं था उसको अपनी जान बचने की बहुत खुशी थी और वो भगवान को बार बार धन्यवाद किए जा रहे थे कि अगर आज उनका साथ और उनपर विश्वास न होता तो उनके जैसा सामान्य व्यक्ति इतनी लम्बी लड़ाई अकेला नहीं जीत पाता!

अच्छे कर्म फलित हुए Ghost Stories

कुछ देर बाद देखा तो वो भैंसा वहाँ से जा चूका था तब पंडितजी के मन में एक सवाल आया कि मेरे साइकिल से गिरने के बाद जब वो भैंसा मेरे पीछे भाग रहा था और मुझसे दो हाथ दूरी पर ही था, मुझे दरवाजा खुलवाने में भी थोड़ा समय लगा था अगर वो ज़रा सा और आगे आ जाता तो मेरी मृत्यु निश्चित थी

मगर ऐसा हुआ क्यों नहीं? वो छलावा मेरे पीछे दरवाजे तक आया क्यों नहीं?

अच्छे कर्म | ache karmइसी सवाल को लेकर पंडितजी घर के सामने वाले आँगन में नज़र दौड़ा रहे थे कि उनकी नज़र उनके बनाये उस मंदिर पर पड़ी जिसमें रोज़ उनकी पत्नी पूजा करती थी और उनको जवाब मिल गया कि वो मंदिर एकदम जागरत था और कोई शैतानी शक्ति या कोई नकारात्मक ऊर्जा उस मंदिर के पास से होकर नहीं जा सकती इसलिए वो भैंसा, वो छलावा उस मंदिर से दूर रहा जिससे मुझे अपने घर में घुसने का और आगे जीवन जीने का समय मिल गया!

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दादाजी कहते हैं कि ‘बेटा ये थी शैतानी छलावे की पहली कहानी, अब तुम सो जाओ! मगर पोते को तो अब मज़ा आने लगा था कि ऐसे कमाल की सच्ची कहानी अगर एक और हो जाये तो बहुत मज़ा आ जायेगा, पोता बोला कि ‘दादाजी आपने शुरू में कहा था कि दो कहानियाँ हैं, इसका मतलब अभी एक कहानी और बची हुई है, तो दादाजी एक और कहानी सुनाओ ना, बस एक और सुना दो दादाजी’ पोते के इतना कहने से दादाजी को मानना ही पड़ा!

छलावा की दूसरी कहानी Horror Kahaniyan

 

दूसरी कहानी दादाजी ने शुरू कर दी…

यह कहानी हमारे गाँव के प्रसिद्ध पहलवान जिसका नाम पृथ्वी पहलवान था उसकी है, वो हमारे गाँव ही नहीं आस-पास के सभी गाँव में सबसे बड़ा पहलवान था, वो आज तक किसी से नहीं हारा था, कोई भी पहलवान उससे कुश्ती लड़ने से कतराता था और उसके सामने कुश्ती लड़ने की हिम्मत उस समय किसी पहलवान में नहीं होती थी तो फिर आम लोगों की तो बात ही नहीं कर सकते!

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पृथ्वी के परिवार की खेती-बाड़ी की काफी ज़मीन थी जिसपर उनका परिवार खेती करता था, उनके परिवार ने काफी बड़ा घर रहने के लिए बनाया हुआ था जिसमें अंदर वाले हिस्से में कमरे बने हुए थे और बाहर वाले हिस्से में उनके पशु बंधते थे और काफी सारी जगह वहाँ पशुओं के बंधने के बाद भी खाली रह जाती थी जिसको वो “घेर” कहते थे,

इसी घेर में पृथ्वी पहलवान सोया करता था बाकि घरवाले अंदर कमरों में सोते थे, पृथ्वी की अभी शादी नहीं हुई थी और न ही उसको कोई काम की फ़िक्र थी उसको तो उसके परिवार ने बस पहलवानी के लिए छोड़ा हुआ था और वो पहलवानी में ‘निपुण’ (कुशल) भी था इसलिए उसका डंका पूरे जिले में बजता था! पृथ्वी को सुबह उठकर कसरत करना पूरे दिन खाना और रात को उस खाली मैदान यानि की घेर में सो जाना, बस इतनी ही पृथ्वी की दिनचर्या थी!

छलावा की ललकार Bhoot Pret ki Kahaniya

छलावा की ललकार | Chalavaऐसे ही वो एक रात सो रहा था एक बजे का समय था उसके कान में एक आवाज पड़ने लगी जिसको सुनकर वो गुस्से में उठ गया, उसने देख एक कि एक 50 साल का आदमी उसका नाम लेकर उसको उठा रहा था, पृथ्वी ने उससे पूछा कि कौन है तू और तूझे क्या चाहिए?

उस व्यक्ति ने उत्तर दिया मेरा नाम ब्रह्म है मैं पास के गाँव से तुम्हारे पहलवानी के किस्से सुनकर आया हूँ तुमसे मिलने आया हूँ, मैं दिन में शहर जाकर काम करता हूँ इसलिए रात को ही मेरे पास समय रहता है, पृथ्वी ने पूछा कि तुझे आखिर मुझसे क्या चाहिए? ब्रह्म ने कहा कि ‘मुझे तेरे साथ कुश्ती करनी है और तेरी पहलवानी का गुरुर तोडना है क्यूंकि मुझे तो तू कोई बड़ा पहलवान नहीं नज़र आता’

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पृथ्वी ने उसको ऊपर से नीचे तक देखा तो उसकी कद-काठी एकदम सामान्य थी और कहीं से भी वो पहलवान नहीं लग रहा था, पृथ्वी को नींद बीच में टूटने का गुस्सा तो था ही साथ में उसने पृथ्वी को ललकारके पृथ्वी की सब्र की सारी सीमायें भी तोड़ दी थी इसलिए पृथ्वी ने सोचा 2-4 मिनिट की बात है अभी इसको ऐसा उठा कर पटकूँगा कि भागता नज़र आएगा,

पृथ्वी ने फिरभी कहा कि ‘एक बार और सोच ले, तेरी इस उम्र में हड्डियां टूट जाएं तो आसानी से नहीं जुड़ेंगी’ इसपर ब्रह्म ने हंसकर कहा कि ‘पृथ्वी डर लग रहा है तो मेरे पैर पकड़ ले और खुद को सबसे बड़ा पहलवान कहलवाना बंद करदे, अगर तू ऐसा करता है तो मैं यहाँ से अभी बिना कुश्ती किए चला जाऊँगा’

छलावा और पहलवान में कुश्ती Horror Story

chalava kushtiइसपर पृथ्वी का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया उसने सोचा इसको अब ऐसा सबक सिखा कर भेजूँगा कि पूरा गाँव हमेशा याद रखे, पृथ्वी ने ब्रह्म से कहा कि ठीक है हम कुश्ती करेंगे और ये कहकर पृथ्वी उसको उसकी खाली मैदान में थोड़ा आगे अपने अखाड़े में ले गया जहाँ जाकर दोनों में कुश्ती शुरू हो गई, पहले तो पृथ्वी ने ब्रह्म को पकड़कर पटकने का सोचा मगर ब्रह्म पृथ्वी की पकड़ से बार-बार छूट जाता ऐसे ही काफी समय तक चलता रहा और आधे से ज्यादा समय इसमें ही निकल गया!

ब्रह्म बार-बार पृथ्वी की पकड़ से निकलता जा रहा था और पृथ्वी की झुंझलाहट बढ़ती जा रही थी, ऐसा काफी देर चलने के बाद इस बार ब्रह्म ने पृथ्वी को पकड़ लिया और जोर से पटक दिया, पृथ्वी की मानो जैसे जान ही निकल गई हो, इतने में मंदिरों में घंटीयाँ बजने लगी, सुबह हो गई थी, ब्रह्म ने कहा कि ‘पहलवान अभी तो मुझे जाना पड़ेगा मेरे काम पर जाने का समय हो गया है, तू आज रात तैयार रहियो, इस कुश्ती को आज रात आगे बढ़ायेंगे, इतना कहकर ब्रह्म वहाँ से चला गया और पृथ्वी भी उठकर नहाने धोने चला गया मगर पृथ्वी के शरीर में काफी दर्द था,

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पृथ्वी ने पूरे दिन अच्छे से खाया-पिया और बस आराम किया, पृथ्वी ने अपनी रात की बात किसी को नहीं बताई क्यूंकि उसको डर था कि कहीं कोई उसको कमजोर न समझ ले और उसके नाम पर कोई आंच न आ जाये, गाँव में रात को 7-8 बजे तक लोग सो जाया करते थे तो पृथ्वी भी बाहर घेर में आकर सो गया मगर वो जानता था कि ब्रह्म रात को आएगा जरुर और आज उसको ऐसी ‘धोबीपछाड़’ मारूँगा के वो यहाँ से भाग जायेगा और कभी मुड़कर नहीं आएगा, इतना सोच कर पृथ्वी सो गया!

पहलवान को लगा झटका जब छलावा ने पटका Horror Short Stories in Hindi

phelwanउसकी सोच के हिसाब से ही ब्रह्म रात एक बजे के आस-पास आया और उसकी खाट के पास आकर उसको लालकरने लगा, ब्रह्म ने कहा कि ‘पहलवान उठ जा, देख मैं अपने वादे के हिसाब से आ गया हूँ,

चल वो कल वाला खेल निपटा लेटे हैं’ ये सुनकर पृथ्वी की आँखों से नींद जाती रही और अब वो उठकर कल के अपमान का बदला लेना चाहता था तो दोनों अखाड़े में जा पहुँचे, पृथ्वी ने अखाड़े में पानी का छिड़काव किया तो अब दोनों की कुश्ती शुरू हो गई, शुरू से ही ब्रह्म बार-बार पृथ्वी को पटकता रहा, जब जी चाहता पृथ्वी को उठा लेटा और पटक देता, ब्रह्म पृथ्वी की पकड़ में या तो आता नहीं अगर पकड़ में आ भी जाये तो चित करने से पहले वो मछली जैसे फ़िसल कर उसकी पकड़ से निकल जाता,

Bhoot Pret ki Kahaniyan

ऐसा ही काफी देर चलता रहा, पृथ्वी की हालत काफी खराब लग रही थी वो मुश्किल से ही उठ पा रहा था उधर ब्रह्म ऐसा लग रहा था मानो अभी एकदम तरोह-ताज़ा है, पृथ्वी को बस एक बार पटके जाना था और उसकी हार निश्चित थी मगर फिर से पास के मंदिर में आरती होने और घंटीयाँ बजने की आवाजें आने लगी और ब्रह्म वहाँ से पृथ्वी को छोड़ कर जाने लगा और जाते हुए बोला कि ‘पृथ्वी आज रात मैं फिरसे आखिरी बार आऊंगा और इस मुकाबले का फैसला आज रात ही होकर रहेगा,

चाहे तू जीते या मैं जीत जाऊं’ इतने कहकर वो वहाँ से निकल गया और पृथ्वी उठकर घरवालों से छुपता हुआ घर के एक कमरे में जाकर लेट गया, पृथ्वी का पूरा शरीर दर्द से टूटा हुआ था लेकिन उसका मन उससे भी ज्यादा चोटिल था क्यूंकि पृथ्वी को खुद की ताकत और शैली पर जितना यकीन और मान था उसके इन दो रातों में हज़ारों टुकड़े हो चुके थे जिसको वो समेटने की असफल कोशिश किए जा रहा था!

बूढ़े वैध ने सिखाया पहलवान को आखिरी दाव Horror Kahaniyan

बूढ़े वैध | budha vaidदोपहर हुई पृथ्वी ने खुद को संभाला और गाँव के बूढ़े वैद के पास जाकर शरीर दर्द की दवाई देने को कहा, वैद ने कहा कि ‘पृथ्वी पहले मुझे अपने घाव तो दिखाओ तभी मैं तुम्हारी दवाई बना कर दे पाउँगा’ पृथ्वी ने ओढ़े हुए कम्बल को हटाकर अपने शरीर पर लगे सभी ‘घाव’ वैद को दिखाए तो बूढा वैद हैरान होकर बोला ‘पृथ्वी तुझे कितने लोगो ने मारा है? तू हमारे जिले का सबसे बड़ा पहलवान है, मैं तुझे एकदम ठीक कर दूँगा मगर पहले बता ये सब हुआ कैसे?

Horror Story in Hindi

पृथ्वी ने दोनों रातों की सारी बात बूढ़े वैद को बताई, वैद ने भी अपने जीवन के 80 बसंत इसी गाँव में अनुभव कमाते हुए गुज़ारे थे और उनको औषधि की जानकारी के साथ तंत्र-मन्त्र का भी ज्ञान था इसलिये बुढ़े वैद को सारा माज़रा समझते देर न लगी और उसने घाव के लिए लेप तो दिया ही साथ में ब्रह्म का सामना करने की तरकीब भी बताई और आटा छानने वाली एक छन्नी भी पृथ्वी को दी, पृथ्वी सब समझ चुका था और बूढ़े वैद से मिलकर पृथ्वी की हिम्मत भी बढ़ी थी!

मंत्र की मार, छलावा गया हार Ghost Stories

अब पृथ्वी घर आकर अपने घाव पर लेप लगाता है और रात का इंतजार करता है! फिर वही एक बजे के आस-पास ब्रह्म की आवाज़ आती है ‘पृथ्वी उठ जा, आ इस दो रातों से चल रही कुश्ती का अंत करते हैं, आज तेरी पहलवानी की भी आखिरी रात होगी’

मंत्र की मार | Mantra ki marपृथ्वी तो सोया ही नहीं था क्यूंकि उसको तो रात का ही इंतजार था, तो वो मुस्कुराते हुए खाट से उठा और बोला कि ‘हाँ आज इस कुश्ती की आखिरी रात ही होगी, कल से हम नहीं मिलेंगे’ इतना कहकर पृथ्वी और ब्रह्म अखाड़े की ओर चल दिये,

ब्रह्म अखाड़े के बीच खड़ा होकर बोला ‘आजा पृथ्वी पहले तू लगा ले जितना ज़ोर तुझ में बचा है फिर मैं तुझे मौका नहीं दूँगा’ पृथ्वी ने कहा ‘यार आज हम लड़ने से पहले अखाड़े में थोड़ा पानी का छिड़काव कर लेते हैं फिर कुश्ती शुरू करेंगे क्यूंकि लड़ते समय धूल बहुत उड़ती है, ब्रह्म तू ये बर्तन ले ओर सामने वाले जोहड़ से पानी लेकर आजा फिर हम कुश्ती शुरू करेंगे’

Horror Kahaniyan

इतना कह कर पृथ्वी ने वो मन्त्र पढ़ी छन्नी कागज़ के लिफाफे से निकलकर जल्दी से ब्रह्म के हाथ में दे दी, ब्रह्म समझ तो गया कि छन्नी में पानी नहीं भरा जायेगा मगर उसको पता था की मैं फिर भी पानी भरकर आज ले आऊँगा ओर इससे कुश्ती करके आज इसको मारकर ही जाऊँगा,

Ghost Stories

ब्रह्म जोहड़ की तरफ गया और पानी भरने की कोशिश करने लगा मगर पानी भर ही नहीं रहा था, ब्रह्म तो थोड़ा आश्चर्य हुआ की पानी छन्नी में आ क्यों नहीं रहा है, ब्रह्म ने अपनी पूरी शैतानी शक्ति लगा दी मगर छन्नी में पानी नहीं भर सका, जैसे ही जोहड़ में पानी लेने के लिए छन्नी डालकर निकलता वो खाली ही निकलती, वो मन्त्र पढ़ी छन्नी थी और ब्रह्म ने उसको हाथ में लेकर कहा था कि मैं पानी लेकर आऊँगा, न तो उस छन्नी में पानी भर सकता था और न ही ब्रह्म बिना पानी लाये कुश्ती कर सकता था

क्यूंकि मन्त्र वाली छन्नी लेकर उसने पानी लाने की बात कही थी, पानी भरने की कोशिश करते हुए सुबह हो जाती है, न ब्रह्म पानी ला पाता है और ना वो कुश्ती करके पृथ्वी की जान ही ले पाता है, ब्रह्म सुबह होते ही अदृश्य हो जाता है और पृथ्वी की जान बच जाती है!

छलावा ऐसे खेलता है मौत की बाज़ी Horror Story in Hindi

कुछ देर बाद पृथ्वी बूढ़े वैद के पास जाकर रात की सारी बातें बता देता है और उनके पैर छूकर उसको अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद देता है! पृथ्वी वैद से कहता है कि ‘वैद बाबा ये तो बताओ वो ‘बला’ आखिर थी क्या और वो रात को लौटकर क्यों नहीं आया?’

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वैद बाबा बताते हैं कि’ वो एक छलावा था जो दो रातों से तुम्हारे साथ खेल रहा था उसका पूरा खेल तीन रातों का था और वो तुम्हें धीरे-धीरे कमज़ोर कर रहा था, कल की रात अगर तू वो ‘छन्नी’ उसको नहीं देता तो तेरी मौत निश्चित थी, वो छन्नी मैंने मन्त्र पढ़ कर तुझे दी थी जिसकी वजह से उसको छूते ही वो उसके साथ बंध गया और पानी लाने को मजबूर हो गया, कोई समान्य छन्नी होती तो वो उसमें आसानी से पानी भर लाता और उसके बाद अपने खेल का अंत तुझे मारकर कर देता मगर तेरी किस्मत ने तुझे मेरे पास भेजकर बचा लिया’

Horror Story

तो ये थी छलावे के खेल की दो कहानियाँ! छलावा एकदम से इन्सान को नहीं मारता, वो तो पहले अपना खेल ‘रचकर’ उसमें इन्सान को फंसाकर पहले इन्सान के साथ खेलता है फिर जब इन्सान वो खेल समझने लगता है या वो खेल पूरा हो जाता है उसके बाद वो इन्सान को मार देता है!!

छलावा:
रूप धरके जानवर से इन्सान और इन्सान से जानवर बनता है,
ये छलावा है हुज़ूर, ये छल और कपट से वार करता है!
पहले तो खूब खेलता है इन्सान से फिर उसको चौंकाकर मार देता है,
ये छलावा है हुज़ूर, ये छल और कपट से वार करता है!

 

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छलावा की कहानी | Gaon Ki Bhootiya Kahaniyan

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