बाहर निकालने की योजना
3 दोस्त अपने चौथे दोस्त नमन को बाहर निकालने की तरकीब लगा रहे थे उधर नमन अपने साथ हुए डरावाने अनुभव को दरकिनार करके सुबह होने और 10 हज़ार रुपए पाने की ताक में था।बाहर काशिफ को तरकीब सूझी उसने कहा कि ‘यहाँ से नमन को निकालने का एक रास्ता है, थोड़ी दूरी पर ही एक ‘पीर की दरगाह’ है वहाँ चलकर मदद ले सकते हैं’।
कोई और उपाय तो तीनों को सूझ नहीं रहा था तो तीनों पीर की दरगाह की तरफ दौड़ गए, दरगाह का दरवाजा बंद था, कुछ देर दरवाजा बजाने और आवाज़ लगाने पर भी कोई नहीं आया फिर काशिफ ने कहा कि ‘दोस्तों दीवार कूद कर चलो यह हमारे दोस्त की ज़िन्दगी का मामला है हम कोई भी जोखिम लेने से चुकेंगे नहीं’।
दोस्त के लिए कुछ भी
जल्द ही तीनों ने दीवार फांद ली और वहाँ पर ज़ोर से आवाज़ लगाने लगे फिर एक दरगाह का सेवक उनके पास आकर बोला तुम लोग अंदर कहाँ से आ गए? दरवाजा तो बंद है, इस पर काशिफ ने कहा कि ‘हमें आपकी मदद की बहुत जरुरत है, हमारा दोस्त पास ही में एक ‘भूत बंगले’ में फंस गया है, अंदर उसका क्या हाल है हम नहीं जानते, मगर हमें उसको बचाना है, कैसे भी करके आप हमारी मदद कीजिये, आप हमारे साथ चलिए’।
सेवक ने निभाया अपना सेवा धर्म
उस सेवक ने कहा कि ‘वो तो सच में ही एक भूत बंगला है कई बार वहाँ से लोगों के पीछे भूत पड़ जाते हैं और कई बार तो रात में उसके सामने से गुज़रने वाले लोगों को वो भूत अंदर भी खींच लेते हैं और फिर उन लोगों की लाश सुबह उस भूत बंगले के बाहर ही मिलती है’।यह सुनकर तीनों दोस्त और ज्यादा डर गए अज्जू तो रोने लगा और बोला कि ‘काश मैंने वो शर्त ना लगाई होती तो आज हमारा दोस्त हमारे साथ होता’ फिर सुदेश और काशिफ ने उसको गले लगाकर चुप कराया
सेवक ने कहा कि ‘देखो मैं भी वहाँ नहीं जा सकता क्यूंकि वहाँ जाना अपनी मौत तो दावत देना है मगर मैं तुम्हें ‘कलमा’ पढ़कर पानी दे रहा हूँ जिसको तुम अपने आगे छिड़कते हुए चलोगे तो तुम्हारे रास्ते में कोई बला या बुरी शक्ति नहीं आएगी और तुम अपने दोस्त को बचा लोगे’।
काशिफ ने कलमा पढ़ा पानी एक लोटे में ले लिया फिर सेवक ने दरगाह का दरवाजा खोला और कहा कि ‘तुम लोग अच्छे से कोशिश करो और मैं यहाँ तुम लोगों की सलामती की दुआ करूँगा, ‘अल्लाह मियां’ सब ठीक करेंगे’।
पवित्र जल का सहारा
अब तीनों जल्दी ही फिरसे उस भूत बंगले के सामने आ गए, काशिफ बोला कि ‘यह लोटा पकड़कर मैं सबसे आगे कलमा पढता हुआ और आगे की तरफ पानी छिड़कता हुआ चलूँगा तुम लोग बस मेरे ठीक पीछे ही रहना, चाहे कुछ हो जाए मगर हमें इधर-उधर नहीं जाना है, ध्यान नहीं भटकाना है’ अज्जू और सुदेश ने हाँ में सर हिलाया और अब तीनों भूत बंगले के अंदर नमन को आवाज़ देते हुए आ गए।
सुदेश सबसे पीछे चल रहा था फिर कुछ ही दूर जाकर सुदेश को नमन की आवाज़ आई उसने अपनी दाईं ओर देखा तो कोई उसको बुला रहा था, सुदेश ने रुक कर ध्यान से देखा कि ये नमन है या कोई और जिससे अज्जू और काशिफ आगे बढ़ गए।
सुदेश ने नमन को आवाज़ दी मगर वो अंदर की ओर भाग गया, सुदेश ने वहीं रूककर अज्जू और काशिफ को आवाज़ दी।
भूत बंगले ने फिर छला
अज्जू ने कहा कि ‘काशिफ यह सुदेश की आवाज़ है वो हमें बुला रहा है’ मगर काशिफ ने कहा कि ‘यह हमारे साथ भूत बंगला छल कर रहा है, सुदेश हमारे पीछे ही होगा और वैसे भी अगर हम पीछे मुड़कर देखेंगे तो वो भूत हम पर हमला कर देंगे और हम भी नमन की तरह फंस जाएंगे’।
इस बात से अज्जू शांत होकर काशिफ के पीछे चलता रहा।
शैतानी साये से सामना
नमन सुबह के इंतजार में ही था कि उसको अपनी ओर एक ‘शैतानी साये’ के बढ़ने का ‘एहसास’ हुआ पहले तो वो एक बच्चे की परछाई सी लग रही थी फिर उसने धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते वो साया छत को छूने लगा नमन चिल्लाने लगा और जिस कोने में बैठा था उससे उठकर भागने लगा मगर उस साये ने उसका रास्ता रोक दिया और फिर उस साये ने इंसानी रूप ले लियाउस शैतान ने सफ़ेद सलवार और कमीज़ पहनी थी, उसके दाँत लम्बे थे जो खून से सने थे, बड़ी-बड़ी आँखें जैसे किसी के बहुत गुस्से में होने पर हो जाती हैं, नाख़ून बड़े और नोकिले थे जो अब नमन की तरफ बढ़ रहे थे।
पहले तो उस शैतान ने नमन का गला दबाया फिर उसको कई थप्पड़ मारे उसके बाद उसने नमन के पैर पकड़कर उसको उल्टा लटका दिया और ज़ोर से ज़मीन पर पटका जिससे नमन ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगा और उसकी आवाज़ उसके दोस्तों को आ गयी।
जान पर खेलकर जान बचाने आए जानी
नमन की आवाज़ का पीछा करते हुए काशिफ और अज्जू भूत बंगले के बीच वाले कमरे में आ गए जहाँ नमन को वो शैतान मार रहा था।काशिफ और अज्जू को अंदर आता देख उस शैतान ने नमन की टांग पकड़कर उसको खिंचकर उस कमरे से बाहर ले गया मगर काशिफ और अज्जू ने फुर्ती दिखाते हुए काम किया।अज्जू ने नमन को कमरे से निकलते ही पकड़ लिया और काशिफ ने उस पर वो कलमा पढ़ा पानी जल्दी से छिड़क दिया जिससे शैतान ने नमन को छोड़ दिया, नमन सीधा उठ खड़ा हुआ और अब वो बेहतर महसूस कर रहा था।
वो शैतान अब अज्जू की तरफ लपका मगर काशिफ ने पानी अब उस शैतान पर फेंका जिससे उसका शरीर जल गया और वो शैतान उन तीनों दोस्तों को छोड़कर वहाँ से भाग गया।
एक को निकाला तो दूसरा फंस गया
नमन ने पूछा क्या सुदेश घर चला गया?अज्जू ने कहा नहीं वो हमारे साथ ही था और सबसे पीछे चल रहा था लेकिन अब दिख नहीं रहा कहाँ है?काशिफ ने कहा कि ‘हमें जल्दी यहाँ से निकलना है क्यूंकि इस भूत बंगले में हम कभी भी फंस सकते हैं, पानी भी खत्म होने वाला है और अभी सुदेश को भी ढूंढना है’।तीनों दोस्तों ने बिना समय गँवाए उस कमरे से बाहर आ गए और सुदेश को आवाज़ देते हुए ढूंढने लगे, काशिफ फिरसे आगे की तरफ़ पानी छिड़कते हुए चलने लगा उसके पीछे नमन था और सबसे पीछे अज्जू चल रहा था।
अज्जू की नज़र सूखे पेड़ पर बैठे उसी बिना चेहरे वाले लड़के पर पड़ी वो चिल्लाते हुए बोला कि ‘काशिफ वो देख वही बिना चेहरे वाला शैतान लड़का हमें ही घूर रहा है’।बस इतना कहने की ही देर थी कि जैसे ही सबने ऊपर देखा तो वो शैतानी लड़का अज्जू के सामने कूद गया उसने अज्जू को नीचे गिराकर उसका गला दबाने लगाकाशिफ ने जल्दी से सारा पानी उस शैतान लड़के की कमर पर डाल दिया जिससे उसने अज्जू को छोड़ दिया और वहाँ से भाग खड़ा हुआ।
आखिरकार भूत बंगले से पीछा छूटा
अब तीनों दोस्त डर गए थे क्यूंकि अब उनके पास कलमा पढ़ा पानी पूरी तरह से खत्म हो चुका था और सुदेश को ढूंढ़कर भूत बंगले से बाहर निकलना अभी बाकी था।
तीनों बाहर की तरफ़ सुदेश को आवाज़ देते हुए आ रहे थे कि नमन की नज़र सुदेश पर पड़ गई वो बाकी दोनों को लेकर सुदेश के पास आ गया।सुदेश बेहोश था और एक पेड़ के नीचे गिरा हुआ था जहाँ तीनों ने उसके पास आकर उसको उठाया जिससे सुदेश को होश तो आ गया मगर वो पूरी तरह ठीक नहीं था तो अज्जू और काशिफ ने उसके हाथ अपने कंधे पर रखकर उसको पहले तो उस भूत बंगले से निकाला फिर उसको गाँव ले गए।सुबह हो चुकी थी चारों दोस्तों के परिवार परेशान थे क्यूंकि चारों ही पूरी रात बिना बताये घर से बाहर थे मगर उनके आने से अब सभी खुश थेचारों दोस्तों ने गाँव में आकर ये बात सबको बताई फिर सब अपने घर जाकर सो गए।
मातम से हुआ कहानी का अंत
रात में सुदेश के घर से चीखने और रोने की आवाजें आने लगी तीनों दोस्त और गाँव के कई लोग सुदेश के घर जमा हो गए।सुदेश के घरवालों ने बताया कि ‘सुदेश शाम को ज़ब सोकर उठा तो बहुत बुरी तरह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा फिर अपने नाख़ूनों से अपने चेहरे का मांस छिलकर बुरी तरह अपने चेहरे को जख़्मी कर लिया और अब लगातार अपने हाथों को दीवार में मुक्का बनाकर मारे जा रहा है।
उस पूरी रात सुदेश के लिए कई मौलवी, ओझा और भगत आए जिसमें से ज्यादातर ने तो ये मामला सुनकर ही इलाज करने से मना कर दिया दो लोगों ने इलाज तो किया जिसमें एक उसी दरगाह के मौलवी भी थे लेकिन साथ में यह भी कहा कि ‘हमारी कोई गेरंटी नहीं है’।वो रात सुदेश के परिवार में ‘मातम’ की रात साबित हुई, सुबह होने से पहले सुदेश अपने तीनों दोस्तों, घरवालों और गाँववालों के सामने दर्दनाक मौत मर चुका था।
‘भूत बंगला’ अपना शिकार कर चुका था, इस गम को तो तीनों दोस्त कभी भुला नहीं पाए बस उन्होंने अपने आगे के जीवन के लिए एक सीख जरूर ले ली कि ‘हर चीज़, बात या शक्ति मस्ती-मज़ाक करने लायक नहीं होती…।।।
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