
उस महिला ने 5 मिनिट में ही अपने हाथ खड़े कर दिए और मना कर दिया फिर उसने कहा कि ‘यह कोई भूत-प्रेत या साधारण आत्मा नहीं है यह तो 100 साल से भी पुराना ‘जिन्न’ है जो कभी पास के गाँव में एक आदमी के अंदर घुस गया था और उसने अगली ही रात अपने पूरे परिवार को चाकूओं से गोधकर मार डाला था और उसी रात उस आदमी ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी तबसे उस गाँव के लोग कभी इस विराने की तरफ फटके तक नहीं हैं’ इतना कहकर और माफ़ी मांगकर वो महिला अपने घर चली गई और हमारी वो पूरी रात काली हो गई।
फिर अगले दिन सुबह से ही मैं और मेरे बड़े भाई ने रति का इलाज करने के लिए भगत, ओझा और तांत्रिकों से बात करनी शुरू कर दी मगर शाम तक कोई उस जिन्न का नाम सुनकर रति का इलाज को तैयार नहीं हुआ, रात करीब 8 बजे पड़ोस से एक लड़का किसी मौलवी को ले आया और बैठते ही मौलवी ने अपने लम्बे-चौड़े किस्से सुनाने शुरू कर दिए और हमें विश्वास दिलाया कि इस जिन्न को मैं आराम से अपने काबू करके इससे अपने सारे काम कराया करूँगा, हमें भी अब काफी यकीन हो गया था कि चलो इस समस्या से आज ही छूटकारा मिल जायेगा और हमारी बच्ची ठीक हो जाएगी।
मौलवी की भी एक न चली
हम रति को मौलवी के पास लेकर गए रति मौलवी को देखकर मरदाना आवाज़ में ज़ोर से हँसने और ज़मीन पर बैठ गई फिर मौलवी उठा और उसने रति के बाल पकड़कर उसकी कमर पर अपनी झाडू से कई वार किए और पूछने लगा बता तू इस बच्ची के शरीर में क्यों आया है? कुछ देर तक तो रति ज़ोर से हस्ती रही फिर उसने मौलवी का हाथ पहले तो अपने बालों से छुड़ा लिया फिर उसकी गर्दन पकड़कर ज़मीन पर मौलवी को लेटा दिया और उसका गला दबाने लगी यह देखकर हम सब लोग मौलवी को छुड़ाने दौड़े हमने रति को पकड़कर काफी खिंचा मगर वो टस से मस तक नहीं हुई हमें ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी चट्टान को हिलाने की कोशिश कर रहे हों उधर मौलवी के मुँह से झाग आने लगे और हम सब डर गए फिर मैं रति के पैरों में गिरकर मौलवी को छुड़वाने के लिए उस जिन्न से भीख माँगने लगा, शायद फिर उस जिन्न को मौलवी पर दया आ गई या मुझपर उसको तरस आ गया यह तो मैं नहीं कह सकता मगर उस दिन वह मौलवी मरते-मरते बच गया, रति ने मौलवी का गला छोड़कर उसके सर में दो लातें मारी और दूसरे कमरे में चली गई जहाँ रति की माँ ने उसको प्यार से पुचकार के शांत किया, मौलवी उठा और बिना हमसे कुछ भी बोले शर्मिंदा होकर गाँव से बाहर निकल गया और हमारी समस्या उस दिन भी नहीं सुलझ सकी और कई दिनों तक हमारी बहुत कोशिशों के बाद भी कोई इस मामले में हमारी मदद नहीं कर सका।
अजीब और ज्यादा डरावानी होने लगी हरकतें
रोज़ रात को हमारे सोने के बाद रति अपना सर और चेहरा कपडे से ढककर छत पर चली जाती और एक कपड़ा नीचे बिछाकार नमाज़ पढ़ने लगती, 2-3 दिनों के बाद हमें इसका पता चला जिससे हमारी चिंता और बढ़ गई साथ में किसी ने यह भी कहा कि जिन्न ही रात को नमाज़ पढ़ते हैं, यह जिन्न आपकी बेटी के शरीर में अपना पक्का घर बना रहा है और इसका इलाज जितना देर से होगा इस जिन्न के आपकी बेटी का शरीर छोड़ने की उतनी ही कम संभावना है, अब इलाज तो ढूंढना ही था साथ में जल्दी भी करनी थी जिससे यह जिन्न बेटी के लिए पूरी ज़िन्दगी की परेशानी न बन जाए।
कई हफ्ते ऐसे ही और बीत गए, रति ऐसे ही रात में हमारे बहुत रोकने पर भी नमाज़ पढ़ती रही और अब ऐसे लगने लगा जैसे हर समय जिन्न मेरी बेटी पर सवार रहता है, मैं अपनी बेटी से बात करने को कई दिनों तक तरसने लगा था और रोज़ मंदिर जाकर उसके ठीक होने की दुआएं माँगने लगा था फिर एक दिन एक दयाल नाम के व्यक्ति को मेरे ‘साले साहब’ घर ले आए और उन्होंने घर में आते ही कह दिया था कि मैं किसी बात का दावा नहीं करूँगा और न नहीं कभी किसी बात की जिम्मेवारी लूँगा हाँ मगर मैं अपना भरसक प्रयास जरूर करूँगा और अपने इष्ट (ईश्वर) से आपकी बेटी को ठीक करने की दुआ करूँगा।
सौभग्या से सहारा मिल गया
दयाल के बारे में मेरे साले साहब ने मुझे पहले ही थोड़ा सा बता दिया था कि दयाल एक परोपकारी इंसान है जिसने कई लोगों को बिना पैसे लिए एकदम ठीक किया है, दयाल को जन्म से ही कुछ सिद्धियाँ प्राप्त हैं इसलिय इन्होने मानव कल्याण का ‘बीड़ा’ उठाया है।
दयाल ने रति को बुलाया और उसके पास जाकर बैठ गया, फिर दयाल ने बिना किसी झाड़-फूंक के सिर्फ मन्त्रों से ही जिन्न को रति के मुँह से बुलवाना शुरू कर दिया, दयाल ने पूछा कि तूने इस लड़की के शरीर पर कब्ज़ा क्यों किया है?
उधर से जिन्न ने जवाब दिया कि काफी दिनों बाद मेरे पास कोई मासूम, निर्दोष और पवित्र व्यक्ति आया जिससे मेरा मन उसके शरीर में जाने के लिए ‘लालाहित’ होने लगा और मैंने इसके शरीर को हमेशा के लिए अपना घर बना लिया।

फिर दयाल ने पूछा लेकिन इस लड़की पर तेरा अधिकार नहीं है, तू इसके शरीर को छोड़ने का क्या लेगा? जिन्न ने कहा कि मुझे जो चाहिए था वो मिल गया है और मुझे कुछ नहीं चाहिए, दयाल ने कहा कि तुझे रति को छोड़ना ही होगा या तो तू ऐसे ही मेरी बात मान ले नहीं तो तुझे भारी परेशानी उठानी पड़ेगी और इसके शरीर से जाना भी पड़ेगा जिसपर जिन्न ज़ोर से हँसने लगा और बोला कि तेरे जैसे कितने आए, तू भी कोशिश करले, दयाल ने मंत्र पढ़ने शुरू किए जिससे शुरू में जिन्न पर कोई असर नहीं पड़ा और वो हँसता रहा लेकिन कुछ देर बाद जिन्न थोड़ा विचलित होने लगा और फिर उसने घबराकर दयाल को चेतावनी दी कि अगर तूने ये मंत्र अभी नहीं रोके तो मैं इस लड़की रति को अभी मार दूँगा फिर चाहे तुम लोग मेरा कुछ भी कर लेना,दयाल थोड़ा रुक गया और मुझसे बोला कि मुझे आज रात का समय और दे दीजिये, मेरा लक्ष्य जिन्न को भगाना ही नहीं है रति को सुरक्षित करना भी है मैं कल रात को पूरी तैयारी से आऊँगा।
24 घंटे बाद दयाल को आना था और वह 24 घंटे मेरे जीवन के सबसे लम्बे 24 घंटे थे जो गुज़र ही नहीं रहे थे, पूरा परिवार चिंतित था कि क्या हमारी बेटी जिन्न से बच पाएगी? दयाल क्या जिन्न को रति के शरीर से निकाल पायेगा? ऐसे ही कुछ सवाल हमारे पूरे परिवार के मन में घूम रहे थे इसलिए हमने वो रात भी देर रात तक जाग कर काट दी और 3-4 बजे जाकर हमारी आँख लगी।
अगले दिन सुबह से ही जिन्न ने ‘हड़कम्प’ मचाना शुरू कर दिया, पहले तो रसोई के सारे बर्तन ज़मीन पर फेंक दिए फिर गर्म पानी में भरी बाल्टी गली में खड़े लोगों पर दे मारी उसके बाद अपने नाखूँनों से घर की दीवारों को कुरेदने लगा जिससे रति बेटी की उंगलियों से खून आने लगा बड़े भाई ने उसको रोकने की एक बार कोशिश की जिससे वो और गुस्सा हो गया और इस बार उसने अपने हाथ को चाकू से काट लिए फिर हम सबने मिलकर उसको पकड़ा और उसपर मंत्र पढ़ा हुआ गंगाजल छिड़कने लगे (जो दयाल जाते समय दे गया था) और वो शांत होता चला गया, सब लोग जैसे बस शाम होने का ही इंतजार कर रहे थे, यह बचे हुए घंटे भी बड़ी मुश्किल से सबने साथ मिलकर उस जिन्न का सामना करके निकाल दिए और भगवान की मेहरबानी से कुछ अशुभ नहीं घटा।
सुरक्षा कवच
दयाल ने आते ही कहा कि ‘पहले मैं इस कसाई जिन्न के बारे में सबको बता देता हूँ, यह कसाई जिन्न जिसका नाम ‘बिलाल’ था इस गाँव के बाहर वाले हिस्से में बने और कई साल पहले ही बंद हो चुके ‘बूचड़खाने’ में काम करता था, एक दिन इसका झगड़ा बूचड़खाने के मालिक से हो गया मालिक ने बिलाल को सबके सामने बेइज़्ज़त करके उसी समय निकाल दिया फिर इसने अपनी बेइज्जती का बदला उसी रात पूरे परिवार का गला काट कर लिया, पहले तो बिलाल ने माफ़ी मांगे का बहाना बना कर अपने मालिक का गला काटा फिर उसकी दोनों बेटियों और उसकी पत्नी का भी गला ही काट कर मार डाला फिर सबकी लाश अपनी बैलगाड़ी में डालकर बूचड़खाने ले आया और पूरी रात बैठकर बिलाल कसाई ने सभी लाशों के बहुत सारे टुकड़े किए और ये वहाँ से भागा भी नहीं सुबह जब लोगों ने इसको देखा तो उन्होंने इसको वहीं डंडो और पत्थरों से मार डाला तबसे वो बूचड़खान चलाने वाला कोई नहीं बचा तो उसको बंद करना पड़ा और तबसे यह कसाई जिन्न बनकर वहीं रहने लगा और लोगों का शिकार करने लगा’
फिर दयाल ने कहा कि ‘सबको मेरा साथ देना है और कुछ भी हो जाए डरना बिलकुल नहीं है’ फिर दयाल ने रति को अपने सामने ज़मीन पर बिछे लाल रंग के कपडे पर बैठा दिया और दयाल ने कोयले की राख़ हाथ में लेकर कई मंत्र पढ़े और बोला की जल्दी से लड़की को पकड़ लो सबने वैसा ही किया मगर वो जिन्न अब फिरसे रति के शरीर में आकर सक्रिय हो गया और उसने अब सब को मारना शुरू कर दिया, पहले तो बड़े भाई को ज़ोरदार थप्पड़ मारे फिर रति की माँ के बाल पकड़कर पूरे कमरे में घसीट दिया और मेरी तरफ जैसे ही जिन्न बढ़ा तो मैंने उसको रोकना चाहा मगर उसने मेरी नाक पर टक्कर मारकर खून निकाल दिए और मुझे बाहर आना पड़ा, अब जिन्न एकदम बेकाबू होकर कमरे से बाहर भागने लगा जो भी उसको रोकता उसको या तो वो काट लेता या उसको थप्पड़ मारकर वो पीछे हटा देता
ऐसा ही कुछ समय चलने के बाद मैंने हिम्मत की और अंदर हनुमानजी का नाम लेकर घुस गया, मुझे वापस आकर कोशिश करता देख बड़े भाई और मेरी पत्नी की भी हिम्मत बढ़ गई और हमने जिन्न को पकड़कर जमनी पर बिछे लाल कपडे पर लेटा दिया फिर जल्दी से दयाल ने अपने हाथ में रखा भभूत (राख़) रति के माथे, चेहरे और उसके हाथ- पैरों पर रगड़ दिया जिससे ‘कसाई जिन्न’ बाहर निकलकर एक धूएं की तरह कमरे में घूमने लगा और कहने लगा दयाल तेरा यह इलाज कबतक चलेगा? जब तेरा यह इलाज टूटेगा तब मै रति को मारकर अपने साथ ले जाऊँगा या उसके आस-पास वालों को मारकर रति को फंसा दूँगा, दयाल ने हमसे कहा कि अब तो मैंने इस जिन्न को रति के शरीर से निकाल दिया है मगर यह जिन्न अब भी रति के आस-पास ही रहेगा और किसी से एक भी चूक हुई तो यह वापस आकर फिरसे आतंक मचा देगा, तुम लोगों को होली, दीवाली या घर में कोई बड़ी खुशी के मौके पर इलाज यानि की पूजा कराकर रति को सुरक्षित करना पड़ेगा जिससे यह जिन्न हमेशा दूर रहेगा, तबसे हम आज तक ऐसे मौकों पर पूजा या इलाज कराकर रति का ‘सुरक्षा कवच’ बनाकर रति को बचाते आए थे मगर अतुल आपकी जिद्द की वजह से यह कवच टूट गया और उसका भयंकर परिणाम हम सबने ही इस बार भोगा है’
अतुल ने शर्मिंदा होते हुए ससुरजी से माफ़ी मांगी और आगे से ऐसी सभी बातों को मानने और उचित कदम उठाने का आश्वासन भी दिया।।।